VIRENDRA SINGH filed a consumer case on 09 Jun 2014 against Desert Raga Hotel & Restaurent in the Jaipur-I Consumer Court. The case no is 514/2012 and the judgment uploaded on 27 May 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 514/2012
विरेन्द्र सिंह पुत्र श्री रामेश्वर सिंह, उम्र 32 वर्ष, जाति राजपूत, निवासी 4135, सांखला हाऊस, व्यास काॅलोनी, शास्त्री नगर, जयपुरÛ
परिवादी
ं बनाम
डेजर्ट रागा होटल एण्ड रेस्टोरेन्ट, पता - ढहर के बालाजी, सीकर रोड़, जयपुर जरिए मालिक/प्रोपराईटर/मैनेजर/ अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता Û
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री संदीप सैनी - परिवादी
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 24.04.12
आदेश दिनांक: 27.04.2015
परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 15.04.2012 को विपक्षी के यहां से तीन रोटी, एक प्लेट सब्जी ‘शाही पनीर‘ एवं श्ठंपससमलश् ब्राण्ड की पानी की एक लीटर वाली बोतल क्रय कर कुल 135/- रूपए का भुगतान किया जिसमें पानी की बोतल के लिए 25/- रूपए जोड़ रखे थे जबकि पानी की बोतल पर सभी कर हित अधिकतम विक्रय मूल्य 15/- रूपए अंकित था इस प्रकार विपक्षी ने परिवादी से 10/- रूपए अधिक वसूल किए हैं । विपक्षी से शिकायत की तो विपक्षी ने कहा कि हम तो यहां आने वाले हर ग्राहक से इसी रेट से भुगतान लेते है और तुम्हें भी इसी रेट से भुगतान करना पड़ेगा । पानी की बोतल क्रय करने से इंकार किया तो विपक्षी ने बिल कट जाने के बाद सामान वापिस लेने से इंकार कर दिया इसलिए मजबूरन अधिक रेट पर सामान क्रय करना पड़ा । परिवादी का कथन है कि इस प्रकार विपक्षी अनुचित व्यापार प्रथा अपनाते हुए सेवादोष कारित किया है । ऐसी स्थिति में परिवादी ने अधिक वसूली गई राशि 10/- रूपए 15.04.2012 से 24 प्रतिशत ब्याज सहित, शारीरिक व मानसिक वेदना के लिए 50,000/- रूपए, बतौर हर्जाना 25000/- रूपए , परिवाद व्यय एवं अधिवक्ता फीस के 5500/- रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी की ओर से परिवाद का कोई जवाब पेश नहीं किया गया है ।
मंच द्वारा परिवादी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्को पर विचार किया गया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
परिवादी ने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ-पत्र, पानी की बोतल खरीदने का बिल, प्रश्नगत बोतल की फोटोकाॅपी प्रस्तुत की है ।
परिवाद के कथन व प्रस्तुत साक्ष्य का विपक्षी की ओर से कोई खण्डन नहीं किया गया है । ऐसी स्थिति में परिवादी केे इस कथन पर अविश्वास किए जाने का कोई आधार नहीं है कि पानी की बोतल का अधिकतम विक्रय मूल्य 15/- रूपए होते हुए भी परिवादी से उसके लिए 25/- रूपए वसूल कर लिए गए और इस प्रकार 10/- रूपए अधिक वसूल किए गए हैं । परिवादी यह प्रमाणित कर सका है कि उससे अधिकतम विक्रय मूल्य से 10/- रूपए अधिक वसूल कर विपक्षी ने अनुचित व्यापार प्रथा अपनाई है और सेवादेाष कारित किया है जिससे परिवादी को आर्थिक हानि के साथ-साथ मानसिक संताप होना स्वभाविक हेै ।
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि विपक्षी आज से एक माह की अवधि मंे परिवादी को 10/- रूपए अक्षरे दस रूपए 15.04.2012 से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर सहित अदा करेगा । इसके अलावा परिवादी को कारित मानसिक संताप व आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 5,000/- रूपए अक्षरे पांच हजार रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेगा। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे अन्यथा परिवादी उक्त क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय की राशि पर भी आदेश दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगा । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 27.04.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (राकेश कुमार माथुर)
सदस्य अध्यक्ष
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