Dharmendra Kumar Jain filed a consumer case on 09 Feb 2016 against Deller, Kota Motor Company in the Kota Consumer Court. The case no is CC/242/2008 and the judgment uploaded on 09 Feb 2016.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा (राज)।
पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।
प्रकरण संख्या-242/2008
धर्मेन्द्र कुमार जैन पुत्र श्री विमल चन्द जैन निवासी-मैन बाजार मण्डाना, कोटा (राज0)।
-परिवादी।
बनाम
1 कोटा मोटर कम्पनी जर्ये डीलर,
झालावाड रोड, कोटा (राज0)।
2 जनरल मैनेजर सेल्स
हीरो होण्डा मोटर्स लि0,69 वां किसी स्टोन,देहली-जयपुर हाईवे,
धारूहेरा हरियाणा-121 016
-विपक्षीगण।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री चन्द्रषेखर षर्मा,अधिवक्ता ओर से परिवादी।
2 श्री वी0 के0 राठौऱ,अधिवक्ता ओर से विपक्षीगण।
निर्णय दिनांक 09.02.2016
यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच झालावाड केम्प कोटा को प्राप्त हुई है।
प्रस्तुत परिवाद ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 21-05-2007 को परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्तुत किया था जिसका एकतरफा निर्णय दिनंाक 16-07-2009 को पारित किया गया। निर्णय से व्यथित होकर विपक्षी ने माननीय राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोश आयोग,सर्किट बैंच,कोटा के समक्ष अपील प्रस्तुत की गई और माननीय आयोग ने अपील विपक्षी दिनंाक 28-02-2013 को स्वीकार कर प्रकरण में अपीलार्थी का जवाब लेकर गुणावगुण पर निर्णय पारित करने का आदेष दिया। प्रकरण पुनः निस्तारण हेतु प्राप्त हुआ है।
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संक्षेप में परिवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी-1 से हीरो होण्डा सुपर स्पलेण्डर मोटर साइकिल दिनंाक 11-10-2006 को 43,815/-रूपये में क्रय की जिसका नंबर त्श्र.20.ैक् 3358 है तथा इंजिन नंबर 06 श्र।ब्म् 19514 28.त् 0001 व चेसिस नंबर 06 श्र।ब्थ् 19563 है। परिवादी ने प्रथम सर्विस नियत समय पर दिनांक 07-11-2006 को करायी। मोटर साइकिल के इंजिन ने तैल फेंकना षुरू कर दिया तथा साइलेंसर का मुँह वाला हिस्सा पूरी तरह से गला हुआ निकला। तैल फेंकने की षिकायत परिवादी ने दूसरी सर्विस के समय भी की लेकिन विपक्षी के मैनेजर ने गुपचुप तरीके से इंजिन की पिस्टन रिंग बदलवाकर सर्विस कर दी। दिनंाक 20-03-2007 को इंजिन ने पुनः तैल फेंकना षुरू कर दिया जिसकी षिकायत की तो इंजिन का काम कराने की सलाह दी। परिवादी ने इंजिन में निर्माण दोश बताते हुए नया इंजिन देने अथवा मोटरसाईकिल बदलकर देने हेतु निवेदन किया तो विपक्षी-1 ने स्पश्ट इंकार कर दिया। तदुपरान्त परिवादी ने विपक्षी को दिनंाक 21-03-2007 को पंजीकृत नोटिस दिलाया जिसके जवाब में परिवादी विपक्षी-1 के पास दिनंाक 11-04-2007 को वाहन लेकर गया और विपक्षी ने इंजिन का काम कराने की सलाह दी तो परिवादी ने इंकार कर दिया। विपक्षीगण ने वाहन की गारण्टी वारण्टी प्रदान की है और इंजिन एक महत्वपूर्ण पार्ट है और विपक्षी ने सर्विस बुक में इंजिन को वाहन का लाईफ लाइन दर्षा रखा है। विपक्षीगण का यह कृत्य सेवामें कमी की श्रेणी में आता है। परिवादी ने नया वाहन दिलाने अथवा उसका मूल्य मय बीमा षुल्क व हरजाने के दिलाये जाने का अनुतोश चाहा है।
विपक्षीगण ने परिवाद के जवाब में वाहन क्रय करना स्वीकार किया है। इंजिन द्वारा तैल फेंकने की षिकायत व साइलेंसर का मुंह काला होने की बात से इंकार किया है। जाॅबकार्ड के अनुसार दिनंाक 07-11-2006 को वाहन केवल जनरल सर्विस के लिए आया था, दूसरी सर्विस में परिवादी स्मोकिंग एक्जाॅस्ट एवं जनरल सर्विस हेतु वाहन लाया तो पूर्ण संतुश्टि के साथ वाहन दुरूस्त किया गया और परिवादी के संतुश्टि बाबत् हस्ताक्षर हैं। दिनंाक 20-03-2007 को इंजिन से संबंधित कोई खराबी नहीं थी। वाहन में निर्माण
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संबंधी कोई खराबी नहीं थी। वाहन के संबंध में प्राप्त नोटिस का जवाब दे दिया गया था। परिवादी वाहन को निरन्तर उपयोग उपभोग में ले रहा है। दूसरी सर्विस के समय साइलेंसर की समस्या एक्सीडेण्ट के परिणामस्वरूप आयी थी। इस बात का जाॅबकार्ड में भी इन्द्राज है। वाहन में यदि कोई कमी है तो वे वारण्टी की षर्तों के अधीन करने को तत्पर हैं, वाहन की धूंआ छोड़ने की षिकायत को दूर कर दिया गया है। परिवादी ने निर्माण संबंधी दोश नहीं होने पर भी नया वाहन लेने की नीयत से असत्य तथ्यों पर यह परिवाद पेष किया है जिसे मय हरजाने के निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है।
परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं के षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.26 दस्तावेज तथा विपक्षी की ओर से जवाब के समर्थन में श्री राजेष जगवानी,भागीदार, का षपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
1 क्या परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है ?
परिवादी का परिवाद,षपथ-पत्र तथा प्रस्तुत दस्तावेजात के आधार पर परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता होना प्रमाणित पाया जाता है।
2 क्या विपक्षीगण ने सेवामें कमी की है ?
उभयपक्षों को सुना गया, पत्रावली का अवलोकन किया गया तो स्पश्ट हुआ कि प्रस्तुत प्रकरण में मंच द्वारा दिनंाक 16-07-2009 को एकपक्षीय कार्यवाही कर निर्णय पारित किया गया। तत्पष्चात् माननीय राज्य आयोग से यह प्रकरण रिमाण्ड होकर इस मंच को प्राप्त हुआ है। जवाब आने पर उभयपक्षों को सुना गया। उभयपक्ष इस बिन्दु पर सहमत हैं कि परिवादी ने विपक्षी-1 से दिनंाक 11-10-2006 को विवादित मोटरसाईकिल खरीदी। उसके बाद परिवादी ने पाँच बार फ्री सर्विस करवायी और अन्तिम बार जनरल सर्विस करवायी। इसके बाद उभयपक्षों में मतभेद है, जहाँ परिवादी कहता है कि प्रथम
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सर्विस के बाद ही मोटरसाईकिल के इंजिन ने तैल फेंकना षुरू कर दिया और साईलेंसर का मँुंह वाला हिस्सा पूरी तरह गला हुआ था। विपक्षी के सर्विस स्टेषन पर इसकी षिकायत की और सर्विस करायी लेकिन उसके बाद भी मोटरसाईकिल ठीक नहीं हुई। परिवादी का आरोप है कि सर्विस सेंटर के मैनेजर ने गुप चुप तरीके से इंजिन की पिस्टन रिंगें बदल दीं लेकिन इस तथ्य का प्रमाण परिवादी ने पेष नहीं किया है, न तो रिंगों का बिल पेष किया है और न ही किसी का षपथपत्र पेष किया है। द्वितीय सर्विस के बाद इंजिन का काम कराने की सलाह दी क्योंकि इंजिन में निर्माणकालीन दोश था। परिवादी ने निर्माणकालीन दोश का कोई प्रमाण पेष नहीं किया है। परिवादी की मोटरसाईकिल गारण्टी वारण्टी-पीरियड में थी इसलिए परिवादी की मोटरसाईकिल बदलवायी जाये या पैसा दिलवाया जाये। वहीं विपक्षी का कहना है कि सर्विस सेंटर के मैनेजर ने किसी प्रकार की कोई सलाह नहीं दी। परिवादी जब-जब मोटरसाईकिल को लाया उसी समय वर्कषोप पर सर्विस करके संतुश्ट होने के बाद ही मोटरसाईकिल दी थी। इसके अलावा प्रतिपक्षी ने जरिये पत्र दिनंाक 05-04-2007, 16-04-2007, 21-04-2007 व 07-05-2007 को यह सूचित किया था कि यदि परिवादी को कोई षिकायत हो तो मोटरसाईकिल को वर्कषोप पर लेकर आये। इस तथ्य की पुश्टि म्ग.16ए म्ग.17ए म्ग.18 व म्ग.19 से होती है। सर्विस जाॅब चार्ट में परिवादी द्वारा षिकायत के संबंध में कोई एण्ट्री नहीं है बल्कि हरबार परिवादी संतुश्ट होकर अपनी मोटरसाईकिल को अपने साथ लेकर गया है। इसके अलावा वाहन के रख-रखाव तथा चालक द्वारा निर्धारित गति सीमा में चलाने का तथ्य भी वाहन की खराबी का बिन्दु है। साईलेंसर दुर्घटना में डेमेज हुआ है। परिवादी दिनंाक 24-12-2007 के बाद कभी वाहन को वर्कषोप पर नहीं लाया है और आज भी परिवादी मोटरसाईकिल का बदस्तूर उपभोग कर रहा है। इस प्रकार उपरोक्त विवेचन और विष्लेशण से स्पश्ट है कि परिवादी ने निर्माणकालीन दोश के लिए किसी विषेशज्ञ की रिपोर्ट पेष नहीं की है। मोटरसाईकिल में जो कमियांँ बतायी हैं, उनका अंकन जाॅब षीट में नहीं है। साईलेंसर एक्सिडेण्ट से खराब हुआ है, इस तथ्य का खण्डन नहीं है। विपक्षीगण के पत्र देने के बाद भी परिवादी ने
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मोटरसाईकिल विपक्षीगण को नहीं दिखायी। जो जो षिकायतें थीं जाॅबषीट के अनुसार ठीक की गई और परिवादी संतुश्ट होकर वह मोटरसाईकिल अपने घर लेकर गया है।
अतः उपरोक्त विवेचन और विष्लेशण से विपक्षीगण का सेवादोश किसी प्रकार से साबित नहीं होता है।
3 अनुतोश ?
परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण खारिज किया जाता है।
आदेष
परिणामतः परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण खारिज किया जाता है। प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए पक्षकारान परिवाद का खर्चा अपना अपना वहन करेंगे।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
झालावाड केम्प,कोटा (राज0) झालावाड केम्प,कोटा (राज0)
निर्णय आज दिनंाक 09.10.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
झालावाड केम्प,कोटा (राज0) झालावाड केम्प,कोटा (राज0)
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