आदेश
1 शिकायतकर्ता नितीश कुमार ने इस आशय का आवेदन इस फोरम के समक्ष दाखिल किया कि वह एक शिक्षित युवक है। तथा सरकारी सेवा में टंकण के पद पर दरभंगा में कार्यरत है।
2 शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि उसके पट्टीदार अरुण कुमार यादव का भगिना रॉबिन्स कुमार एवं उसके साथ उसका चचेरा भाई देवीलाल कुमार यादव (प्रतिवादी) बराबर वादी के पैतृक निवास स्थान मोहल्ला-सुल्तानगंज वार्ड नंबर-02 आया-जाया करते थे। इस बीच शिकायतकर्ता तथा प्रतिवादी देवीलाल कुमार यादव से बातचीत होता था एवं उससे नजदीकी सम्बन्ध बन गया।
3 शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि उसने अपनी मोटरसाइकिल बेचने की बात 2017 में विपक्षी से किया। इसी क्रम में दिनांक 11.12.2017 को विपक्षी अचानक दरभंगा आये और परिवादी से बोले की मुझे आज रुपया का शक्त जरुरत है। मैं भागलपुर से स्टाम्प साथ लाया हूँ। आपको कागज बना देता हूँ आप छुट्टी लेकर आएंगे तो गाड़ी और उससे सम्बंधित सभी कागजात भी आपको हस्तगत कर दूंगा। यदि आपकी इच्छा गाड़ी लेने की नहीं हुई तो रुपया लौटा दूंगा। तब वादी ने प्रतिवादी को अपने आवास पर 60000 रु० दिया। पैसा पाने के वाद प्रतिवादी ने साक्ष्यों के समक्ष स्टाम्प पर रुपया पाने का कागज बना दिया।
4. परिवादी का यह भी कथन है की वह भागलपुर गया तो विपक्षी बुलेट मोटरसाइकिल देने में टालमटोल करने लगे तथा आजकल-आजकल करने लगे। वादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षी को नोटिस दिया पर कोई अपेक्षित कार्यवाई प्रतिवादी ने नहीं कियाI प्रतिवादी द्वारा वादी को गलत ढंग से मोटरसाइकिल देने के नाम पर 60000 रु० ले लिया गया और उसे मोटरसाइकिल नहीं दिया गया। वादी उक्त मोटरसाइकिल को अपने कार्यालय से अपने आवास आने जाने के लिए बात किया था।
5. विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रश्नगत मोटरसाइकिल नहीं देने के कारण उसके कार्यालय से घर आने-जाने में काफी परेशानी होता है। वादी को इससे अत्यधिक मानसिक पीड़ा हुआ और आर्थिक क्षति हुआ। समाज में परिवादी का जग हस्यी भी हुआ। विपक्षी द्वारा पैसा पाने के बाद भी परिवादी को मोटरसाइकिल नहीं देना, विपक्षी द्वारा सेवा शर्तों में उल्लंघन है एवं सेवा में त्रुटि है।
अतः अनुरोध है कि विपक्षी से परिवादी को प्रश्नगत मोटरसाइकिल दिलाने का कृपा करे यदि विपक्षी प्रश्नगत मोटरसाइकिल जिसका उसने सौदा किया था परिवादी को हस्तगत नहीं करता है तो परिवादी द्वारा विपक्षी को भुगतान किये गये पैसा 60000 रु० को ब्याज सहित वापस कराने कि कृपा करे । इसके आलावा परिवादी को पहुंची मानसिक एवं शारीरिक पीड़ा कि क्षतिपूर्ति के रूप में 250000 रु० तथा वाद खर्चा 25000 रु० दिलाने की कृपा करें।
6 विपक्षी पर नोटिस निबंधित डाक से भेजा गया था उक्त नोटिस जो कि निबंधित डाक से भेजा था वापस नहीं आया इससे विवक्षिप्त रूप से इस बात कि पुष्टि हो जाती है कि विपक्षी को नोटिस का तामिला हो गया इसके बाद मामले में एकपक्षीय सुनवाई किया गया।
7 परिवादी नितीश कुमार फोरम के सक्षम उपस्थित होकर अपना व्यान दाखिल किया और परिवाद पत्र में लिखे गए कथन का समर्थन किया। चूँकि मामला एकपक्षीय सुनवाई पर चल रहा है। इस कारण प्रतिवादी की तरफ से प्रतिपरीक्षण हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
8 परिवादी द्वारा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में नॉन जुडिसियल स्टाम्प पर परिवादी द्वारा लिखे गए एकरारनामा की छायाप्रति दाखिल किया गया। जिसमें स्पष्ट है कि विपक्षी द्वारा परिवादी से 60000 रु० लिया गया। उक्त धनराशि विपक्षी ने एक महीने के लिए दिया था। 60000 रु० की धनराशि परिवादी से अपनी बुलेट मोटरसाइकिल बेचने के निष्वत विपक्षी ने लिया था।
चूँकि मामला एकपक्षीय सुनवाई पर चल रहा है वादी ने जो साक्ष्य दिया है उसकी विश्वसनीयता पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है ऐसी स्थिति में परिवादी द्वारा दाखिल इस उपभोक्ता वाद को निर्णीत किया और विपक्षी को आदेश दिया जाता है की वह शिकायकर्ता द्वारा दिए गए धनराशि 60000 रु० का भुगतान आदेश पारित की तिथि से परिवादी को कर दें। इसके आलावा वादी की तरफ से मांगे गए अनुतोष, वादी को पहुंची मानसिक एवं आर्थिक पीड़ा की क्षति पूर्ति के रूप में 25000 रु० वाद खर्चा 1000 रु०का भी भुगतान, कुल खर्चा 86000 रु० इस आदेश के पारित होने के 2 माह के अंदर परिवादी को कर दें। ऐसा नहीं करने पर उपरोक्त धनराशि विपक्षी से विधिक प्रक्रिया द्वारा वसूला जायेगा।