Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/594

Union Of India - Complainant(s)

Versus

Deepak Kumar Sharma - Opp.Party(s)

Dr U V Singh

12 Dec 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/594
( Date of Filing : 06 Apr 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Deepak Kumar Sharma
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 12 Dec 2018
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-594/2011

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, बुलन्‍दशहर द्वारा परिवाद संख्‍या-32/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30.12.2010 के विरूद्ध)

 

1. यूनियन आफ इण्डिया द्वारा चीफ पोस्‍ट मास्‍टर जनरल, यू0पी0 सर्कल, लखनऊ।

2. सुप्रीटेण्‍डेंट आफ पोस्‍ट आफिसेज, बुलन्‍दशहर डिवीजन, बुलन्‍दशहर।

3. पोस्‍ट मास्‍टर, हेड पोस्‍ट आफिस, बुलन्‍दशहर।

                             अपीलकर्तागण/विपक्षीगण

बनाम्     

दीपक कुमार शर्मा पुत्र स्‍व0 श्री नरेश कुमार शर्मा, निवासी नरोत्‍तम शर्मा मकान नं0-16/236, साकेतगली, कृष्‍णा नगर, बुलन्‍दशहर।

                                प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

अपीलकर्तागण की ओर से   : डा0 उदय वीर सिंह, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से        : श्री देश मित्र आनन्‍द, विद्वान अधिवक्‍ता

                                         के सहयोगी अधिवक्‍ता श्री आनन्‍द भार्गव।

दिनांक 18.01.2019

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, विद्वान जिला मंच, बुलन्‍दशहर द्वारा परिवाद संख्‍या-32/2007 में पारित निर्णय एंव आदेश दिनांक 30.12.2010 के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उसने अपने पिता नरेश कुमार शर्मा के साथ मासिक आय योजना        के अन्‍तर्गत मुख्‍य डाक घर बुलन्‍दशहर में रू0 6,00,000/- निवेशित     किये थे, जिसका खाता संख्‍या-एमएस 2500 था, जो दिनांक 17.11.2000/18.11.2000 से प्रारम्‍भ हुआ था। परिवा‍दी तथा उसके पिता को अपीलकर्तागण द्वारा अप्रैल 2005 तक नियमित रूप से ब्‍याज अंकन 5,500/- रू0 भुगतान किये गये। उपरोक्‍त खाता नियमित रूप से चलता रहा। दिनांक 10.05.2005 को परिवादी के पिता श्री नरेश कुमार का देहान्‍त हो गया। परिवादी ने तुरन्‍त अपने पिता की मृत्‍यु की सूचना अपीलकर्ता संख्‍या-2 व 3 को दी और साथ ही उनकी जगह परिवादी की पत्‍नी श्रीमती हेमलता का नाम संयुक्‍त करने की प्रार्थना की। अपीलकर्ता संख्‍या-2 व 3ने परिवादी के पिता का नाम काटकर परिवादी की पत्‍नी, श्रीमती हेमलता का नाम जोड़ दिया और उपरोक्‍त खाता संयुक्‍त बी हो गया। परिवादी तथा उसकी पत्‍नी उपरोक्‍त खाता में संयुक्‍त रूप से ब्‍याज का रू0 5,500/- प्राप्‍त करते रहे। दिनांक 17.11.2006 को उपरोक्‍त खाता संख्‍या-एमएस 250 परिपक्‍व हो गया। परिवादी एंव उसकी पत्‍नी अपीलकर्ता संख्‍या-2 व 3 के कार्यालय गये, तो अपीलकर्तागण ने उपरोक्‍त खाते को दिनांक 10.05.2005 से एकल मानते हुए अंकन 6,24,712/- रू0 की धनराशि का चेक परिवादी को दिया। परिवादी ने इतनी कम धनराशि अदा करने की बावत अपीलकर्तागण से आपत्‍ति‍ की। परिवादी तथा उसकी पत्‍नी के उपरोक्‍त खाता संख्‍या-एमएस 250 के परिपक्‍व होने पर मूलधन अंकन 6,00,000/- रूपये बोनस अंकन 6,000/- रूपये ब्‍याज जुलाई से नवम्‍बर तक अंकन 27,500/- रूपये तथा देरी से की गयी अदायगी पर ब्‍याज अंकन 1,750/- रूपये कुल अंकन 6,89,250/- रूपये बनता है, जिसके एवज में परिवादी को केवल अंकन 6,24,712/- रूपये का भुगतान अपीलकर्तागण द्वारा किया गया। परिवादी व उसकी पत्‍नी अनेकों बार अपीलकर्ता संख्‍या-2 व 3 के कार्यालय में गये, लेकिन अपीलकर्तागण ने सम्‍पूर्ण धनराशि का भुगतान नहीं किया। परिवादी ने दिनांक 12.01.2007 को अपीलकर्तागण व उनके उच्‍च अधिकारियों को पूरे प्रकरण की जानकारी पंजीकृत डाक से दी, लेकिन अपीलकर्तागण ने कोई कार्यवाही नहीं की। इस प्रकार अपीलकर्तागण द्वारा सेवा में त्रुटि कारित की गयी है। अत: परिवादी ने जिला मंच के समक्ष परिवाद प्रस्‍तुत किया।

अपीलकर्तागण द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। अपीलकर्तागण के कथनानुसार परिवादी को रू0 6,24,712/- का भुगतान चेक द्वारा किया गया। परिवादी का अब कोई भुगतान शेष नहीं है। परिवादी को विभागीय नियमों के बारे में स्‍पष्‍ट रूप से बता दिया गया था। मासिक आय खाता संख्‍या-2500 बुलन्‍दशहर डाकघर में दिनांक 08.11.2000 को श्री एन0के0 शर्मा व श्री दीपक शर्मा 3/634 कोठियात डी0एम0 कालोनी के पीछे बुलन्‍दशहर के नाम से संयुक्‍त बी प्रकार का खाता रू0 6,00,000/- से खोला गया था। पोस्‍ट मास्‍टर बुलन्‍दशहर के तत्‍कालीन कर्मचारियों ने दिनांक 19.05.2005 को परिवादी के पिता के देहान्‍त होने पर उनके नाम को काटकर उनकी जगह परिवादी की पत्‍नी हेमलता का नाम अनियमित रूप से जोड़ दिया तथा खाता पुन: सुयक्‍त बी किया गया। परिवादी को दिए गए अधिक ब्‍याज की वसूली कर ली गयी। जमाकर्ता की मृत्‍यु दिनांक 10.05.2005 के बाद रूपये तीन लाख पर कोई ब्‍याज देय नहीं है।

जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए अपीलकर्तागण को आदेशित किया है कि वह परिवादी को उसकी मासिक आय योजना के अन्‍तर्गत एम0एस0 2500 को संयुक्‍त बी खाता मानते हुए उसकी समस्‍त अवशेष धनराशि मय नियत ब्‍याज नियमानुसार इस आदेश के 45 दिन के अन्‍दर अदा करे। इसके अतिरिक्‍त अपीलकर्तागण मानसिक क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 2,000/- रूपये भी परिवादी को अदा करें।

इस निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

हमने अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्‍ता डा0 उदय वीर सिंह तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री देश मित्र आनन्‍द के सहयोगी अधिवक्‍ता श्री आनन्‍द भार्गव के तर्क सुने तथा पत्रावली का अवलोकन किया।

अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि मासिक आय योजना के अन्‍तर्गत संयुक्‍त खाते की स्थिति में यदि एक खातेदार की मृत्‍यु हो जाती है तो एकल खाते के अनुसार ब्‍याज की अदायगी होगी। अपीलकर्तागण के कर्मचारियों द्वारा भूलवश परिवादी के पिता की मृत्‍यु के उपरान्‍त परिवादी की पत्‍नी का नाम प्रश्‍नगत मासिक आय योजना के अन्‍तर्गत खोले गये खाते में जोड़ दिया गया, किन्‍तु अनाधिकृत रूप से किये गये इस कार्य का लाभ परिवादी को प्रदान नहीं किया जा सकता है, क्‍योंकि अनियमित रूप से किया गया यह कार्य संविदा को वैधता प्रदान नहीं कर सकता है।

प्रस्‍तुत प्रकरण में यह तथ्‍य निर्विवाद है कि मासिक आय योजना के अन्‍तर्गत मुख्‍य डाकघर, बुलन्‍दशहर में खोले गये खाते में रू0 6,00,000/- परिवादी तथा उसके पिता श्री नरेश कुमार द्वारा निवेशित किये गये। परिवादी के पिता की मृत्‍यु दिनांक 10.05.2005 को हो गयी। परिवादी के पिता की मृत्‍यु के उपरान्‍त परिवादी ने तुरन्‍त इसकी सूचना अपीलकर्ता संख्‍या-2 व 3 को दी तथा उक्‍त खाते में परिवादी ने अपने पिता के स्‍थान पर अपनी पत्‍नी श्रीमती हेमलता का नाम संयुक्‍त करने की प्रार्थना की। अपीलकर्ता संख्‍या-2 व 3 ने तदोपरान्‍त उक्‍त खाते में परिवादी के पिता का नाम काटकर उसकी जगह परिवादी की पत्‍नी श्रीमती हेमलता का नाम जोड़ दिया तथा खाता संयुक्‍त बी हो गया।

उक्‍त खाते को संयुक्‍त खाता मानते हुए परिवादी तथा उसकी पत्‍नी को उपरोक्‍त खाते से नियमित रूप से ब्‍याज का भुगतान भी किया जाता रहा है। अपीलकर्तागण के कर्मचारियों की गलती के कारण परिवादी को लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी उपरोक्‍त योजना के अन्‍तर्गत संयुक्‍त खाते का लाभ अपीलकर्तागण से क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्‍त करने का अधिकारी है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश में विद्वान जिला मंच द्वारा यह मत व्‍यक्‍त किया गया है कि अपीलकर्तागण यदि चाहें तो संबंधित कर्मचारी के वेतन आदि से उक्‍त धनराशि वसूल कर सकते हैं। हमारे विचार से विद्वान जिला मंच का यह निष्‍कर्ष त्रुटिपूर्ण नहीं है। तदनुसार अपील में कोई बल नहीं है। अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

 

प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.12.2010 की पुष्टि की जाती है।

पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्‍यय-भार स्‍वंय वहन करेंगे।

पक्षकारान को इस निर्णय एवं आदेश की सत्‍यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

 

 

 

 

  (उदय शंकर अवस्‍थी)                          (गोवर्द्धन यादव)

     पीठासीन सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2    

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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