राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-1868/1996
(जिला उपभोक्ता फोरम, सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्या-678/1996 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14.10.1996 के विरूद्ध)
संजय कुमार पुत्र हीरा लाल, निवासी घोरावल रोड, कस्बा राबर्टगंज, जिला सोनभद्र।
..........................................अपीलार्थी/विपक्षी सं0-3।
बनाम्
1. दीपक कुमार पुत्र नारायण, निवासी घोरावल रोड, कस्बा राबर्टगंज, जिला सोनभद्र।
2. क्रिस्टल क्रेडिट कारपोरेशन लि0, राबर्टगंज, जिला सोनभद्र।
3. श्रीमती किरन बाला पत्नी श्री दिनेश कुमार, निवासी निकट गुरूद्वारा कस्बा राबर्टगंज, जिला सोनभद्र।
4. दिनेश कुमार पुत्र आदित्य प्रसाद, निवासी कस्बा राबर्टगंज, जिला सोनभद्र।
..........................प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-1,2,4।
समक्ष:-
1. माननीय श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 01.10.2014
माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
उभय पक्ष की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। यह अपील वर्ष 1996 से निस्तारण हेतु सूचीबद्ध है। अत: पीठ द्वारा पत्रावली का परिशीलन किया गया और समीचीन पाया गया कि इस प्रकरण का निस्तारण कर दिया जाये।
इस प्रकरण में आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी/प्रत्यर्थी संख्या-1 द्वारा विपक्षी संख्या-1/प्रत्यर्थी संख्या-2 के यहां दैनिक जमा योजना के अन्तर्गत रू0 5/- प्रतिदिन के हिसाब से दिनांक 19.09.1994 को खाता संख्या-341/94 खोला गया। परिवादी प्रतिदिन धनराशि जमा करता रहा और एजेण्ट से पासबुक पर हस्ताक्षर करवाता रहा। इस प्रकार उसकी जमा धनराशि रू0 1640/- हो गयी। परिवादी को पता चला कि विपक्षी संख्या-1 द्वारा उसके लेजर में पैसा बहुत कम जमा दिखाया गया है। परिवादी द्वारा इसी सेवा में कमी से क्षुब्ध होकर प्रश्नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।
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विपक्षीगण द्वारा जिला फोरम के समक्ष परिवादी के कथनों का खण्डन किया गया और कहा गया कि जिस व्यक्ति संजय कुमार को परिवादी ने अपने दैनिक खाते में जमा करने हेतु पैसा दिया था वह विपक्षी का एजेण्ट नहीं था। विपक्षी द्वारा इस सम्बन्ध में धारा-419, 420, 406 तथा 486 आईपीसी का मुकदमा भी दर्ज कराया गया।
जिला फोरम द्वारा उभय पक्ष को सुनने तथा पत्रावली का अवलोकन करने के पश्चात यह निष्कर्ष निकाला गया कि विपक्षी कम्पनी ने अपनी एफआईआर में यह साफ कर दिया है कि एजेण्ट संजय कुमार नहीं है, उसने अनाधिकृत रूप से धन वसूल कर कारपोरेशन व खाताधारियों को धोखा दिया है। ऐजण्ट का नाम किरण बाला है, उक्त एजेण्ट का सारा कार्य उसका पति करता था। इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि परिवादी से दैनिक जमा योजना के अन्तर्गत धन की वसूली विपक्षी के एजेण्ट द्वारा ही की गयी है। इसी आधार पर जिला फोरम द्वारा दिनांक 14.10.1996 को परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया गया था कि वह एक माह के भीतर परिवादी द्वारा जमा धनराशि रू0 1640/- अदा करें तथा उस पर रिकरिंग इण्टरेस्ट 11 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज जमा करने की तिथि से उपलब्ध करायें।
उपरोक्त आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-3 श्री संजय कुमार द्वारा यह अपील दिनांक 04.12.1996 को दाखिल की गयी है। शेष विपक्षीगण द्वारा कोई अपील दाखिल नहीं की गयी है। अपील योजित करने के उपरान्त से अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-3 संजय कुमार की ओर से कोई उपस्थित नहीं हो रहा है और न ही अपील पर कोई बल ही दिया जा रहा है। अत: पीठ द्वारा पत्रावली एवं जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गय। विद्वान जिला फोरम द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश में किसी प्रकार की कोई विधिक अथवा तथ्यात्मक त्रुटि नहीं है, अत: इसमें हस्तक्षेप करने का प्रथम दृष्टया कोई आधार नहीं बनता है। ऐसा प्रतीत होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-3, संजय कुमार उसके विरूद्ध लम्बित आपराधिक वाद अन्तर्गत धारा- 419, 420, 406 एवं 486 भारतीय दण्ड विधि से बचने के लिए यह अपील दाखिल की है। अधीनस्थ फोरम में अपीलार्थी, संजय कुमार के अतिरिक्त शाखा प्रबन्धक, क्रिस्टन क्रेडिट कारपोरेशन लि0 सोनभद्र, श्रीमती किरन बाला पत्नी श्री दिनेश कुमार तथा श्री दिनेश कुमार पुत्र श्री आदित्य प्रसाद भी पक्षकार थे, परन्तु इन तीनों के द्वारा प्रश्नगत निर्णय के विरूद्ध कोई अपील दाखिल नहीं की गयी है। पत्रावली के परिशीलन से यह तथ्य भी प्रकाश में आता है कि कम्पनी के वास्तविक एजेण्ट का नाम श्रीमती किरन बाला था, परन्तु उनकी ओर से समस्त कार्य अपीलार्थी संजय कुमार ही करते थे एवं संजय कुमार के द्वारा ही कम्पनी के समस्त अभिलेख, पासबुक तथा
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बैंक वसूली की हर तिथि पर आवश्यश्क इण्ट्रीज की जाती थीं। पत्रावली के परिशीलन से यह भी स्पष्ट है कि कम्पनी को श्री संजय कुमार के क्रियाकलापों के बारे में जानकारी थी। कम्पनी द्वारा उनके विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट भी लिखायी गयी है। इस प्रकार अपीलार्थी संजय कुमार द्वारा कम्पनी के एजेण्ट तथा अन्य कर्मचारियों की जानकारी में अनाधिकृत रूप से धन वसूली की गयी तथा खाताधारों के साथ धोखाधड़ी का काम किया गया। अत: प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादी को उनके द्वारा जमा की गयी धनराशि को पाने का विधिक अधिकार है। अधीनस्थ फोरम द्वारा उपरोक्त सभी बातों पर विचार-विमर्श करने के उपरान्त दिनांक 14.10.1996 को निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जो प्रत्येक दृष्टिकोण से विधि अनुसार है, अत: इसमें हस्तक्षेप करने का प्रथम दृष्टया कोई आधार नहीं बनता है। वर्णित परिस्थितियों में यह अपील सारहीन होने के कारण निरस्त होने योग्य है।
आदेश
यह अपील सारहीन तथा अदम पैरवी में निरस्त की जाती है। तदनुसार जिला फोरम, सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्या-678/1996 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14.10.1996 की पुष्टि की जाती है। पक्षकार अपना अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे। इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये। पत्रावली दाखिल अभिलेखागार हो।
(आलोक कुमार बोस) (जुगुल किशोर)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0-2
कोर्ट-5