(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-688/2010
Pachimanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd
Verus
Desh Raj Khurana S/O Sri Kanshi Ram R/O Green Lodge, Gurdwara
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री इसार हुसैन, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :10.01.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-217/2005, देशराज खुराना बनाम पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 में विद्वान जिला आयोग, सहारनपुर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 22.03.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता मंच ने परिवादी द्वारा जमा की गयी राशि अंकन 35,000/-रू0 को भविष्य के बिलों में समायोजित करने, मीटर रीडिंग को दुरूस्त करने के साथ-साथ सेवा में कमी के कारण अंकन 2,000/-रू0 एवं वाद व्यय के रूप में हजार रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा गलत मीटर रीडिंग की शिकायत की गयी थी। दिनांक 04.03.2005 को चेकिंग के दौरान विद्युत भार 4.49 किलोवाट पाया गया और केबिल डालना गैर कानूनी बताया गया। आवेदक द्वारा कहा गया कि एक केबिल जनरेटर का है, बिजली का नहीं है, परंतु इसके बावजूद चेकिंग में फंसाने की धमकी दी गयी और 2,16,127/-रू0 का बिल भेज दिया गया। आपत्ति करने पर इस बिल राशि को 60,000/-रू0 कर दिया गया और पूर्व में जमा राशि 10,000/-रू0 को घटाने के पश्चात अवशेष राशि 50,000/-रू0 जमा करने के लिए कहा गया। इसके बाद परिवादी ने 2 किश्तों में 10-10 हजार रू0 जमा किये गये। विपक्षी विभाग द्वारा गलत बिल देरी कर धनराशि वसूली गयी है, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया है। विद्युत विभाग का कथन है कि परिवादी विद्युत चोरी करते पाया गया था इसलिए राजस्व कर का निर्धारण हुआ, जिसकी पूर्ण आपत्ति करने पर अंकन 2,16,127/-रू0 के स्थान पर 60,000/-रू0 का राजस्व निर्धारण किया गया। इसी राशि को जमा करने के लिए कहा गया, जो परिवादी द्वारा आंशिक रूप से जमा भी की गयी, परंतु जिला उपभोक्ता मंच द्वारा इस राशि को अवैध मानने का आदेश पारित किया गया, जो विधि विरूद्ध है।
4. चूंकि परिवाद पत्र में स्वयं अंकित है कि विद्युत विभाग द्वारा चेकिंग की गयी। अत: चेकिंग के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गयी। परिणामत: राजस्व का निर्धारण किया गया, जिसके विरूद्ध स्वयं परिवादी ने आपत्ति की गयी और आपत्ति करने के पश्चात राजस्व निर्धारण की राशि घटा दी गयी। यह राशि सुनिश्चित करने के पश्चात स्वयं परिवादी द्वारा 2 बार 10-10 हजार रू0 जमा भी किये गये, इसलिए स्वयं परिवादी ने विद्युत चोरी के तथ्य को स्वीकार किया और तदनुसार जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष परिवादी के पक्ष में निर्णय पारित करने का कोई आधार नही था, चूंकि राजस्व का निर्धारण चोरी की घटना के पश्चात किया गया है, इसलिए इस निर्धारण में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार जिला उपभोक्ता मंच में निहीत नहीं था। तदनुसार अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट-3