(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1820/2009
राम गोपाल शर्मा पुत्र श्री भूदेव प्रसाद शर्मा, निवासी कृष्णा विहार, पाला रोड, सासनी गेट, पुलिस थाना सासनी गेट, जिला अलीगढ़।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
डिप्टी चीफ मैनेजर, शहरी विद्युत वितरण निगम, लि0 अलीगढ़ तथा एक अन्य।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री टी0एच0 नकवी, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से : श्री दीपक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 13.07.2021
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-247/2007 राम गोपाल शर्मा बनाम उप महाप्रबन्धक शहरी विद्युत वितरण निगम लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, अलीगढ़ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.09.2009 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग ने परिवाद खारिज कर दिया है।
2. परिवादी के अनुसार परिवादी की पुत्री की दिनांक 09.05.2007 को शादी थी। परिवादी के घर मे सामान एक ही कमरे में भरा था। दिनांक 20.05.2007 को रात्रि में परिवादी अपने परिवार के साथ छत पर सोया हुआ था तभी करीब 1 बजे परिवादी पेशाब करने उठा तो देखा कि उसके कमरे से धुआं उठ रहा है। परिवादी चिल्लाने लगा आस-पास के लोग भी आ गए और आग को बुझाने लगे। विद्युत विभाग की
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लाइन में एक साथ वोल्टेज अधिक आ जाने के कारण शार्ट सर्किट होने से आग लगी है। आग लगने से अंकन 2,50,000/- रूपये का सामान तथा अंकन 50,000/- रूपये नकद जलकर राख हो गए, जिसे दिलाए जाने हेतु विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षीगण की ओर से कथन किया गया कि विपक्षीगण के विरूद्ध बेबुनियाद एवं मनमाने आधार पर परिवाद दायर किया गया है। परिवादी के मकान में कोई आग विद्युत द्वारा नहीं लगी। उक्त घटना की जांच अवर अभियन्ता द्वारा की गई तथा परिवादी के पड़ोसियों के बयान लिए गए, जिन्होंने परिवादी के यहां आग लगने को झूठा बताया।
4. दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग ने यह निष्कर्ष दिया कि परिवादी शार्ट सर्किट होने के अनेक कारण बता रहा है। विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग ने यह माना कि ऐसा कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है कि शार्ट सर्किट के कारण आग लगी हो, क्योंकि इस स्थिति में केवल परिवादी के कमरे में रखा सामान नहीं अपितु परिवादी के मकान में रखा हुआ अन्य सामान जैसे फ्रिज, टी0वी आदि जल गए थे तथा पड़ोसियों के मकान में भी इसका प्रवाह हुआ होता। तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।
5. इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग ने साक्ष्य के विपरीत केवल कल्पना के आधार पर मनमाना निर्णय/आदेश पारित किया है। परिवादी का परिवार छत पर सोया हुआ था। यूरिनेशन के लिए जब वह छत से नीचे आ रहा था तब उसने देखा कि आग के कारण कमरे में रखा सभी सामान जल गया तथा अंकन 50,000/- रूपये भी दल गया। ऐसा विपक्षी विद्युत विभाग की विद्युत आपूर्ति में लापरवाही के कारण हुआ है।
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6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री टी0एच0 नकवी तथा प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा की मौखिक बहस सुनी गई तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. परिवाद पत्र के अनुसार उसके मकान के एक कमरे में धुआं उठा और चिल्लाने पर पड़ोसी आ गए आग बुझाई गई तब पता चला कि विद्युत विभाग की लाइन में एक साथ अधिक वोल्टेज की विद्युत आ गई थी और तार बस्ट होने के कारण आग लग गई। विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग ने निष्कर्ष दिया है कि यदि विद्युत विभाग द्वारा लापरवाही बरतते हुए विद्युत तारों में अधिक वोल्टेज की विद्युत प्रवाहित की गई होती तब परिवादी के घर में रखा हुआ अन्य सामान भी जल गए होते तथा उस विद्युत लाइन से कनेक्शन प्राप्त करने वाले आस-पास के अन्य लोगों के विद्युत उपरकण भी जल गए होते, परन्तु ऐसा कोई अग्नि काण्ड नहीं हुआ है, इसलिए यह तथ्य साबित नहीं है कि अधिक वोल्टेज आने के कारण लाइन बस्ट हुई हो और परिवादी के घर के एक कमरे में रखा हुआ सामान जल गया हो, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग के द्वारा दिए गए निष्कर्ष में कोई हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। यह उल्लेख भी समीचीन होगा कि इस पीठ के समक्ष भी इस आशय की कोई सुस्पष्ट साक्ष्य स्थापित नहीं की गई, जिससे यह निष्कर्ष दिया जा सके कि विद्युत विभाग की लापरवाही के कारण विद्युत तार में उच्च वोल्टेज की विद्युत आपूर्ति के कारण अग्नि काण्ड हुआ हो। अत: साक्ष्य के अभाव में परिवाद स्वीकार नहीं किया जा सकता था। तदनुसार अपील भी खारिज होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3