(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-3106/2017
श्रीमती मालती देवी पत्नी महेश राम साकिन मौजा चौकी चोरसण्ड
बनाम
वेद डायग्नोस्टिक सेन्टर जरिये डा0 डी0बी0 सिंह व अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आर0के0 गुप्ता, विद्वान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री टी0सी0 सेठ, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :14.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-499/2003, मालती देवी बनाम वेद डायग्नोस्टिक सेन्टर व अन्य में विद्वान जिला आयोग, जौनपुर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 17.10.2017 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने विपक्षी द्वारा लापरवाही से रिपोर्ट तैयार करने के आधार पर क्षतिपूर्ति के लिए प्रस्तुत किया गया परिवाद को खारिज किया है ।
- परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिनी के पेट में दर्द रहता था। डॉक्टर ओ0पी0 सिंह कार्यकारी सर्जन जिला अस्पताल जौनपुर से सम्पर्क करने पर अल्ट्रासाउण्ड कराने की सलाह दी गयी। दिनांक 29.08.2003 को विपक्षी सं0 1 के सेन्टर से अल्ट्रासाउण्ड कराया, जिसमें निम्नलिखित उल्लेख किया गया:-
G.B. contracted only small protion G.B. visualized Multiple echogenic facei with caustic shadowing originating from G.B. Fossa seen.
- अन्य जांच की गयी और सरकारी अस्पताल में भर्ती कर लिया गया और परिवादी के पेट का ऑपरेशन करने के लिए पेट खोला गया तो पाया गया कि परिवादिनी के शरीर में गॉल ब्लेडर था ही नहीं, जबकि विपक्षी सं0 1 ने गॉल ब्लेडर में पथरी का एक कण पाया था, जबकि गॉल ब्लेडर शरीर में मौजूद ही नहीं था, इसलिए गलत रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी, जिसके कारण पेट खोला गया और परिवादिनी को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्ट की पीड़ा हुई।
- , यथार्थ में जांच आख्या 23 सी के अनुसार मालती देवी का गॉल ब्लेडर सिकुडा़ हुआ पाया गया था और उसकी छाया में सूक्ष्म कण पाये गये थे। तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।
- , उनका कोई बयान नहीं हुआ है। यह कथन शपथ पत्र से साबित नहीं है। शपत्र पत्र भी नहीं दिया गया है। अत: इस पत्र के आधार पर जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करना विधिसम्मत नहीं है। इस निर्णय को अपास्त करने का अन्य कोई आधार प्रकट नहीं किया गया। किसी अन्य पैथॉलाजिकल रिपोर्ट से परीक्षण नहीं कराया गया, जबकि खुद डॉ0 ओ0पी0 सिंह ने अपनी रिपोर्ट में प्रश्न चिह्न अंकित किया है, जिससे जाहिर होता है कि स्वयं उनकी रिपोर्ट भी सुस्पष्ट नहीं है और अग्रिम जांच अपेक्षित है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित किया जाये।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3