Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/437

Post Office - Complainant(s)

Versus

Devkant Pandey - Opp.Party(s)

Dr U V Singh

08 Aug 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/437
( Date of Filing : 14 Mar 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Post Office
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Devkant Pandey
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 08 Aug 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-437/2011

Superintendent of post Office & other Versus Dev Kant Pandey  

दिनांक : 08.08.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

           परिवाद संख्‍या-91/2009, देवाकांत पाण्‍डेय बनाम अधीक्षक डाकघर व अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, काशीराम नगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05.02.2011 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता  डा0 यू0वी0 सिंह के कनिष्‍ठ अधिवक्‍ता श्री श्रीकृष्‍ण पाठक को सुना गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

          जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवादी को लोक सेवा आयोग द्वारा प्रेषित पत्र प्राप्‍त न होने पर 50,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है।

             अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि लोक सेवा आयोग द्वारा उनकी सेवा प्राप्‍त की गयी थी न कि परिवादी द्वारा, इसलिए परिवादी उनका उपभोक्‍ता नहीं है। इसी आयोग द्वारा एक अन्‍य केस अपील सं0 893/2015 सीनियर सुपरिंटेंडेंट आफ पोस्‍ट आफिस बनाम अखिलेश कुमार तिवारी व अन्‍य में यह निष्‍कर्ष दिया है कि डाक से सूचना जब किसी अन्‍य व्‍यक्ति द्वारा परिवादी को भेजी गयी है तब परिवादी डाक विभाग का उपभोक्‍ता नहीं है। यह नजीर प्रस्‍तुत केस के लिए पूर्णता सुसंगत है। अत: चूंकि परिवादी डाक विभाग का उपभोक्‍ता नहीं है। लोक सेवा आयोग द्वारा ही डाक विभाग के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती थी, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है। यद्यापि किसी अन्‍य सक्षम फोरम के समक्ष डाक विभाग की लापरवाही को स्‍थापित करते हुए परिवादी द्वारा क्षतिपूर्ति की मांग की जा सकती है।

आदेश

            प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है। परिवाद संधारणीय न होने के कारण खारिज किया जाता है।   

                 उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

           

 

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

  •  

 

 

               संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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