Final Order / Judgement | (मौखिक) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। अपील सं0 :- 462/2016 (जिला उपभोक्ता आयोग, मीरजापुर द्वारा परिवाद सं0- 45/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09/02/2016 के विरूद्ध) Mahindra And Mahindra Financial Services Ltd. City Branch Mirzapur. - Appellant
Versus - Deepak Kumar S/O Sri Surya Narayan Pathak R/O Village Devri Aam Ghat, District Mirzapur
- Agarwal Auto Sales Peeli Kothi, Mirzapur
- Reliance General Insurance Company Ltd. 3rd Floor maker Chambers, Nariman Point, Mumbai.
- Respondents
समक्ष - मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति: अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री अदील अहमद प्रत्यर्थी सं0 1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री आलोक रंजन दिनांक:-07.12.2022 माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - जिला उपभोक्ता आयोग, मीरजापुर द्वारा परिवाद सं0 45/2009 दीपक कुमार बनाम अग्रवाल आटो सेल्स पीली कोठी व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.02.2016 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है। जिला उपभोक्ता मंच ने अपीलार्थी को आदेशित किया है कि परिवादी का अंकन 49,668/- रू0 की राशि 08 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस लौटायी जाये।
- इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिला उपभोक्ता मंच ने विधि विरूद्ध निर्णय व आदेश पारित किया है। परिवादी द्वारा कुल 3,75,000/- रू0 का ऋण प्राप्त किया गया, जिसकी अदायगी 4,61,625/- रूपये होनी थी, परंतु वाहन की चोरी होने के कारण बीमा कम्पनी द्वारा सीधे भुगतान कर दिया गया। परिवादी एवं बीमा कम्पनी द्वारा किया गया कुल भुगतान 4,46,225/- रू0 है, इसलिए अधिक राशि का भुगतान नहीं किया गया। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा विधि विरूद्ध निर्णय व आदेश पारित किया गया है।
- दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्ताओं को सुना तथा प्रश्गनत निर्णय एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- ऋण प्रदाता अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को यह तथ्य स्वीकार है कि परिवादी को जो ऋण प्रदान किया गया था, उसकी अदायगी 04.02.2010 तक होनी थी। जबकि बीमा कम्पनी द्वारा अंकन 3,34,437/- रूपये की अदायगी 29.07.2008 को की गयी थी तथा परिवादी द्वारा अंकन 1,11,812/- रूपये की अदायगी 06.12.2008 को की गयी, यानि जिस अंतिम अवधि पर ऋण चुकता होना था, उससे पूर्व ही ऋण प्राप्त कर चुका है, इसलिए बकाया अवधि का ब्याज घटाने पर जो राशि अवशेष बनती है उसी राशि को वापस लौटाने का आदेश जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित किया गया है, जो विधिसम्मत है, परंतु इस राशि पर ब्याज उच्च दर से निर्धारित की गयी है। ब्याज अधिनियम 1978 की धारा (2) तथा (3) के अनुसार ब्याज दर 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से किया जाना उचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है।
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- आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि ब्याज की देयता जो 08 प्रतिशत निर्धारित की गयी है, उसे 07 प्रतिशत के साथ संशोधित किया जाता है। शेष निर्णय की पुष्टि की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। (विकास सक्सेना)(सुशील कुमार) सदस्य सदस्य संदीप आशु0 कोर्ट 2 | |