राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1029/2016
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम कोर्ट नं0 2, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या 327/2013 में पारित आदेश दिनांक 11.01.2016 के विरूद्ध)
1. Kotak Mahindra Bank Ltd.
Credit Card Operation,
Kotak Infocity Tower-21, 5th Floor General,
A.K. Vaid Marg, Malad East,
Mumbai-400097 Maharashtra.
2. Kotak Maindra Bank Ltd.
RDC, Rajnagar, Ghaziabad-201002
Uttar Pradesh
Through its Authorised Representative Dharmendra
Singh. .................अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
Deepak Singh Bisht
S/O Lal Singh Bisht
House No. 11E-94 Nehru Nagar,
Ghaziabad-201001
Uttar Pradesh. .................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री श्याम कुमार राय,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 30.01.2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-327/2013 दीपक सिंह विष्ट बनाम कोटैक महिन्द्रा बैंक लि0, आर0डी0सी0, राजनगर, गाजियाबाद व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम कोर्ट नं02,
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गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 11.01.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी द्वारा मांगी गयी धनराशि 14,452/- एवं उक्त राशि पर की जा रही ब्याज की मांग निरस्त की जाती है। परिवादी विपक्षी से 2000/- परिवाद व्यय पाने का अधिकारी है।''
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री श्याम कुमार राय और प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने अपीलार्थी/विपक्षीगण से क्रेडिट कार्ड नं0 4147671600150126 जारी कराया है और उसका वह प्रयोग
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करता रहा है तथा क्रेडिट कार्ड का बिल जमा करता रहा है। माह जून 2012 में वह अमेरिका गया था और दिनांक 09.09.2012 को भारत वापस आया।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने डलास (यू0एस0ए0) में दिनांक 22.08.2012 से दिनांक 26.08.2012 के लिए एक कार किराए पर ली थी तथा उसका किराया 18,275/-रू0 दिनांक 27.08.2012 को कार्ड द्वारा अदा किया था।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि 296.67 डालर (अंकन-18,295/-रू0) के लिए उसने कार्ड स्वाइप कराया था और हस्ताक्षर किए थे।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसके भारतवर्ष आने के बाद दिनांक 29.09.2012 को अपीलार्थी/विपक्षीगण ने उसे 13,989/-रू0 (डलास) में कार रैन्टल का बिल भेजा, जबकि उस तिथि पर वह यू0एस0ए0 में नहीं था और उसका क्रेडिट कार्ड उसके पास था।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने इस भुगतान के सम्बन्ध में अपीलार्थी/विपक्षी को दिनांक 01.10.2012 को मेल किया कि यह भुगतान विवादित है इसका भुगतान न किया जाए फिर भी अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा यू0एस0ए0 की कम्पनी को 14,452/-रू0 का भुगतान कर दिया गया। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 कोटैक
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महिन्द्रा बैंक लि0, मलाड ईस्ट मुम्बई को नोटिस भेजा, जिसके जवाब में अपीलार्थी/विपक्षीगण ने उसे पत्र लिखा कि भुगतान आपके द्वारा किया गया है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा कार्ड से कोई भुगतान न करने और कार्ड को स्वाइप न करने पर भी अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा यू0एस0ए0 की कम्पनी को 14,452/-रू0 का भुगतान कर दिया गया है। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण ने लिखित कथन प्रस्तुत किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने यू0एस0ए0 में डालर रैन्ट ए कार दिनांक 21.08.2012 से दिनांक 26.08.2012 तक किराए पर लिया था, जिसके लिए कुल 296.67 अमेरिकी डालर भारतीय मुद्रा में 18,295/-रू0 चार्ज किया गया था।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण ने कहा है कि दिनांक 30.09.2012 को डालर रैन्ट ए कार को ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए क्रेडिट कार्ड का प्रयोग 263.52 अमेरिकी डालर के भुगतान हेतु किया गया है।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण ने कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने डालर रैन्ट ए कार को क्रेडिट कार्ड का प्रयोग अवशेष धनराशि के भुगतान हेतु करने के लिए अधिकृत किया था। प्रत्यर्थी/परिवादी उस समय अमेरिका में था अथवा नहीं यह
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महत्वहीन है।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण ने कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के अमेरिका प्रवास के दौरान दिनांक 21.08.2012 से दिनांक 26.08.2012 की अवधि में टोल वाइलेशन के लिए 263.52 डालर चार्ज किया गया है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त यह निष्कर्ष निकाला है कि दिनांक 29.09.2012 को प्रत्यर्थी/परिवादी भारतवर्ष में था अमेरिका में नहीं। अत: दिनांक 29.09.2012 को विपक्षी कोटैक महिन्द्रा बैंक ने जो 14,452/-रू0 का भुगतान यू0एस0ए0 की कम्पनी को किया है, वह उचित नहीं है और उसकी सेवा में कमी है। अत: जिला फोरम ने उपरोक्त प्रकार से निर्णय और आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के विरूद्ध है।
अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अमेरिका प्रवास के दौरान टोल वाइलेशन किया है, जिसके लिए अमेरिकी कानून के अनुसार उससे प्रश्नगत धनराशि चार्ज की गयी है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते से इस धनराशि की कटौती उचित तौर पर की गयी है।
अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के बैंक एकाउण्ट से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत
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संव्यवहार 30 सितम्बर 2012 को किया गया है, जबकि प्रत्यर्थी/परिवादी का मेल अपीलार्थी/विपक्षीगण के पास 01 अक्टूबर 2012 को 17:39 बजे पहुँचा है और उस समय तक अपीलार्थी/विपक्षीगण के बैंक द्वारा भुगतान किया जा चुका था।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के अनुकूल है। इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण ने जिला फोरम के निर्णय के बाद एकपक्षीय आर्बिट्रेशन कार्यवाही करते हुए जिला फोरम के निर्णय को छिपाकर आर्बिट्रेशन अवार्ड प्राप्त किया है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय पहले पारित किया जा चुका है। अत: एकपक्षीय आर्बिट्रेशन अवार्ड का कोई महत्व नहीं है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण ने जिला फोरम के आदेश को छिपाकर आर्बिट्रेशन अवार्ड कपटपूर्ण ढंग से प्राप्त किया है। अत: उनके विरूद्ध धारा-340 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत विधिक कार्यवाही हेतु प्रार्थना पत्र प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रस्तुत किया है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश में अपीलार्थी/विपक्षीगण को सेवा में कमी का दोषी इस आधार पर
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माना है कि अपीलार्थी/विपक्षी कोटेक महिन्द्रा बैंक द्वारा किया गया प्रश्नगत भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादी के अमेरिका से भारत आने के बाद किया गया है तथा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कार्ड भी स्वाइप नहीं कराया गया है। जिला फोरम ने इस सन्दर्भ में अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि कोटेक महिन्द्रा बैंक ने स्वत: संज्ञान लेते हुए यह भुगतान किया है।
जिला फोरम के निर्णय के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत लिखित कथन में उठाए गए तथ्यों एवं बिन्दुओं पर बिल्कुल विचार ही नहीं किया है। अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत लिखित कथन की धारा-9 में कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपना कार्ड दिनांक 01.10.2012 को दिनांक 30.09.2012 के प्रश्नगत संव्यवहार की सूचना प्राप्त होने के बाद ब्लॉक कराया है। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षीगण ने अपने लिखित कथन में यह भी कथन किया है कि प्रश्नगत धनराशि का भुगतान अमेरिका की डालर रैन्ट ए कार ने दिनांक 21.08.2012 से दिनांक 26.08.2012 तक की अवधि में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा टैक्सी के प्रयोग में टोल वाइलेशन के लिए प्रत्यर्थी/परिवादी के क्रेडिट कार्ड से चार्ज किया है।
परिवाद पत्र के कथन से यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने डलास (अमेरिका) में कार किराया 18,275/-रू0 दिनांक 27.08.2012 को अपने क्रेडिट कार्ड द्वारा अदा किया है और अमेरिका में उसने अपना कार्ड स्वाइप कराया था तथा
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हस्ताक्षर किया था। अत: उभय पक्ष के अभिकथन के आधार पर विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 27.08.2012 को कार के किराए के भुगतान हेतु जो अमेरिका में अपना कार्ड स्वाइप कराया गया था और हस्ताक्षर किया गया था उसके आधार पर अमेरिका के डालर रैन्ट ए कार द्वारा प्रश्नगत भुगतान अपीलार्थी/विपक्षीगण से क्रेडिट कार्ड के माध्यम से प्राप्त किया गया है? ऐसी स्थिति में यह तथ्य भी विचारणीय है कि इस भुगतान में अपीलार्थी/विपक्षीगण की भूमिका क्या रही है। इस सन्दर्भ में संगत तथ्य यह भी विचारणीय है कि अमेरिका के डालर रैन्ट एक कार द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी के क्रेडिट कार्ड के एकाउण्ट से प्रश्नगत धनराशि कब प्राप्त की गयी है और क्या इस संव्यवहार के भुगतान के पूर्व ही प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षीगण के बैंक को भुगतान रोकने हेतु सूचना मेल द्वारा दी थी, परन्तु उपरोक्त बिन्दुओं पर जिला फोरम ने कोई विचार नहीं किया है। अपीलार्थी/विपक्षीगण की प्रश्नगत संव्यवहार के सम्बन्ध में सेवा में कमी निर्धारित करने हेतु उपरोक्त महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विचार किया जाना आवश्यक है।
सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्यों और उपरोक्त विवेचना को दृष्टिगत रखते हुए मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित किया जाना उचित है कि वह उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर इस निर्णय में ऊपर
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अंकित बिन्दुओं पर विचार कर पुन: विधि के अनुसार निर्णय पारित करे। अत: अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि वह उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर इस निर्णय में ऊपर अंकित बिन्दुओं पर विचार कर पुन: विधि के अनुसार निर्णय हाजिरी की तिथि से तीन मास के अन्दर पारित करे।
उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 08.03.2018 को उपस्थित हों।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थीगण को वापस की जाएगी।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से धारा-340 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत प्रस्तुत प्रार्थना पत्र इस प्रकार निस्तारित किया जाता है कि वह जिला फोरम के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने हेतु स्वतंत्र है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1