राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-546/2022
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्या 83/2020 में पारित आदेश दिनांक 21.04.2022 के विरूद्ध)
एस0डी0ओ0, अरबन इलैक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन सब डिवीजन, इण्डस्ट्रियल इस्टेट, किशोर नगर, अलीगढ़
........................अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
धर्मपाल सिंह पुत्र श्री टीकम सिंह निवासी-5/26, बीमा नगर पास टी0वी0एस0, गली नम्बर-2 सूत मिल, अलीगढ़
...................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 29.06.2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी एस0डी0ओ0, अरबन इलैक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन सब डिवीजन द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्या-83/2020 धर्मपाल सिंह बनाम एस0डी0ओ0 नगरीय विद्युत वितरण में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21.04.2022 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी।
प्रश्नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग ने उपरोक्त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया:-
''विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि परिवादी के अगले माह के विधुत बिल मे 3988यूनिट विधुत के सापेक्ष विधुत चार्ज की धनराशि के सिवाय अधिक जमा धनराशि मय सरचार्ज आदि को समायोजित किया जाये। परिवादी को रु 1000/ मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाये।''
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मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 07.08.2020 को विद्युत बिल मय एरियर 22784/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉं जमा किया गया तथा यह कि माह सितम्बर में विद्युत बिल 59,953/-रू0 मय चैक मीटर द्वारा मापी गयी 10646 यूनिट गलत रूप से जोड़ दी गयी। माह अक्टूबर में विद्युत बिल 68,274/-रू0 भेजा गया, जिसमें सितम्बर का बिल 59,953/-रू0 एवं अक्टूबर का बिल 8321/-रू0 था।
प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसकी इच्छा के बिना दिनांक 14.03.2020 को 4 किलो वाट का मीटर उतार कर 6 किलो वाट का मीटर विद्युत विभाग द्वारा लगाया गया, जिसकी कीमत 6099/-रू0 विद्युत बिल में जोड़ा गया। विद्युत मीटर की गति अधिक होने के कारण विद्युत विभाग द्वारा चैक मीटर लगाया गया, जो दिनांक 18.08.2020 तक 10646 यूनिट चला तथा दिनांक 18.08.2020 को पुराना मीटर उतारकर चैक मीटर को ही मेन मीटर बना दिया गया। दिनांक 25.09.2020 को चैक मीटर द्वारा मापी गयी 10646 यूनिट विद्युत बिल में जोड़ दी गयी। इस प्रकार दिनांक 25.09.2020 के विद्युत बिल में 14634 यूनिट चार्ज की गयी, जबकि 3988 यूनिट का ही चार्ज बनता है तथा इस प्रकार 10646 यूनिट अधिक जोड़ी गयी।
प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादी की गलती के बिना विद्युत विभाग द्वारा पूरी धनराशि पर 1 प्रतिशत ब्याज लगाकर 17,500/-रू0 लगाया गया तथा अन्य चार्ज सरचार्ज पेनल्टी ई0सी0ई0डी0 व एफ0सी0 आदि के 18000/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी से लिये गये, जिससे प्रत्यर्थी/परिवादी को शारीरिक व मानसिक क्षति पहुँची। अत: क्षुब्ध होकर प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रतिवाद
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पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी को विद्युत संयोजन आई0डी0 सं0 9463720000 का 6 किलोवाट पंखा बत्ती में स्वीकृत है। माह 2/2020 में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा मीटर की रीडिंग 123845 के0डब्लू0एच0 के अनुसार बिल धनराशि 6061/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 08.02.2020 को जमा किया गया। दिनांक 14.03.2020 को 4 किलोवाट पर अतिरिक्त 2 किलोवाट वृद्धि कर 6 किलोवाट स्वीकृत किये जाने पर मीटर की रीडिंग 125447 के0डब्लू0एच0 पर उतार कर नया मीटर स्थापित किया गया। मीटर सीलिंग दिनांक 13.05.2020 के अनुसार रीडिंग 3917 के सापेक्ष चैक मीटर स्थापित किया गया। मीटर रीडिंग दिनांक 18.08.2020 के अनुसार रीडिंग 10646 के0डब्लू0एच0 पठित कर मीटर परिसर से उतारा गया तथा सहायक अभियंता विद्युत परीक्षण शाला तृतीय अलीगढ़ की आख्या अनुसार कोई अन्तर नहीं पाया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा 3/20 से 11/20 तक के विद्युत बिलों की रीडिंग के अनुसार तथा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा समय-समय पर भुगतान की गयी धनराशि को समायोजित करते हुए बिल संशोधित किया गया।
अपीलार्थी/विपक्षी का कथन है कि जिला उपभोक्ता आयोग को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है तथा विद्युत उपभोक्ता व्यथा निवारण फोरम अलीगढ़ में स्थापित और संचालित है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त अपने निर्णय में निम्न निष्कर्ष अंकित किया है:-
''उभय पक्षो के अभिवचनो का अवलोकन करने पर विदित होता है कि परिवादी द्वारा दि0 7.8.2020 तक मुख्य मीटर द्वारा पठित रीडिग 13676 यूनिट का भुगतान कर दिया गया और दि0 18.8.2020 को मुख्य मीटर उतारते समय अंतिम रीडिग 14567 यूनिट थी। इस प्रकार परिवादी द्वारा देय विधुत चार्ज की यूनिट 14567–13676 =891 यूनिट होती है। दि0 18.8.2020 को जब चैक मीटर को मुख्य मीटर बनाया गया उस समय उसमे रीडिग 10646 यूनिट थी और दि0 25.9.2020 को इस मीटर में रीडिग 13473 यूनिट थी और इस प्रकार 18.8.2020 से 25.9.2020
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तक देय विधुत चार्जेज 13743–10646=3097 यूनिट होता है। इस प्रकार कुल देय विधुत चार्ज 891+3097=3988 यूनिट होता है जिसे परिवादी भुगतान करने के लिये उत्तरदायी है। और विपक्षी तदनुसार विधुत बिल संशोधित कर अधिक जमा की गयी धनराशि को समायोजित करने के लिये वाध्य है। जहॉं तक मीटर का मूल्य रि06099/ विपक्षी द्वारा वापिस किये जाने का प्रश्न है, परिवादी द्वारा मीटर का उपयोग किया जा रहा है अत: मीटर का मूल्य वापिस करने का कोई औचित्य नहीं है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 100 के प्रावाधन के अनुसार विधुत उपभोक्ता व्यथा निवारण फोरम स्थापित होने के बावजूद भी आयोग को प्रस्तुत केस की सुनवाई करने का अधिकार है।''
तद्नुसार विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा प्रश्नगत आदेश दिनांक 21.04.2022 पारित किया गया।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया, जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। अतएव, प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील में जमा धनराशि 500/-रू0 अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग, अलीगढ़ को 01 माह में विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1