Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/1501

Union Of India - Complainant(s)

Versus

Dharam Kirti Saran - Opp.Party(s)

Dr. Uday Veer Singh

24 Oct 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/1501
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dharam Kirti Saran
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 24 Oct 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1501/2009

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, रामपुर द्धारा परिवाद सं0-147/2006 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.7.2009 के विरूद्ध)

1-      Union of India through its Secretary Department of Post and Telegraph, New Delhi

2-      Senior Suprintendent of Post Office District Moradabad.

3-      Post Master Head Post Office District Rampur

                                                           ........... Appellants/ Opp. Parties 

Versus   

1-      Dharam Kirti Saran Advocate, S/o Late Nanhoo Mal, R/o Mohalla Masjid Kaith, District Rampur (U.P.)

2-      Abdul Waheed Khan, S/o Late Abdul Hafeez Khan, R/o Mohalla Kotwalan, District-Rampur (U.P.)

……..…. Respondent/ Complainant

समक्ष :- 

मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य

मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता    :    डॉ0 उदय वीर सिंह

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता     :   कोई नहीं

दिनांक : 04.10.2017

मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय   

मौजूदा अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, रामपुर द्धारा परिवाद सं0-147/2006 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.7.2009 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी सं0-1 एक पेशेवर वकील है और परिवादी सं0-2 उनके मुवक्किल है और परिवाद पत्र में यह कहा गया है कि परिवादी सं0-2 ने मा0 उच्‍च न्‍यायालय, इलाहाबाद के समक्ष एक अपील करने के लिए अधिवक्‍ता श्री के0के0 अरोड़ा को नियुक्‍त कर रखा था और कोर्ट फीस व अन्‍य खर्च उन्‍हें दे

-2-

दिए थे मात्र 2,000.00 रू0 बकाया थे और यह तय हुआ था कि परिवादी सं0-2 उक्‍त धनराशि को परिवादी सं0-1 के द्वारा श्री के0के0 अरोड़ा को भेज देगें और रूपया मिलने के बाद अपील तुरन्‍त दायर हो जायेगी। परिवादी सं0-1 ने 2,000.00 रू0 श्री के0के0 अरोड़ा, अधिवक्‍ता को इलाहाबाद को मनी आर्डर दिनांकित 01.7.2005 हैड पोस्‍ट आफिस, रामपुर के द्वारा भेजा और पोस्‍ट आफिस को 2100.00 दिए, जिसमें 100.00 रू0 कमीशन के भी शामित थे। परिवादी सं0-1 संतुष्‍ट हो गया कि अब उसकी अपील श्री के0के0 अरोड़ा द्वारा दायर कर दी जायेगी, लेकिन परिवादी सं0-1 को तब आश्‍चर्य हुआ जब उसकी अपील के संबंध में उसे ढाई महीने तक कुछ पता नहीं चला और उसने श्री के0के0 अरोडा से सम्‍पर्क किया और जब परिवादी के साथ काम करने वाले श्री कृष्‍ण सक्‍सेना, अधिवक्‍ता दिनांक 23.9.2005 को इलाहाबाद अपने किसी कार्य से गये और परिवादी सं0-1 द्वारा उनसे अपील दायर करने की जानकारी श्री के0के0 अरोडा से करने के लिए कहा गया तो इलाहाबाद से वापस आने पर श्री कृष्‍ण सक्‍सेना ने बताया कि कोई अपील दायर नहीं की गई है, क्‍योंकि जो रूपया देने का वादा किया गया था, वह श्री के0के0 अरोडा को नहीं मिला है और इस प्रकार की सूचना से परिवादी सं0-1 को बहुत कष्‍ट हुआ और परिवादी सं0-2 को 2,00,000.00 रू0 का नुकसान हो गया। दिनांक 27.9.2005 को परिवादी सं0-1 ने उक्‍त मनी आर्डर के सम्‍बन्‍ध में जॉच पडताल की जिसे 01.7.2005 को हैड पोस्‍ट आफिस, रामपुर से भेजा गया था एवं प्रतिवादी सं0-1 ने परिवादी सं0-1 से नाम पता पूंछने के बाद उस मनी आर्डर की डिलीवरी के बारे में पत्र के द्वारा पूंछतांछ की, जिसका जवाब दिनांक 14.10.2005 को प्रतिवादी सं0-2 को मिला और दिनांक 16.11.2005 को परिवादी सं0-1 ने ग्राहक सेवा क्रेन्‍द से पत्र प्राप्‍त किया, जिसमें यह कहा गया कि परिवादी का उपरोक्‍त शिकायती पत्र पोस्‍ट आफिस मुरादाबाद को भेज दिया गया है

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और दिनांक 28.11.2005 को जब परिवादी सं0-1 को जब कोई संतोषजनक उत्‍तर प्राप्‍त नहीं हुआ तो उसने एक नोटिस प्रतिवादीगण को भेजा। परिवादी सं0-1 ने प्रतिवादी सं0-1 से कहा कि 2,000.00 रू0 आप श्री के0के0 अरोडा को न दे क्‍योंकि उसका उद्देश्‍य समाप्‍त हो चुका है और यह भी कहा कि परिवादी सं0-1 रू0 2,00,000.00 की धनराशि 24 प्रतिशत ब्‍याज के साथ वापस चाहता है। दिनांक 30.11.2005 को परिवादी सं0-1 ने प्रतिवादी सं0-1 के पत्र को प्राप्‍त किया, जिसमें यह कहा गया कि मनी आर्डर रास्‍ते में खो गया और डुप्‍लीकेट मनी आर्डर जारी किया जायेगा और धनराशि श्री के0के0 अरोड़ा को दी जायेगी।

प्रतिवादीगण की ओर से जिला उपभोक्‍ता फोरम के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर यह कथन किया गया है कि परिवादी के शिकायती पत्र पर नियमानुसार जॉच कार्यवाही की गई थी, मनीआर्डर पाने वाले का पता अधूरा होने की जानकारी परिवादी को दी गई थी तथा परिवादी को दिनांक 17.11.2005 को पत्र के द्वारा प्रश्‍नगत मनीआर्डर के एवज में डुप्‍लीकेट मनीआर्डर जारी करने के आदेश की प्रति के साथ घोषणा पत्र भरकर प्रधान डाकघर रामपुर में सम्‍पर्क हेतु लिखा गया था, प्रतिवादीगण द्वारा मनीआर्डर वितरण में सभी आवश्‍यक सावधानियां बरती जाता है। प्रतिवादीगण द्वारा परिवादी को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाई गयी है, इन्डियन पोस्‍ट आफिस एक्‍ट की धारा-48 के अनुसार प्रतिवादी विभाग सरकार को मनीआर्डर के संबंध में दायित्‍वसे मुक्‍त रखा गया है। परिवादी की इच्‍छानुसार प्रधान डाकघर रामपुर द्वारा डुप्‍लीकेट मनीआर्डर जारी कर परिवादी के पते पर भुगतान हेतु भेजा गया, परन्‍तु परिवादी द्वारा मनीआर्डर कमीशन भी वापस भुगतान किए जाने की मॉग की गई जो नियमानुसार देय नहीं है, मनीआर्डर कमीशन की धनराशि का भुगतान वापिस न किए जाने के कारण परिवादी द्वारा मनीआर्डर का भुगतान

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प्राप्‍त करने से इंकार कर दिया गया, जिस कारण परिवादी को भुगतान नहीं किया जा सका एवं प्रतिवादीगण का कार्य सदैव सद्भावना पूर्वक व निष्‍ठा का रहता है किसी को हानि पहंचाने का नहींरहता है एवं प्रतिवादी विभाग द्वारा किसी प्रकार की सेवा में कमी अथवा लापरवाही नहीं की गई है। यह भी कहा गया है कि परिवाद इण्डियन पोस्‍ट आफिस एक्‍ट की धारा-48 से बाधित होने के कारण पोषणीय नहीं है एवं परिवादी द्वारा यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है कि कथित अपील हेतु शेष धनराशि का भुगतान कब व क्‍यों किया गया, यदि परिवादीगण के अधिवक्‍ता श्री के0के0 अरोरा द्वारा मात्र 2000.00 रू0 की बकाया फीस के लिए अपील दायर नहीं की गयी तो यह उनके बीच की संविदा भंग का मामला है तथा उनके आपसी व्‍यवहार को स्‍पष्‍ट करता है तथा मनी आर्डर का डुप्‍लीकेट मनीआर्डर जारी करने पर परिवादी को भुगतान हेतु भेजे जानेपर परिवादी द्वारा नियम विरूद्ध दिये गये कमीशन की मॉग की गई तथा भुगतान प्राप्‍त करने से इंकार कर देने के के कारण परिवादी को प्रतिवादीगण के विरूद्ध कोई वाद कारण प्राप्‍त नहीं है तथा परिवादी प्रतिवादीगण से किसी प्रकार का अनुतोष अथवा क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के अधिकारी नहीं है और परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है। 

इस सम्‍बन्‍ध में जिला उपभोक्‍ता फोरम के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 23.7.2009 तथा आधार अपील का अवलोकन किया गया एवं अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता डॉ0 उदय वीर सिंह उपस्थित आये। कार्यालय रिपोर्ट दिनांक 27.10.2016 से स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यथीगण को भेजी गई नोटिस अदम तामीला वापस प्राप्‍त नहीं हुई है, इस प्रकार प्रत्‍यर्थीगण पर नोटिस का तामीला पर्याप्‍त माना गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित भी नहीं है, यह अपील वर्ष-2009 से पीठ के समक्ष विचाराधीन है। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं लिखित बहस का भी अवलोकन किया गया है।

-5-

केस के तथ्‍यों व परिस्थितियों को देखते हुए एवं अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने के उपरांत हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा जो 10,000.00 रू0 का अलग से हर्जाना लगाया गया है और जो 1500.00 रू0 वाद व्‍यय लगाया गया है, वह न्‍यायोचित नहीं है और समाप्‍त किए जाने योग्‍य है तथा परिवादी सं0-1 अपीलार्थीगण/प्रतिवादीगण से 2100.00 रू0 और दिनांक 01.7.2005 से उसकी अदायगी तक 06 प्रतिशत का ब्‍याज भी पाने का हकदार है। तद्नुसार अपीलार्थीगण की अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

अपीलार्थी की अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम, रामपुर द्धारा परिवाद सं0-147/2006 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.7.2009 में जो 10,000.00 रू0 का अलग से हर्जाना लगाया गया है और जो 2100.00 रू0 वाद व्‍यय लगाया गया है, उसे समाप्‍त किया जाता है तथा यह आदेश पारित किया जाता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी सं0-1 धरम कीर्ति सरन, अपीलार्थीगण/ प्रतिवादीगण से 2100.00 रू0 और दिनांक 01.7.2005 से उसकी अदायगी तक 06 प्रतिशत का ब्‍याज भी पाने का हकदार है और इस प्रकार जिला उपभोक्‍ता फोरम के प्रश्‍नगत आदेश में संशोधन किया जाता है।

उभय पक्ष अपीलीय व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेगें।

 

     (रामचरन चौधरी)                (गोवर्धन यादव)

     पीठासीन सदस्‍य                     सदस्‍य

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-4

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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