Rajasthan

Nagaur

CC/114/2014

Smt Budhi Devi - Complainant(s)

Versus

Devasisray - Opp.Party(s)

Sh premsukh Firoda

25 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/114/2014
 
1. Smt Budhi Devi
Godhan,Nagaur
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh premsukh Firoda, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

परिवाद सं. 114/14

 

श्रीमती बुद्धि देवी उर्फ मुडी देवी पत्नी श्री भैराराम जाति मेघवाल आयु 41 वर्ष निवासी गोधन तहसील खींवसर जिला नागौर                                                                                                                                                                          -परिवादी     

बनाम

 

देवाशीसराय पुत्र दिलीपराय जाति ब्राह्मण उम्र 34 वर्ष निवासी गांव भोलादगा पोस्ट अरंगाहट जिला नाडिया राज्य पश्चिम बंगाल हािल निवाासी सांडघर गोधन तहसील खींवसर जिला नागौर

                                               -अप्रार्थी

समक्षः

1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।

2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1. श्री प्रेमसुख फिड़ोदा, अधिवक्ता वास्ते परिवादी।

2. अप्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं- कार्यवाही इकतरफा ।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                      आ  दे  श             दि0 25.2.2015

 

                परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं परिवादी गोधन की स्थायी निवासी है । दिनांक 16.1.2013 को परिवादीदिन को बुखार हो जाने से परिवादीनि अपनी बहन सोहनी के साथ अप्रार्थी के दवाखाना पर गई अप्रार्थी ने परिवादीनि को कहा कि वह कुशल डाॅक्टर है जिस पर विश्वास में आकर अप्रार्थी से इंजक्शन लीगवाया । अप्रार्थी ने परिवादीनि के दाहिने कूल्हे पर इंजेक्सन सही तरह से न लगाकर उल्टा सीधा लगा दिया । जिससे कूल्हा कुछ ही घंटों में लाल होकर सूज गया और दर्द होने लगा , उस जगह गांठ हो गई । परिवादीनि को कहा तो उसने गोलियां दी जो ली लेकिन परिवादीनि की गांठ ठीक नहीं हुई और उसमें मवाद भरने लगी । फिर अप्रार्थी ने ब्लेड से चीरा लगा दिया । फिर परिवादीनि को नागौर चिकित्सालय लाये तथा हालत गंभीर होने से गाड़ी करके परिवादीनि को जोधपुर ले गये ,दिनांक 25.1.13 को महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती किया जहां 09.2.13 तक इलाज चला व प्लास्टिक सर्जरी की राय दी । जोधपुर में यश अमन अस्पताल में डाॅ. अक्षय सोलंकी से गेगरिन का इलाज करवाया व दो बार आॅपरेशन कूल्हे व जांघ का किया जहां वह 10.2.13 से 10.3.13 तक भर्ती रही । दाहिने पैर को काटने तक की नोबत आ गई । चिकित्सा अधिकारी चावंडिया ने जांच की तो अप्रार्थी फर्जी डाॅक्टर निकला । जिसकी रिपोर्ट पर पुलिस थाना पांचोड़ी ने अप्रार्थी के विरूद्ध मुकदमा धारा 269,270,419,420,308 भारतीय दंड संहिता एवं धारा 15(3) भारतीय मेडीकल कांेसिल एक्ट के अन्तर्गत दर्ज किया । जिसमें पुलिस ने परिवादीनि के गलत इंजेक्सन लगाने से प्लास्टिक सर्जरी की होना पाया । जिसके संबंध में दस्तावेजात का हवाला दिया तथा निवेदन किया कि परिवादीनि के इजाज में 136075 रूपये खर्च हुए, साथ में रहे तीन व्यक्तियों का खर्चा 80000 रूपये, परिवादीनि व उसके पति को मानसिक संताप के 200000 रूपये तथा परिवाद खर्च 5000 रूपये कुल 421075 दिलाये जाने की मांग की ।

               

2.            परिवाद दर्ज कर अप्रार्थी को नोटिस जारी किया । अप्रार्थी दिनांक 01.10.14 को बावजूद तामील अनुपस्थित रहा जिस पर उसके विरूद्ध कार्यवाही इकतरफा अमल में लाई गई। साक्ष्य इकतरफा में परिवादीनि की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वयं का व अपने पति भैराराम, सोहनी देवी, रामूराम के शपथ पत्र पेश किये । तथा दस्तावेजात प्रदर्श 1 लगायत प्रदर्श 111 को प्रदर्शित करवाया ।

 

3.            बहस इकतरफा सुनी गई। पत्रावली का गहनतापूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। परिवादीनि के अधिवक्ता का बहस के दौरान तर्क रहा है कि परिवादीनि ने परिवाद के तथ्यों को शपथ पत्र की साक्ष्य व दस्तावेजात से साबित किया है अतः परिवादीनि वांछित अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी है। अपने तर्को के समर्थन में उन्होंने न्यायिक विनिश्चय- आर एल डब्लू 1996(1) एस सी इण्डियन मेडीकल एसोसियेशन बनाम वी.पी. शांथा अग्रवाल जे पेज 87 पेश किया । 

 

4.            परिवादीनि ने अपने परिवाद के तथ्यों के समर्थन में शपत्र पेश किया है तथा इलाज में खर्च हुई राशि के बिल वगैरा पेश किये हैं । अप्रार्थी की ओर से मंच के समक्ष उपस्थित होकर परिवाद का जबाब या कोई साक्ष्य पेश नहीं की गई है। जिससे परिवाद के तथ्यों व दस्तावेजात का किसी भी प्रकार से खण्डन नहीं हुआ है। इसलिए परिवाद के तथ्यों पर अविश्वास नहीं किया जा सकता । परिवादीनि का परिवादपत्र स्वीकार किये जाने योग्य है जो निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है:-

 

5.            अतः परिवादीनि का परिवाद स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि अप्रार्थीगण परिवादीनि को उसके इलाज में खर्च हुई राशि 1,36,075/- व उस पर परिवााद प्रस्तुती की दिनांक 18.6.14 से ता-अदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज की राशि अदा करे । परिवादीनि मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में अप्रार्थीगण से रूपये 5000 रूपये प्राप्त करने की अधिकारी है तथा परिवाद व्यय के 3000 रूपये अप्रार्थीगण से प्राप्त करने की अधिकारी है जो राशि अप्रार्थीगण परिवादीनि को तुरंत अदा करे ।                       

                                                                                               

 

 

                                                                                आदेश

 

5.             

आदेश आज दिनांक 25.2.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

।बलवीर खुडखुडिया।    ।बृजलाल मीणा।   ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।

सदस्य                 अध्यक्ष            सदस्या

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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