राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-1956/2014
(जिला उपभोक्ता फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्या 106/12 में पारित निर्णय दिनांक 14.07.14 के विरूद्ध)
1. यूनियन आफ इंडिया द्वारा डायरेक्टर जनरल डिपार्टमेन्ट आफ पोस्ट
न्यू दिल्ली।
2. सुपरिटेन्डेन्ट आफ पोस्ट आफिस, जौनपुर डिवीजन जौनपुर।
3. उप डाकपाल पोस्ट आफिस केराकत, जिला जौनपुर।
4. चंद्र कुमार शर्मा, रिटायर्ड डाकपाल मौजा शहाबुद्दीन पुर पोस्ट केराकत,
जौनपुर। .......अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
दीपिका सिंह पुत्री जितेन्द्र नरायन राय पत्नी शैलेन्द्र कुमार सिंह निवासी
ग्राम सरायबीरू रोड केराकत, परगना एण्ड तहसील केराकत जिला जौनपुर
वर्तमान पता ग्राम एण्ड पोस्ट असबरनपुर परगना बयालसी तहसील केराकत
जिला जौनपुर। ........प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
1. मा0 श्री विजय वर्मा, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री उदय वीर सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :श्री अशोक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 15.03.2017
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम जौनपुर द्वारा परिवाद संख्या 106/12 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 14.07.2014 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। जिला मंच द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
'' परिवादिनी दीपिका सिंह का परिवाद संख्या 106/12 विपक्षीगण के विरूद्ध इस तरह स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि उक्त चेक की धनराशि का रू. 20000/- एवं उस पर दि. 08.01.2007 से 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दरसे तथा रू. 1000/- वाद व्यय निर्णय की तिथि से एक माह के अंदर परिवादिनी को भुगतान करे।''
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी का एक बचत खाता विपक्षी संख्या 3 उप डाकपाल डाकघर किराकत जिला जौनपुर के यहां था। परिवादिनी वर्ष 2005-06 में इकबाल इंटर कालेज सूरतपुर पेसारा केराकत जिला जौनपुर में इंटरमीडिएट की छात्रा थी
-2-
और उत्तर प्रदेश शासन की घोषणा के अनुसार इंटर परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात आगामी पठन-पाठन हेतु रू. 20000/- आर्थिक सहायता का चेक संख्या 157627 जारी किया गया था। इस चेक को दि. 08.01.2007 को विपक्षी संख्या 3 डाकघर में आहरण हेतु जमा किया गया था। मार्च 2007 तक उक्त धनराशि परिवादिनी के खाते में नहीं आई। परिवादिनी समय-समय पर इस धनराशि के बारे में ज्ञात करती रही। विपक्षी यह कहते रहे कि जानकारी होने पर सूचना दी जाएगी। शासन द्वारा दी गई धनराशि प्राप्त न होने पर उसके द्वारा परिवाद प्रस्तुत किया गया।
जिला मंच के समक्ष विपक्षीगण ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया और यह स्वीकार किया कि परिवादिनी ने उसके डाकघर में एक बचत खाता खोला था। परिवादिनी ने एक चेक धनराशि रू. 20000/- की दि. 08.01.2007 समाशोधन हेतु जमा की थी, लेकिन भूलवश चेक सहायक उपडाकपाल द्वारा रजिस्टर में अंकित नहीं की गई, अत: बैंक को नहीं भेजा जा सका। उक्त चेक कैश बाक्स में अनिस्तारित पड़ा रहा, जो कालातीत हो चुका है।
पीठ ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस को सुना एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया गया।
बहस के दौरान अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता डा0 उदयवीर सिंह ने एक अतिरिक्त लिखित तर्क प्रस्तुत किया, जिसमें यह अंकित किया है कि जिला मंच ने जो धनराशि अनुतोष के रूप में आदेशित की गई वह धनराशि राज्य सरकार द्वारा जिला उपभोक्ता फोरम में जमा कर दी गई थी और जिला उपभोक्ता फोरम ने रू. 33400/- की धनराशि चेक संख्या 083942 दिनांकित 15.12.14 परिवादिनी को उपलब्ध करा दी गई है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक मेहरोत्रा ने इस लिखित कथन पर यह पृष्ठांकित किया है कि परिवादिनी द्वारा चेक दिनांकित 15.12.14 में रू. 33400/- प्राप्त किया जा चुका है। इस प्रकार जिला फोरम ने जो धनराशि अवार्ड की थी वह धनराशि परिवादिनी को प्राप्त हो चुकी है और जिला मंच ने उक्त धनराशि का चेक भी निर्गत कर दिया है जो परिवादी द्वारा प्राप्त किया जा चुका है। इस प्रकार अब उभय पक्षों के मध्य कोई विवाद शेष नहीं रह गया है। अब इस अपील में प्रकरण की वैधानिकता पर कोई प्रकाश डालने की आवश्यकता नही रह जाती है। किसी भी पक्ष को एक दूसरे से कोई धनराशि प्राप्त करना शेष नहीं है।
उपरोक्त विवेचना के दृष्टिगत अपील खण्डित किए जाने योग्य है।
-3-
आदेश
अपील में कोई विवाद न शेष रह जाने के कारण अपील खण्डित की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(विजय वर्मा) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-4