न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 40 सन् 2014ई0
चन्द्रदेव यादव वयस्क पुत्र टेल्हू यादव निवासी शिवनाथपुर तहसील व जिला चन्दौली।
...........परिवादी बनाम
दीपक बिल्डिंग मेटेरियल्स जरिये श्यामा बिन्द वयस्क पुत्र श्री सुदामा बिन्द निवासी पचोखर हाल (पाण्डेयपुर) तहसील व जिला चन्दौली।
.............................विपक्षी
उपस्थितिः-
रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
लक्ष्मण स्वरूप,सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी द्वारा परिवादी को खराब सीमेन्ट देने और इस सम्बन्ध में आश्वासन के बावजूद कोई हल न निकालने से हुई शारीरिक आर्थिक,मानसिक क्षति के रूप में कुल रू0 1,28,600/- तथा अन्य क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2- परिवादी ने संक्षेप में अभिकथन किया है परिवादी ग्राम शिवनाथपुर तहसील व जिला चन्दौली का निवासी है और अपने निवास स्थान पर ही अपने भवन के निर्माण हेतु विपक्षी से दिनांक 30-6-2014 को कुल 15 बोरी सीमेन्ट प्रति बोरी 340/- की दर से खरीदा जिसके लिए कुल 5100/- विपक्षी को परिवादी ने अदा किया। सीमेन्ट के अतिरिक्त परिवादी ने विपक्षी के यहाॅं से बालू,गिट्टी व छड़ आदि भी खरीदा। परिवादी ने विपक्षी के यहाॅं से खरीदे गये सीमेन्ट का प्रयोग अपने मकान के निर्माण हेतु किया। उक्त निर्माण में ईट 4000 जिसकी कीमत 36000/-छड़ 1 कुन्तल रू0 5000/- बालू एक ट्रैक्टर रू0 3500/- गिट्टी रू0 4000/- के साथ ही साथ रू0 10000/- लगभग मजदूरी भी परिवादी का व्यय हुआ। निर्माण कार्य के लगभग 1 माह के बाद ही ईट अपनी जगह से उखड़ गये व सीमेन्ट नहीं पकड़ सके और परिवादी का लगा सारा मकान बिखर गया तथा परिवादी की सारी भवन सामग्री बेकार हो गयी। उपरोक्त स्थिति को देखकर जब परिवादी विपक्षी से मिला तो विपक्षी बोला कि हम चुनार फैक्ट्री का बना जे0पी0 सीमेन्ट बेचते है और वही सीमेन्ट मैने आपको दिया है फिर भी मै इसके लिए फैक्ट्री के अधिकारियों से बात करूंगा। परिवादी जब 10-15 दिन बाद पुनः विपक्षी से इसी बाबत मिला और बोला कि आपकी सीमेन्ट की वजह से हमारे ईट,बालू,गिट्टी व छड़ आदि के साथ-साथ मजदूरी भी व्यर्थ गया आपने फैक्ट्री के अधिकारियों से बात करने को कही थी लेकिन इस सम्बन्ध में अभीतक आप द्वारा कोई भी समाधान या हल इस विवाद का नहीं निकाला गया। परिवादी की उपरोक्त बाते सुनकर विपक्षी टाल-मटोल करता रहा और फैक्ट्री के अधिकारियों से बात कर समस्या के समाधान का आश्वासन देता रहा। प्रार्थी जब पुनः अन्तिम बार दिनांक 16-8-2014 को इस बाबत बात करनी चाही तो विपक्षी परिवादी पर नाराज हो गया और बोला कि हम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते तुमको जो करना होगा
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कर लेना। विपक्षी द्वारा परिवादी को विक्रय किये गये उपरोक्त सीमेन्ट द्वारा निर्मित भवन का नष्ट होना,सीमेन्ट की गुणवत्ता ठीक न होने का प्रमाण है और विपक्षी करप्ट ट्रेड प्रैक्टिस का दोषी है। उपरोक्त कारण से निर्मित भवन गिराना आवश्यक हो गया जिसमे भी परिवादी का समय व पैसा व्यय होगा। अतः परिवादी ने शारीरिक,मानसिक व आर्थिक क्षति के रूप में रू0 1,28,600/- क्षतिपूर्ति की मांग की है,।
3- विपक्षी ने संक्षेप में कथन किया है कि परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधान के मुताबिक उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है तथा परिवादी का परिवाद अधिनियम 1985 में परिभाषित परिवाद की श्रेणी में भी नहीं आता है। परिवादी ने दिनांक 30-6-2014 को सीमेन्ट के क्षेत्र में प्रतिष्ठित कम्पनी जे0पी0 सीमेन्ट कम्पनी का कुल 15 बोरी सीमेन्ट खरीदा था। परिवादी सीमेन्ट बालू का सही अनुपात में मिश्रण नहीं बनाने का दोषी है। सीमेन्ट बेचेने की तिथि से एक माह बाद जब परिवादी हम विपक्षी से जे0पी0 सीमेन्ट की गुणवत्ता में त्रुटि का आरोप लगाया तो विपक्षी ने तत्काल इसकी सूचना सम्बन्धित डीलर तथा कम्पनी के क्वालिटी कट्रोल के इंजीनियर को इसकी सूचना दिया और वे लोग मौके पर आरोपित सीमेन्ट की गुणवत्ता की जांच करने हम विपक्षी के साथ गये तो परिवादी तथा उनकी ओर से कई अज्ञात लोग मौके पर इकट्ठा होकर विपक्षी एवं कम्पनी के डीलर तथा कम्पनी के इंजीनियर के साथ अभद्रतापूर्ण व्यवहार करने लगे। परिवादी तथा एकत्रित अज्ञात लोगों से बार-बार निवेदन किया गया कि वे निर्माण को दिखलाव,े जिसमे खरीदे गये प्रश्नगत सीमेन्ट का उपयोग किया गया है अथवा प्रश्नगत सीमेन्ट का कोई शेष भाग बचा हुआ हो तो उसे कम्पनी के क्वालिटी कन्ट्रोल में जांच हेतु भेजने के लिए नमूना के तौर पर कुछ सीमेन्ट देवे लेकिन परिवादी तथा उसके पक्ष के लोग धक्का मुक्की करते रहे और सुनवा नहीं हुए। परिवादी न तो प्रश्नगत सीमेन्ट से बने निर्माण को दिखलाया और न ही जांच के लिए नमूना के तौर पर बचे हुए सीमेन्ट में से कुछ सीमेन्ट ही दिया। परिणामस्वरूप मौके से विपक्षी व इंजीनियर वापस हो गये। विपक्षी की ओर से त्रुटिपूर्ण निर्माण को देखने तथा सीमेन्ट बाक्स के मिश्रण का नमूना लेने का प्रयास किया गया ताकि सीमेन्ट की गुणवत्ता का पता लग सके लेकिन यह व्यर्थ साबित हुआ। परिवादी का मुख्य उद्देश्य परिवाद हाजा के दबाब में सीमेन्ट की कीमत के एवज में बकाया धनराशि रू0 10726/- का भुगतान नहीं करना भी है। आरोपित क्रयशुदा सीमेन्ट प्रतिष्ठित सीमेन्ट कम्पनी जे0पी0 सीमेन्ट कम्पनी द्वारा निर्मित है जिसकी कांसट्रैक्शन यूनिट डाला चुर्क,चुनार अन्र्तगत जिला मिर्जापुर में स्थित है अतएव परिवाद हाजा फोरम के क्षेत्राधिकार के अभाव में भी बाधित है। परिवाद सही पक्षकार नहीं बनाने तथा वाद का कारण ’’काज आफ एक्सन’’ के अभाव में सव्यय निरस्त होने योग्य है।
4- परिवादी की ओर से साक्ष्य के रूप में परिवादी का शपथपत्र तथा बसन्त यादव पुत्र रामकेश यादव,निवासी रमनापुर (भडेवल) जिला मिर्जापुर का साक्ष्य शपथ
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पत्र,नन्द किशोर यादव पुत्र श्री दुर्गा यादव निवासी शिवनाथपुर तह0व जिला चन्दौली का शपथ पत्र,राजेन्द्र सोनकर पुत्र दीनू सोनकर निवासी चन्दाईत थाना बबुरी जिला चन्दौली का शपथ पत्र तथा सीमेन्ट,बालू,गिट्टी,छड़ आदि क्रय करने की रसीद दाखिल किया गया है। विपक्षी ने अपने जबाबदावा के समर्थन में अपना शपथ पत्र दाखिल किया है इसके अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में किशोरी बिन्द पुत्र दुबरी,लालबाबू उर्फ लाल मुहम्मद पुत्र जिलेदार,जयश्री पुत्र बहराम तथा छांगुर पुत्र संजीव का शपथ पत्र दाखिल किये गये है। तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में विपक्षी की ओरसे सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जे0ई0(आर.ई.डी.) नियमताबाद चन्दौली से प्राप्त सूचना,जयश्री,किशोरी बिन्द तथा लालबाबू को बेचे गये सीमेन्ट व अन्य सामग्री के स्टीमेट की छायाप्रतियाॅं दाखिल की गयी है।
5- परिवादी तथा विपक्षीगण की ओर से लिखित तर्क दाखिल है उनके विद्वान अधिवक्तागण की मौखिक बहस भी सुनी गयी है तथा पत्रावली का सम्यक परिशीलन किया गया।
6- परिवादी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि परिवादी ने विपक्षी से 15 बोरी सीमेन्ट तथा बालू,गिट्टी,छड आदि क्रय किया और उससे अपना मकान बनवाना प्रारम्भ किया लेकिन निर्माण के एक माह बाद ही ईट अपनी जगह से उखड गये क्योकि सीमेन्ट उनको पकड नहीं सका इसकी शिकायत विपक्षी से गयी गयी तो उसने कहा कि वह चुनार फैक्ट्री का जे0पी0 सीमेन्ट बेचता है।अतः इस सम्बन्ध में वह कम्पनी के अधिकारियों से बात करेगा।विपक्षी इस सम्बन्ध में टाल-मटोल करता रहा और अन्त में उसने दिनांक 16-8-2014 को यह कहा कि वह इस सम्बन्ध में कुछ नहीं कर सकता। परिवादी को जो करना है कर ले,परिवादी को विपक्षी द्वारा बेचा गया सीमेन्ट खराब था इसकी गुणवत्ता सही नहीं थी। अतः विपक्षी करप्ट ट्रैड प्रैक्टिस का दोषी है।परिवादी का यह भी तर्क है कि परिवादी का ईट,सीमेन्ट,बालू,गिट्टी,मजदूरी आदि के रूप में जो नुकसान हुआ है वह उसकी क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है। इसके अतिरिक्त परिवादी शारीरिक व मानसिक क्षति,मकान तोडने की मजदूरी तथा वाद व्यय के रूप में भी क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है। इस प्रकार वह कुल रू0 128600/- बतौर क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है।
7- इसके विपरीत विपक्षी की ओर से मुख्य रूप से यह तर्क दिया गया है कि परिवादी ने गलत कथनों के आधार पर मुकदमा दाखिल किया है। वास्तविकता यह है कि परिवादी ने विपक्षी की दूकान से दिनांक 30-4-2014 को 15 बोरी सीमेन्ट के अलावा अन्य सामान कुल रू0 42345/-क्रय किया था। परिवादी ने रू0 35000/- जमा किया तथा रू0 8636/- उसके जिम्मे बाकी रह गया जैसा कि स्वयं परिवादी द्वारा दाखिल रसीद दिनांकित 30-4-2014 से साबित है। परिवादी ने शीघ्र ही बकाया पैसा अदा करने को कहा था। एक महीना बीतने के बावजूद उसने पैसा नही दिया तो विपक्षी ने परिवादी के यहाॅं जाकर बकाया पैसा की मांग किया। इस पर परिवादी ने कहा कि वह बकाया पैसा नहीं देगा और विपक्षी से यह भी
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कहा गया कि तुम घटिया सीमेन्ट बेचते हो मै तुम्हारे खिलाफ मुकदमा करूंगा। विपक्षी की ओर से यह भी तर्क दिया गया है कि उसने सीमेन्ट की गुणवत्ता की जांच कराने हेतु चुनार सीमेन्ट फैक्ट्री से इंजीनियर को बुलाया था लेकिन परिवादी ने उन्हे न तो कोई सीमेन्ट दिखाया और न ही नमूना लेने दिया बल्कि इंजीनियर के साथ अभद्र व्यवहार किया जिसके कारण सीमेन्ट की गुणवत्ता की जांच नहीं हो सकी। विपक्षी की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि विपक्षी ने न्यायालय के समक्ष कोई भी प्रार्थना पत्र देकर गिरी हुई दीवाल की किसी इंजीनियर से जांच नहीं कराया है। विपक्षी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि विपक्षी जे0पी0 सीमेन्ट कम्पनी की गुणवत्ता युक्त सीमेन्ट बेचता है और अनेक लोगों को उसने सीमेन्ट बेचा है कभी किसी ने कोई शिकायत नहीं किया। विपक्षी की ओर से गवाहान किशोरी बिन्द,लालबाबू,जयश्री तथा छांगुर का शपथ पत्र दाखिल किया गया है जिन्होंने यह कहा है कि उन लोगों ने विपक्षी की दूकान से सीमेन्ट आदि खरीदकर मकान बनवाया था और विपक्षी की दूकान से मिलावटी सीमेन्ट नहीं बेची जाती है और उसके द्वारा दी गयी भवन सामग्री में कोई खराबी नहीं पायी गयी है विपक्षी की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है और इस मुकदमें में जे0पी0 सीमेन्ट कम्पनी आवश्यक पक्षकार थी उसे पक्षकार नहीं बनाया गया है और इस प्रकार परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
8- उभय पक्ष के तर्को को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत मुकदमें में यह स्वीकृत तथ्य है कि विपक्षी की भवन सामग्री बेचने की दूकान से परिवादी ने 15 बोरी सीमेन्ट तथा अन्य भवन सामग्री मकान बनाने के लिए क्रय किया था। अतः यह स्पष्ट है कि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है।
9- जहाॅंतक विपक्षी द्वारा दिये गये इस तर्क का प्रश्न है कि प्रस्तुत मुकदमें में जे0पी0 सीमेन्ट कम्पनी आवश्यक पक्षकार है और परिवाद आवश्यक पक्षकार के असंयोजन से दूषित है, तो प्रस्तुत मामले में विपक्षी ने कोई ऐसा साक्ष्य या अभिलेख दाखिल नहीं किया है जिससे यह सिद्ध हो सके कि वह जे0पी0 सीमेन्ट कम्पनी का अधिकृत विके्रता है और इसलिए प्रस्तुत मुकदमें में मेरे विद्वान पूर्वाधिकारी के आदेशानुसार जे0पी0 सीमेन्ट फैक्ट्री का नाम जो विपक्षी संख्या 2 के रूप में परिवाद में दर्ज था डिलीट किया जा चुका है अतः फोरम की राय में प्रस्तुत वाद को आवश्यक पक्षकारों के असंयोजन से दूषित नहीं माना जा सकता है। प्रस्तुत मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने विपक्षी की दूकान से 15 बोरी सीमेन्ट क्रय करके मकान निर्माण कराया था। प्रस्तुत मामले में परिवादी अपना शपथ पत्र दाखिल किया है जिसमे स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि निर्माण के एक माह बाद ही ईट अपनी जगह से उखड गये क्योंकि सीमेन्ट नहीं पकडी और निर्माण में लगा सारा सामान बिखर गया । विपक्षी की ओरसे प्रस्तुत मुकदमें में जन सूचना के अधिकार के तहत जो सूचना जे0ई0(आर.ई.डी.)से प्राप्त की गयी है जो कागज संख्या 13/2 है उसमे जे0ई0ने यह कहा है कि 9इंच की जोडाई के लिए 1ः6 सीमेन्ट व महीन बालू का प्रयोग किया जाना चाहिए तथा 5इंच की जोडाई के लिए
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1ः4 सीमेन्ट व महीन बालू का प्रयोग किया जाना चाहिए। प्रस्तुत मुकदमें में परिवादी की ओर से बसन्त यादव का शपथ पत्र दाखिल किया गया है जिन्होंने अपने शपथ पत्र में कहा है कि वे राजगीर का काम करते है और विगत 10 वर्षो से भवन निर्माण का कार्य करते रहे है और उन्होंने यह भी कहा है कि 10 इंच की दीवालों उन्होंने 6/1 के अनुपात में बालू व सीमेन्ट मिलाकर तथा 5इंच की दीवाल में 5/1 में बालू सीमेन्ट मिलाकर प्रयोग किया था उन्होंने यह भी कहा है कि यह अनुपात बिल्कुल सही व उचित है परिवादी की ओर से राजेन्द्र सोनकर का भी शपथ पत्र दाखिल है इन्होंने ने भी अपने शपथ पत्र में कहा है कि उन्होंने अपना मकान राजगीर बसन्त यादव से बनवाया है जो एक कुशल और अनुभवी राजगीर है और पिछले 10 वर्षो से यह कार्य कर रहे है और अनेक लोगों का मकान इन्होनें बनाया है लेकिन परिवादी चन्द्रदेव के अतिरिक्त अन्य किसी के मकान से निर्माण सम्बन्धी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।इस प्रकार यह स्पष्ट है कि परिवादी ने अपना मकान एक अनुभवी राजगीर से बनवाया था जिसने उचित मात्रा में सीमेन्ट बालू मिलाकर निर्माण कराया था। परिवादी तथा उसके गवाह नन्द किशोर यादव ने भी शपथ पत्र दाखिल किया है जिसमे यह कहा गया है कि निर्माण के एक माह के अन्दर ही सीमेन्ट की खराबी के कारण ईट उखडने लगी और सारा निर्माण बिखर गया अतः उपरोक्त साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि विपक्षी द्वारा जो सीमेन्ट परिवादी को दिया गया था उसकी गुणवत्ता सही नहीं थी अन्यथा एक माह के अन्दर ही कोई निर्माण उखड जाय।यह सम्भव नहीं है जहाॅंतक विपक्षी का कथन है कि उसने जे0पी0 सीमेन्ट फैक्ट्री के इंजीनियर को सीमेन्ट की गुणवत्ता की जांच के लिए बुलवाया था लेकिन परिवादी तथा उसके साथ के लोगों ने इंजीनियर के साथ अभद्रता पूर्ण व्यवहार किया,धक्का मुक्की,गाली-गलौज किया तथा जांच के लिए नमूना भी नहीं लेने दिया तो विपक्षी का उपरोक्त अभिकथन विश्वास योग्य प्रतीत नहीं होता है क्योंकि प्रस्तुत मुकदमें में विपक्षी की ओर से जो इंजीनियर जांच के लिए आया था उनका कोई शपथ पत्र दाखिल नहीं किया गया है और न ही इस बात की कोई वजह बतायी गयी है कि उनका शपथ पत्र क्यों दाखिल नहीं किया गया यहाॅं यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि विपक्षी की ओर से परिवादी के विरूद्ध कही कोई प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज नहीं करायी गयी है न ही कोई शिकायती प्रार्थना किसी अधिकारी को दिया गया है जबकि स्वाभाविक रूप से यदि इंजीनियर व विपक्षी के साथ परिवादी व उसके साथ के लोगों ने अभद्र व्यवहार किया होता,धक्का मुक्की व गाली गलौज किया गया होता तो इस सम्बन्ध में कोई शिकायत अवश्य की गयी होती किन्तु ऐसा नहीं किया गया है इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि विपक्षी का उपरोक्त अभिकथन बिल्कुल गलत है।
इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने विपक्षी की दूकान से जो सीमेन्ट क्रय किया था वह सही गुणवत्ता युक्त नहीं था जिसके कारण परिवादी का निर्माण बिखर गया क्योंकि सीमेन्ट सही ढंग से नहीं पकडी थी और इस प्रकार परिवादी को क्षति कारित हुई है जहाॅंतक परिवादी
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को हुई क्षति के मूल्यांकन का प्रश्न है तो परिवाद में किये गये अभिकथनों से यह सिद्ध नहीं होता है कि परिवादी ने किसी छत आदि का निर्माण कराया था बल्कि राजगीर के बयान से यह स्पष्ट होता है कि केवल दीवाल का निर्माण कराया गया था। परिवाद में यह कहा गया कि निर्माण बिखर गया। अतः यदि सीमेन्ट की खराबी के कारण दीवाल बिखर गयी तो उसमे लगे ईट नष्ट नहीं होगे केवल बालू और सीमेन्ट तथा मजदूरी का नुकसान होगा। दीवाल में कोई गिट्टी या छड लगने का कोई प्रश्न नहीं है। परिवाद पत्र के मुताबिक परिवादी के 15 बोरी सीमेन्ट की कीमत रू0 5100/-है। परिवाद के मुताबिक जो ईट लगी थी वह 4000 थी अतः 4000ईट की दीवाल बनाने की मजदूरी फोरम की राय में रू0 4000/-उचित प्रतीत होती है, इसी प्रकार बालू की कीमत रू0 1000/- उचित प्रतीत होता है। इस प्रकार दीवाल गिरने से परिवादी की जो क्षति हुई है वह फोरम की राय में रू0 10100/- होती है जो परिवादी विपक्षी से प्राप्त करने का अधिकारी है। इसके अतिरिक्त परिवादी को शारीरिक व मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 1000/- तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/- दिलाया जाना भी न्यायसंगत प्रतीत होता है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह आज से 2 माह के अन्दर परिवादी का निर्माण (दीवाल) गिरने से जो क्षति हुई है उसकी क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 10100/-(दस हजार एक सौ) व शारीरिक व मानसिक क्षति के क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 1000/-(एक हजार) तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/-(एक हजार) कुल रू0 12100/-(बारह हजार एक सौ) अदा करें। यदि विपक्षी उपरोक्त अवधि में उक्त धनराशि का भुगतान नहीं करता है तो परिवादी निर्णय की तिथि से पैसा प्राप्त होने की तिथि तक इस धनराशि पर 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक, की दर से व्याज पाने का अधिकारी होगा।
(लक्ष्मण स्वरूप) (रामजीत सिंह यादव)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांक-19-9-2016