जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 92/2014
देवेन्द्र पुत्र बंकटलाल ओझा, निवासी-हाउसिंग बोर्ड, नागौर (राज.)-341001 -परिवादी
बनाम
डीलक्स वैरायटी स्टोर, पशु चिकित्सालय के पीछे, नागौर-341001 जरिये प्रबन्धक
-अप्रार्थी
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री रामकिशोर सोनी, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री ओमप्रकाश पुरोहित, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दिनांक 02.09.2015
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अप्रार्थी से डाक पेड फाइल नम्बर 28 खरीद की जिस पर मंगल फाईल पेड/ फोर कवर फाईल नम्बर 28 अंकित है फाईलों के सामने मूल्य सूची अंकित है। अप्रार्थी ने प्रार्थी से उक्त फाईल के सौ रूपये वसूल कर लिये, जबकि वास्तविक कीमत 50 रूपये है, इस बात की शिकायत जब अप्रार्थी से की गई तो अप्रार्थी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जो कि अनफेयर टेªड प्रेक्टिस की श्रेणी में आता है। अतः प्रार्थी को खुदरा मूल्य से अधिक वसूल की गई राशि 50/- रूपये लौटाई जाए। साथ ही 5000/- रूपये मानसिक क्षतिपूर्ति के व 2000/- रूपये परिवाद-व्यय के रूप में दिलाये जावे।
2. अप्रार्थी का जवाब संक्षेप में निम्न प्रकार है- मूल्य सूची पर अप्रार्थी के प्रतिष्ठान की न तो सील है और ना ही हस्ताक्षर है। अप्रार्थी द्वारा दिये गये बिल में पेड संख्या 28 एवं मंगल अंकित नहीं है। बिल में कांट-छांट की गई है जो कि प्रमाणित नहीं है।
3. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। विद्वान अधिवक्ता प्रार्थी का तर्क है कि प्रार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है उसने अपने प्रतियोगी अध्ययन के क्रम में डाक पेड खरीदी थी। इस सम्बन्ध में अप्रार्थी की ओर से बिल प्रदर्ष पी-1 एवं सूची लिस्ट प्रदर्ष पी-2 प्रार्थी को दी गई थी। अप्रार्थी राजस्थान सरकार को बडे पैमाने पर फाईल पेड/फोर कवर की आपूर्ति करता है। अप्रार्थी के ही द्वारा उक्त दोनों दस्तावेज विवादित डाक पेड क्रय करने पर प्रार्थी को उपलब्ध करवाये गये थे। प्रार्थी ने 50/- रूपये के स्थान पर 100/- रूपये लेने का विरोध भी किया था परन्तु अप्रार्थी ने प्रार्थी की कोई सुनवाई नहीं की इसलिए प्रार्थी को अप्रार्थी के सेवा दोष के कारण मंच में कानूनी उपचार के लिए आना पडा है। अतः ऐसे व्यावसायियों के विरूद्ध कठोर से कठोर कार्रवाई की जाये।
4. विद्वान अधिवक्ता अप्रार्थी का तर्क है कि प्रदर्श पी-1 फाईल नम्बर नहीं है, न ही अप्रार्थी मंगल के फाईल कवर बेचता है। प्रदर्श पी-2 पर भी अप्रार्थी की कोई मोहर व हस्ताक्षर नहीं है। झूंठा दस्तावेज पेश किया गया है।
5. हमारी राय में प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी से विवादित डाक पेड 100/- रूपये में क्रय किया जाना साबित है। एक प्रतियोगी से इस बात की लेष मात्र भी संभावना व्यक्त नहीं की जा सकती कि वह एक बहुत कम मूल्य की फाईल कवर के लिए कहीं अन्यत्र से कीमत की सूची प्राप्त कर धन कमाने के लिए कोई परिवाद प्रस्तुत करेगा क्योंकि यहां धन का मामला नहीं है अपने उपभोक्ता अधिकार का मामला है। प्रदर्श पी-2 अप्रार्थी के द्वारा विक्रित फाईल पेड/फोर कवर से सम्बन्धित है। जिसके मुताबिक फाईल नम्बर 28 जो कि प्रार्थी द्वारा क्रय की गई उसके 50/- रूपये के स्थान पर 100/-रूपये लिये गये जो कि स्पष्टतः सेवा दोष है। इस प्रकार से प्रार्थी अपना परिवाद-पत्र साबित करने में सफल रहा है। परिवाद-पत्र स्वीकार किये जाने योग्य है, स्वीकार किया जाता है तथा आदेष दिया जाता है किः-
आदेश
6. अप्रार्थी, प्रार्थी को अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक वसूल की गई राषि 50/- रूपये एक माह में लौटायंे। साथ ही अप्रार्थी, प्रार्थी को परिवाद व्यय के 2000/- रूपये एवं 2000 रूपये ही मानसिक क्षतिपूर्ति के भी अदा करें।
आदेश आज दिनांक 02.09.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या