(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 1361 /2018
(जिला उपभोक्ता फोरम, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-453/2016 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 01-01-2017 के विरूद्ध)
Andhra Bank, Branch Office, Navyug Market, Ghaziabad through its Branch Manager, Mr. Vishal Tyagi.
बनाम्
Dharamveer, S/o Shree Takeram, R/o House No. 469/2,
Sarkari Nagar, Near Avantika, Ghaziabad.
समक्ष :-
1- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष ।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री विश्वास सारस्वत।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- धर्मवीर (व्यक्तिगत)।
दिनांक : 20-06-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवाद संख्या-453/2016 धर्मवीर बनाम् आंध्र बैंक, शाखा नवयुग मार्केट, गाजियाबाद द्वारा शाखा प्रबन्धक में जिला उपभोक्ता फोरम, गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 01-01-2017 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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‘’आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
‘’ परिवादी का परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है परिवादी को रू0 10,000/- 09 प्रतिशत ब्याज सहित 60 दिन के अंदर अदा करे। ब्याज की गणना परिवाद पत्र दाखिल करने की दिनांक से अदायगी की दिनांक तक की जायेगी। विपक्षी परिवादी को हर्जे के रूप में रू0 2,000/- तथा वाद व्यय के रूप में रू0 2,000/- भी 60 दिन के अंदर अदा करे।’’
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी Andhra Bank ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्यर्थी धर्मवीर स्वयं व्यक्तिगत रूप से उपस्थित आये हैं।
मैंने प्रत्यर्थी के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपीलार्थी की ओर से बाद में विद्धान अधिवक्ता श्री विश्वास सारस्वत उपस्थित आए और लिखित तर्क प्रस्तुत किया है। मैंने अपीलार्थी के लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
मैंने प्रत्यर्थी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद जिला फोरम, गाजियाबाद के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसका बचत खाता अपीलार्थी/विपक्षी की बैंक में था। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने उक्त खाते से रू0 10,000/- पंजाब नेशनल बैंक के ए0टी0एम0 शाखा गोविन्दपुरम के माध्यम से निकालने का प्रयास किया, किन्तु
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ए0टी0एम0 मशीन चलने के बाद भी उसे भुगतान प्राप्त नहीं हुआ, फिर भी उसके खाते से रू0 10,000/- काट दिये गये जबकि उसे भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है। जानकारी होने पर उसने शिकायत अपीलार्थी/विपक्षी बैंक से की, तो शाखा प्रबंधक ने बताया कि यह रूपया एस0बी0आई0 द्वारा दिनांक 16-05-2016 को निकाला गया है। अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के महाप्रबंधक को भी शिकायती प्रार्थना पत्र प्रत्यर्थी/परिवादी ने भेजा, तो उसे लिखित रूप से जानकारी दी गयी कि उसके खाते से अंकन रू0 10,000/- की धनराशि एस0बी0आई0 के ए0टी0एम0 से निकाली गयी है तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने यह जानकारी चाही कि उसकी उक्त धनराशि रू0 10,000/- भारतीय स्टेट बैंक की किस शाखा से निकाली गयी है तो महा प्रबंधक द्वारा उसे कोई जानकारी नहीं दी गयी।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षी बैंक में लगातार चक्कर लगाता रहा कि उसके खाते की धनराशि किस शाखा से निकाली गयी है, परन्तु उसे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। तब विवश होकर प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है और अपने खाते से काटी गयी धनराशि रू0 10,000/- ब्याज सहित दिलाये जाने की मांग की है साथ ही क्षतिपूर्ति व वाद व्यय भी मांगा है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: जिला फोरम ने परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से करते हुए आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध पारित किया है जिसे ऊपर अंकित किया गया है।
अपीलार्थी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क में कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने खाते से रू0 10,000/- निकाले जाने की शिकायत अपीलार्थी/विपक्षी बैंक से की, तो अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने जॉंच कर उसे बताया कि उसके खाते से रू0 10,000/- भारतीय स्टेट बैंक के ए0टी0एम0 से दिनांक 16-05-2016 को निकाला गया है। पंजाब नेशनल बैंक के ए0टी0एम0 से नहीं। लिखित कथन में
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अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि रू0 10,000/- प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते से भारतीय स्टेट बैंक के ए0टी0एम0 से दिनांक 16-05-2016 को निकाला गया है। पंजाब नेशनल बैंक के ए0टी0एम0 से दिनांक 15-05-2016 को नहीं निकाला गया है।
अपीलार्थी/विपक्षी का तर्क है कि जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी बैंक को नोटिस की तामीला न होने के कारण अपीलार्थी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं कर सका है अत: जिला फोरम ने एकपक्षीय रूप से परिवाद के गलत कथन के आधार पर आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है जो विधि विरूद्ध है।
प्रत्यर्थी/परिवादी का तर्क है कि जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी नोटिस तामीला के बाद भी उपस्थित नहीं हुआ है और लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया है अत: जिला फोरम ने एकपक्षीय रूप से उसके विरूद्ध जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह उचित है।
प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक से बार-बारसम्पर्क स्थापित करने पर भी उसे यह नहीं बताया गया कि भारतीय स्टेट बैंक की किस शाखा से उसकी धनराशि रू0 10,000/- निकाली गयी है अत: बैंक की सेवा में कमी रही है। जिला फोरम का निर्णय उचित है।
मैनें उभयपक्ष के कथन पर विचार किया है।
दिनांक 16-05-2016 को एस0बी0आई0 के किस शाखा के ए0टी0एम0 से प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते से रू0 10,000/- निकाला गया है यह सूचना प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी बैंक से चाहा, परन्तु बैंक ने उसे स्पष्ट सूचना एस0बी0आई0 की शाखा का नाम बताते हुए नहीं दिया। प्रत्यर्थी ने बैंक के महाप्रबन्धक को भी पत्र भेजकर शिकायत की और जानकारी चाही कि एस0बी0आई0 की किस ब्रांच से पैसा निकाला गया है तब भी उसे स्पष्ट सूचना नहीं दी गयी, जिसमें काफी समय बीत गया और एस0बी0आई0 की संबंधित शाखा से टी0वी0
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फूटेज प्राप्त होना सम्भव नहीं रहा। इस प्रकारयह मानने हेतु उचित आधार है कि अपीलार्थी बैंक ने प्रत्यर्थी/परिवादी को पूर्ण व पर्याप्त जानकारी उसके खाते से विड्राल के संबंध में न देकर सेवा में कमी की है।
उल्लेखनीय है कि जिला फोरम द्वारा नोटिस तामीला पर्याप्त पाये जाने पर भी अपीलार्थी बैंक ने जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर पूर्ण सूचना परिवादी/प्रत्यर्थी को नहीं दिया है। जिला फोरम के समक्ष उपस्थित न होने का अपीलार्थी द्वारा कथित कारण विश्वास योग्य नहीं है।
जिला फोरम ने जो आदेश पारित किया है वह वाद की परिस्थितियों में उचित है।
अपील निरस्त की जाती है। उभयपक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा, आशु0