( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या: 702/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, ललितपुर द्वारा परिवाद संख्या-06/2018 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 03-04-2019 के विरूद्ध)
पंजाब नेशनल बैंक द्वारा ब्रांच मैनेजर, ब्रांच- बीएआर जिला ललितपुर, उ०प्र०
बनाम्
1-देशराज सिंह उम्र लगभग 47 वर्ष पुत्र श्री पहलवान सिंह निवासी- ग्राम हनुपुरा हीरापुर विकास खण्ड बार, तहसील तालवेहट, जिला ललितपुर।
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- , कृषि सांख्यिकी फसल बीमा, उ0प्र0, कृषि भवन, लखनऊ।
प्रत्यर्थी/विपक्षी सं०2
समक्ष-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार,अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता श्री सतीश चन्द्र
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता श्री टी0 एच0 नकवी
दिनांक : 30-11-2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी पंजाब नेशनल बैंक द्वारा विद्वान जिला आयोग, ललितपुर द्वारा परिवाद संख्या- 06/2018 देशराज सिंह बनाम पंजाब नेशनल बैंक द्वारा शाखा प्रबन्धक व एक अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक- 03-04-2019 के विरूद्ध इस आयोग के समक्ष योजित की गयी है।
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अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 के कार्यालय से कृषि कार्ड जिसकी लिमिट 2,50,000/-रू० से 3,66,000/-रू० तक थी प्राप्त किया था तथा परिवादी उक्त कृषि क्रेडिट कार्ड से लगातार लेन-देन करता रहा। परिवादी ने वर्ष 2015 में खरीफ की फसल हेतु जो ऋण प्राप्त किया था तथा फसल का बीमा विपक्षी संख्या-1 से वर्ष 2015 में कराया था जिसका प्रीमियम भी रू० 2599/- विपक्षी संख्या-1 को अदा किया था।
वर्ष 2015 में खरीफ की फसल (उर्द) अत्यधिक सूखा पड़ जाने से नष्ट हो गयी जिसके संबंध में उ०प्र० सरकार द्वारा व्यापक जॉंच कराने के पश्चात परिवादी के ग्राम हनुपुरा में 79.14 प्रतिशत उर्द की फसल की क्षति आंकलित की गई जिसके संबंध में क्षति प्रभावित लोगों को मुआवजा भी अदा किया गया जब परिवादी ने जन सूचना अधिकार के तहत सूचना प्राप्त किया तो उसे ज्ञात हुआ कि ग्राम पंचायत हनुपुरा में फसल उर्द के अन्तर्गत 21 कृषकों द्वारा बीमा कराया गया था, जिसमें से सभी 21 कृषकों को योजना के प्राविधानों के अनुरूप रू० 51,534.99 पैसे की क्षतिपूर्ति का भुगतान फसल उर्द की 79.15 प्रतिशत आंकलित क्षति के आधार पर किया गया है तथा उक्त सूचना पंजाब नेशनल बैंक शाखा बार को भी प्रेषित की गयी।
परिवादी द्वारा बोई उर्द की फसल की क्षतिपूर्ति की धनराशि एवं काटी गयी बीमा प्रीमियम के अनुसार कोई भी धनराशि परिवादी को अदा नहीं की गयी। परिवादी विपक्षी संख्या-1 से इस संबंध में कई बार मिला लेकिन विपक्षी संख्या-1 द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विधिक नोटिस विपक्षी को भेजा फिर भी
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विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया।
विपक्षीगण को नोटिस भेजी गयी लेकिन विपक्षीगण जिला आयोग के समक्ष न तो उपस्थित हुए और न ही जवाबदावा दाखिल किया। अत: विद्धान जिला आयोग द्वारा विपक्षीगण पर नोटिस का तामीला पर्याप्त मानते हुए दिनांक 07-04-2018 को विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया:-
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी सं०-1 की ओर से यह अपील प्रस्तुत की है।
विद्धान जिला आयोग ने परिवादी के विद्धान अधिवक्ता को सुनने तथा पत्रावली का अवलोकन करने के उपरान्त उर्द की फसल का बीमा वर्ष 2015-16 में होना पाया तथा प्रीमियम की धनराशि अदा किया जाना भी पाया जो कि बैंक द्वारा परिवादी के खाते से काटी गयी है। परिवादी ने विपक्षीगण से अपनी फसल का बीमा कराया था तथा कागज संख्या-7ख/5, जो निदेशक कृषि सांख्यिकी एवं फसल बीमा उ०प्र० कृषि भवन, लखनऊ के पत्र से स्पष्ट है, कि फसल नष्ट की सीमा 79.14 प्रतिशत अंकित किया
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गया है। अत: जिला आयोग ने विपक्षीगण की सेवा में कमी पाते हुए उपरोक्त प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिक्ता श्री सतीश चन्द्र उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री टी0 एच0 नकवी उपस्थित हुए।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है। अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त किया जावे।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुकूल है। अत: अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
मेरे द्वारा उभय-पक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
पत्रावली के परिशीलन एवं उभय-पक्ष के विद्धान अधिवक्ताद्व्य को सुनने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के पश्चात विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 03-04-2019 की पुष्टि की जाती है।
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अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0 कोर्ट नं0-1