Uttar Pradesh

StateCommission

A/2932/2016

Dealer Sunny Toyota - Complainant(s)

Versus

Devendra Shankar Bajpai - Opp.Party(s)

Nandita Bharti

06 Mar 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2932/2016
(Arisen out of Order Dated 04/11/2016 in Case No. C/148/2015 of District Kanpur Nagar)
 
1. Dealer Sunny Toyota
Kanpur Nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Devendra Shankar Bajpai
Unnao
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 06 Mar 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-2932/2016

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या 148/2015 में पारित आदेश दिनांक 04.11.2016 के विरूद्ध)

1. Dealer Sunny Toyota, City  Showroom,  63/3,  Mall                    

  Road, Kanpur Nagar through its  Proprietor  Dealer             

  Sunny Toyota.

2. Dealer Sunny Toyota (Near Amausi Airport) Kanpur                

   Road, District-Lucknow.

                        ....................अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

Devendra Shankar Bajpai (D.S.Bajpai) Son of Late Kamla Shankar Bajpai R/o H.No.694/1, Moti Nagar, Unnao.                          ................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : सुश्री नन्दिता भारती,                                                 

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री बृजेन्‍द्र चौधरी,                                    

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 15.05.2017        

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-148/2015 देवेन्‍द्र शंकर बाजपेई बनाम डीलर सनी टोयटा सिटी शो रूम व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश                      दिनांक 04.11.2016 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षीगण डीलर सनी टोयटा सिटी शो रूम व एक अन्‍य की ओर से धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा उपरोक्‍त परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

 

-2-

''परिवादी का प्रस्‍तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से इस आशय से स्‍वीकार किया जाता है कि प्रस्‍तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षीगण, परिवादी को      रू0 13,21,654.00 पर, प्रस्‍तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली तक 8 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज अदा करें तथा परिवादी द्वारा सिंडीकेट बैंक को फाइनेंस की रकम पर अदा किया गया ब्‍याज रू0 6835.00 प्रतिमाह की दर से, प्रस्‍तुत परिवाद योजित करने की दर से तायूम वसूली अदा करें एवं विपक्षीगण, परिवादी को मूल बैंक ड्राफ्ट वापस करें तथा अधिवक्‍ता शुल्‍क, परिवाद व्‍यय व अन्‍य व्‍यय के मद में रू0 10000.00 भी अदा करें।''

अपीलार्थी/विपक्षीगण  की  ओर   से   विद्वान   अधिवक्‍ता     सुश्री नन्दिता भारती और प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री बृजेन्‍द्र चौधरी उपस्थित आए हैं।

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि उपरोक्‍त परिवाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी देवेन्‍द्र शंकर बाजपेई ने धारा-12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत जिला फोरम, कानपुर नगर के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि वह दिनांक 29.12.2014 को एक चार पहिया वाहन टोयोटा इनोवा एल0ई0-7 सीटर सिल्‍वर कलर क्रय करने के लिए अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के शोरूम पर गये और उसके कर्मचारियों द्वारा लिखित रूप से कोटेशन देकर इच्छित वाहन की कुल कीमत     13,21,654/-रू0 बतायी गयी। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने   13,21,654/-रू0 का बैंक ड्राफ्ट विपक्षी सनी मोटर्स प्रा0लि0 के पक्ष में बनवाया। बैंक ड्राफ्ट का नं0-366973/002500/16 था। उसने यह ड्राफ्ट समस्‍त औपचारिकतायें पूर्ण करके अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को प्राप्‍त करा दिया, जिसकी प्राप्ति बुकिंग फार्म       पर अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को        दिनांक 30.12.2014 को दी गयी  और  प्रत्‍यर्थी/परिवादी  को  यह

-3-

बताया गया कि वाहन स्‍टाक से समाप्‍त हो चुका है। स्‍टाक में ब्रोंज कलर उपलब्‍ध है, जिसकी कीमत सिल्‍वर कलर वाली गाड़ी के बराबर है। यदि वह चाहे तो यह वाहन उपलब्‍ध है। तत्‍पश्‍चात् प्रत्‍यर्थी/परिवादी की स्‍वीकृति पर बुकिंग फार्म में ब्रोंज कलर अंकित किया गया और अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी से इन्‍तजार करने को कहा गया और यह बताया गया कि वाहन लखनऊ के शोरूम में है वहॉं से मंगाकर दिया जाएगा। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि कानपुर व लखनऊ की डीलरशिप एक ही डीलर के पास है, परन्‍तु शाम 5 बजे तक वाहन नहीं आया। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 से पूछताछ की तो बताया गया कि वाहन ट्रैफिक जाम में फंस गया है और कुछ देर बाद पुन: बताया गया कि गलती से लखनऊ शोरूम द्वारा उक्‍त वाहन बेच दिया गया है। इस पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वाहन अगले दिन देने का वायदा अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने किया और कहा गया कि वाहन आने पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को फोन से सूचना दी जाएगी, परन्‍तु दूसरे दिन दिनांक 31.12.2014 को अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कोई सूचना नहीं दी। उसके बाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी दिनांक 01.01.2015 से 04.02.2015 तक लगातार अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के शोरूम उन्‍नाव से कानपुर जाता रहा, किन्‍तु दिनांक 04.02.2015 तक अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से वाहन का पूर्ण भुगतान प्राप्त करने के बावजूद न तो उसे वाहन दिया और न ही कोई समुचित जवाब दिया।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने वाहन क्रय करने के लिए सिंडीकेट बैंक से 4,00,000/-रू0 फाइनेंस कराया था और बैंक से उक्‍त रकम प्राप्‍त किया था। फाइनेंस के नियम-शर्तों के अनुसार उसे वाहन क्रय करने के पश्‍चात् वाहन से सम्‍बन्धित डाक्‍यूमेन्‍ट और इंश्‍योरेंस बैंक में जमा करना था। अत: सिंडीकेट बैंक द्वारा उसे कागजात बैंक में जमा करने हेतु नोटिस जरिये पत्र दिनांक 02.02.2015 दी गयी और यह भी अवगत कराया गया कि प्रथम किस्‍त जनवरी 2015 से बकाया हो गयी है, जो उसके खाते से काट ली गयी है। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने

-4-

उक्‍त पत्र अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को दिखाया और तत्‍काल वाहन उपलब्‍ध कराने को कहा तथा वाहन उपलब्‍ध न करा पाने की स्थिति में कारणों की लिखित सूचना चाही, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने समुचित उत्‍तर नहीं दिया। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने विद्वान अधिवक्‍ता के माध्‍यम से अपीलार्थी/विपक्षी    संख्‍या-1 को नोटिस भेजा।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को भेजी जाने वाली नोटिस लिखाते समय यह तथ्‍य प्रकाश में आया कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा आर्डर बुकिंग फार्म पर दी गयी रिसीविंग पर अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 कानपुर की मोहर लगायी गयी है, जबकि  फार्म नम्‍बर के नीचे डीलर का नाम व पता लखनऊ का अंकित है। इस कारण अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 को भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने नोटिस भेजा, परन्‍तु नोटिस के बाद भी दोनों विपक्षीगण ने न तो वाहन उपलब्‍ध कराया और न ही नोटिस का जवाब दिया। अत: विवश होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के      समक्ष प्रस्‍तुत किया और जमा धनराशि 13,21,654/-रू0          दिनांक 29.12.2014 से अदायगी की तिथि तक ब्‍याज सहित दिलाए जाने का निवेदन किया। साथ ही क्षतिपूर्ति व वाद व्‍यय की भी मांग की।

अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया गया और यह कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा सिल्‍वर कलर कार क्रय करने हेतु अपनी सहमति अपीलार्थी/विपक्षीगण को दी गयी, किन्‍तु सिल्‍वर कलर की कार उपलब्‍ध नहीं थी। इस कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने 8 सीटर ब्रोंज कलर कार जो कि विपक्षी के लखनऊ स्थित शोरूम से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को डिलीवरी की जानी थी, को क्रय करने हेतु सहमति दी। इसके साथ ही उसने अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के विक्रय अधिकारी से अनुरोध किया कि वह चाहता है कि उसकी कार पार्किंग स्‍थल का डिलीवरी लेने के पहले निरीक्षण कर लिया जाए और यह निश्चित कर  लिया  जाए  कि  क्‍या  यह  जगह  खरीदे    

-5-

जाने वाले वाहन की पार्किंग हेतु पर्याप्‍त है। तब अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के स्‍टाफ ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पार्किंग स्‍थल का निरीक्षण किया और पाया कि उक्‍त स्‍थान वाहन की पार्किंग हेतु पर्याप्‍त है और उन्‍होंने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से वाहन की डिलीवरी प्राप्‍त करने का अनुरोध किया, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन की डिलीवरी लेने हेतु समय चाहा और आश्‍वासन दिया कि वह डिलीवरी लेने की तिथि के सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को सूचित करेगा। इस प्रकार उसके व्‍यवहार से ऐसा प्रतीत हुआ कि वह वाहन लेने को तैयार नहीं है। तब अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने उससे अनुरोध किया कि वह बैंक ड्राफ्ट वापस ले ले, लेकिन प्रत्‍यर्थी/परिवादी बैंक ड्राफ्ट प्राप्‍त करने नहीं आया और झूठे कथन के साथ परिवाद प्रस्‍तुत कर दिया।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण ने यह भी कहा है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अब भी वर्तमान मूल्‍य पर कार देने को तैयार है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उनकी ओर से प्रस्‍तुत साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त यह निष्‍कर्ष निकाला है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण ने सेवा में त्रुटि की है। अत: जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

अपीलार्थी/विपक्षीगण की विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश विधि विरूद्ध और त्रुटिपूर्ण है। स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन की डिलीवरी प्राप्‍त नहीं की है। अपीलार्थी/विपक्षीगण ने सेवा में कोई कमी नहीं की है। जिला फोरम ने इन बिन्‍दुओं पर विचार किए बिना आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है। अत: आक्षेपित निर्णय और आदेश निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश विधि और साक्ष्‍य के अनुकूल है और इसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

 

-6-

हमने उभय पक्ष के तर्क के प्रकाश में आक्षेपित निर्णय और आदेश की समीक्षा की है।

अपीलार्थी/विपक्षीगण ने अपने लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/परिवादी से 13,21,654/-रू0 कोटेशन के अनुसार प्राप्‍त करना स्‍वीकार किया है। उन्‍होंने वाहन की डिलीवरी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को न देने का कारण यह बताया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 से कहा कि वह अपने विक्रय अधिकारी को भेजकर उसके पार्किंग स्‍थल का निरीक्षण कराकर यह सुनिश्चित कर ले कि क्‍या यह जगह खरीदे जाने वाले वाहन की पार्किंग हेतु पर्याप्‍त है। अपीलार्थी/विपक्षीगण के अनुसार उनके विक्रय अधिकारी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पार्किंग स्‍थल का निरीक्षण कर पार्किंग स्‍थल पर्याप्‍त पाया। फिर भी अपीलार्थी/विपक्षीगण के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन की डिलीवरी प्राप्‍त नहीं की और टालता रहा, जिससे अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने यह समझा कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी वाहन नहीं लेना चाहता है। अत: उन्‍होंने उससे अपना ड्राफ्ट वापस लेने को कहा और दिनांक 29.04.2015 को उसे ड्राफ्ट वापस लेने हेतु पत्र भेजा। परिवाद पत्र के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि परिवाद दिनांक 31.03.2015 को प्रस्‍तुत किया गया है और प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 04.02.2015 को अधिवक्‍ता के माध्‍यम से अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को नोटिस भेजा है। ऐसी स्थिति में यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा नोटिस भेजने और परिवाद प्रस्‍तुत करने के पूर्व अपीलार्थी/विपक्षीगण ने उसे ड्राफ्ट वापस प्राप्‍त करने हेतु कोई सूचना नहीं भेजा है। इसके विपरीत उल्‍लेखनीय है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी वाहन का मूल्‍य 13,21,654/-रू0 दिनांक 30.12.2014 को अपीलार्थी/विपक्षी को ड्राफ्ट के माध्‍यम से देने के बाद वह इतने दिनों तक अपने वाहन की डिलीवरी क्‍यों नहीं लेगा। अपीलार्थी/विपक्षीगण का यह कथन सामान्‍य मानव व्‍यवहार के विपरीत प्रतीत होता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने इतने दिनों तक स्‍वयं वाहन की डिलीवरी नहीं ली है।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों, साक्ष्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त यह स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण  ने  प्रत्‍यर्थी/परिवादी

-7-

से वाहन का मूल्‍य 13,21,654/-रू0 का ड्राफ्ट प्राप्‍त करने के बाद भी उसे वाहन की डिलीवरी नहीं दी है। अत: निश्चित रूप से उन्‍होंने सेवा में त्रुटि की है। अत: जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उसकी जमा धनराशि 13,21,654/-रू0 08 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित जो वापस करने का आदेश अपीलार्थी/विपक्षीगण को दिया है, वह अनुचित और अवैधानिक नहीं कहा जा सकता है।

उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण तथ्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त यह भी स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा लिए गए ऋण पर बैंक को देय ब्‍याज की मासिक धनराशि 6,835/-रू0 की दर से जो अदा करने का आदेश अपीलार्थी/विपक्षीगण को दिया है, वह भी उचित और युक्‍तसंगत है। जिला फोरम ने जो 10,000/-रू0 वाद व्‍यय प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलाया है, वह भी उचित है।

उपरोक्‍त विवेचना और ऊपर निकाले गए निष्‍कर्ष के आधार पर हमारी राय में अपील बल रहित है और सव्‍यय निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।  

आदेश

अपील 10,000/-रू0 (दस हजार रूपए मात्र) व्‍यय सहित निरस्‍त की जाती है। वाद व्‍यय की यह धनराशि अपीलार्थी/विपक्षीगण, प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करेंगे।

अपीलार्थीगण की ओर से धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि ब्‍याज सहित जिला फोरम को विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 

               (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           

                    अध्‍यक्ष             

 

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1     

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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