जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
तरूण अग्रवाल पुत्र श्री प्रेमचन्द अग्रवाल, निवासी- 332/31, पटेल नगर, तोपदडा, अजमेर ।
प्रार्थी
बनाम
1. धर्मवीर गहलोत पुत्र श्री नवल सिंह गहलोत, आयु लगभग 58 वर्ष, अनुभाग अधिकारी, राजस्थान लोक सेवा आयोग, अजमेर वर्तमान पद सहायक सचिव
2.अज्ञात
अप्रार्थीगण
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 340, 195 दण्ड प्रक्रिया संहिता व धारा 193,194
समक्ष
1. बृज लाल मीना अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 11.12.2015
1. प्रार्थी ने यह प्रार्थना पत्र जिसके तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि श्री षिवरतन षर्मा , पीलीखान, अजमेर ने एक परिवाद संख्या 118/12 षिवरतन षर्मा बनाम लोक सूचना अधिकारी, राजस्थान लोक सेवा आयोग, अजमेर मंच के समक्ष प्रस्तुत किया था, में श्री षिवरतन षर्मा ने उसे प्रतिनिधि नियुक्त किया था और उक्त परिवाद का निर्णय दिनांक 12.09.2012 को करते हुए श्री षिवरतन षर्मा का परिवाद खारिज कर दिया गया था, पेष किया ।
प्रार्थना पत्र में आगे दर्षाया है कि प्रार्थना पत्र के पैरा संख्या 3 व 4 में दिए गए विवरणानुसार उक्त परिवाद संख्या 118/12 में अप्रार्थी राजस्थान लोक सेवा आयोग, अजमेर द्वारा जाली एवं कूटरचित दस्तावेज बनाकर तथा मिथ्या साक्ष्य पेष करते हुए जवाब पेष किया और उसकी तायद में झूठा षपथपत्र पेष किया गया ।
अतः अप्रार्थी के विरूद्व परिवाद दर्ज कर धारा 340,195 दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत कार्यवाही की जावे ।
2. प्रार्थना पत्र पर हमने प्रार्थी को सुना एवं प्रार्थना पत्र का अवलोकन किया ।
3. प्रार्थना पत्र व उसके साथ संलग्न दस्तावेजात के समग्र अवलोकन यह पाया जाता है कि प्रार्थी यह नहीं दर्षा पाया है कि वह किस प्रकार अप्रार्थी का उपभोक्ता है । क्योंकि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों अनुसार उपभोक्ता मंच का गठन उपभोक्ताओं से संबंधित विवादों के निपटारें हेतु किया गया है और मंच में प्रस्तुत परिवादों के निस्तारण हेतु सीपीसी के प्रावधान लागू होगें ऐसे विधिक प्रावधान भी प्रार्थी नहीं बतला पाया है ।
4. यदि षिवरतन ष्षर्मा इस बात को मानता है कि उसे 30 दिन के अन्दर वांछित सूचना, सूचना के अधिकार के तहत नहीं दी गई थी तो उसे अपीलीय अधिकारी प्राप्त था और उसने अपने अपीलीय अधिकारी का उपयोग नहीं किया और अनावष्यक रूप् से मंच में परिवाद प्रस्तुत किया और मंच का समय बर्बाद किया । कौन सा दस्तावेज असत्य है, झूठा है यह प्राथमिक रूप से प्रार्थी साबित करने में विफल रहा है । यह विषय साक्ष्य का है । चूंकि ऐसे प्रकरण में मंच को श्रवण की क्षत्राधिकारिता प्राप्त नहीं है । इस कार्यवाही से प्रार्थी अपने आप को आहत मानता है तो उसे उचित प्राधिकारी के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए था । हमारी राय में धारा 340,195 दण्ड प्रक्रिया संहित व धारा 193 व 194 पर अप्रार्थी के विरूद्व हमारे स्तर पर कोई कार्यवाही करने की आवष्यकता प्रतीत नहीं होती है ।
5. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृष्टान्त का हमने ससम्मन अवलोकन किया । प्रस्तुत न्यायिक दृष्टान्त के तथ्य प्रकरण के तथ्यों से मेल नहीं खाते । जो प्राथी की कोई विषेष मदद नहीं करते ।
6. उपरोक्त पस्थितियों में प्रथम दृष्टया प्रार्थी अप्रार्थी का उपभोक्ता होना व अप्रार्थी का सेवा प्रदाता प्रमाणित कर पा सकने में असफल रहा है । समस्त विवेचन से हम पाते है कि प्रार्थी ने इस मंच के समक्ष एक तुच्छ (थ्तपअवसवने) प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है जो व्यय सहित खारिज होने योग्य है
-ःः आदेष:ः-
7. फलतः प्रार्थी का प्रार्थना पत्र रू. 5000/- व्यय पर खारिज किया जाता है । प्रार्थी उक्त राषि उपभोक्ता कल्याण कोष, राजस्थान में जमा करावें ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) ( बृज लाल मीना )
सदस्या अध्यक्ष
8. आदेष दिनांक 11.12.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्या अध्यक्ष