JAY RAM SAROJ filed a consumer case on 22 Mar 2022 against DEEP AUTOMOBILES in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/185/2017 and the judgment uploaded on 07 Apr 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 185 सन् 2017
प्रस्तुति दिनांक 24.11.2017
निर्णय दिनांक 22.03.2022
जयराम सरोज पुत्र छोटई सरोज, साकिन- कैथी शंकरपुर, पोस्ट- खनियरा, तहसील- लालगंज, थाना- देवगांव, जनपद- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने सन् 2015 में महेन्द्रा वाहन की कीमत की जानकारी एवं वाहन क्रय करने से सम्बन्धित औपचारिकताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने हेतु विपक्षी संख्या 01 के सैदवारा स्थित शोरूम में गया। वहाँ पर उक्त शोरूम के प्रबन्धक एवं कर्मचारियों ने अपनी बातों में उलझाकर एक महेन्द्रा टी.यू.वी.300टी.8 चार पहिया वाहन क्रय करने हेतु उत्प्रेरित किया। परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 से कहा कि अभी उसके पास वाहन खरीदने हेतु पर्याप्त पैसा नहीं है तब विपक्षी संख्या 01 ने विपक्षी संख्या 03 से वित्तीय सहायता एवं ऋण दिलाने की बात कही। विपक्षी संख्या 01 की बातों में आकर परिवादी ने दिनांक 26.11.2015 को विपक्षी संख्या 01 के सैदवारा आजमगढ़ स्थित शोरूम से एक महेन्द्रा टी.यू.वी.300टी.8 चार पहिया वाहन क्रय किया। जिसके लिए कुछ धनराशि परिवादी ने दिया, शेष धनराशि विपक्षी संख्या 03 द्वारा फाइनेन्स की गयी। विपक्षी संख्या 01 ने प्रश्नगत वाहन का बीमा विपक्षी संख्या 02 से करवाया। उक्त बीमा कम्प्रिहेन्सिव बीमा था। उक्त बीमा में वाहन का मूल्य 8,22,292/- रुपया निर्धारित किया गया। विपक्षी संख्या 01 एवं बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि द्वारा परिवादी को यह आश्वासन दिया गया कि बीमा की समयावधि के दौरान यदि कोई भी दुर्घटना घटित हो जाती है तथा वाहन में किसी प्रकार की क्षति पहुंचती है तो वाहन में आई समस्त प्रकार की क्षति की मरम्मत यथाशीघ्र विपक्षी संख्या 01 के वर्कशॉप में कर दी जाएगी तथा वाहन अविलम्ब परिवादी के कब्जे में दे दिया जाएगा। वाहन के मरम्मत कार्य में जो भी खर्च होगा उसका भुगतान विपक्षी संख्या 01 अपने माध्यम से बीमा कम्पनी से प्राप्त कर लेंगे। वाहन क्रय करने के बाद विपक्षी संख्या 01 ने वाहन के बीमा एवं पंजीयन शुल्क सहित सभी प्रकार की धनराशि परिवादी से ले लिया तथा कहा कि एक महीने बाद आकर के अपना रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र ले लीजिएगा। इसी दौरान दिनांक 20.12.2015 को परिवादी के पड़ोसियों ने अकारण परिवादी से विवाद करके मार-पीट कर परिवादी को घायल कर दिया। परिवादी अपने दवा-इलाज में व्यस्त रहने के कारण विपक्षी संख्या 01 के यहाँ जाकर अपने वाहन के पंजीयन से सम्बन्धित कागजात नहीं ले सका। इसी दौरान दुर्भाग्यवश दिनांक 17.02.2016 को परिवादी का प्रश्नगत वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसमें काफी क्षति पहुंची, जिसकी सूचना परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 को दिया और बीमा कम्पनी द्वारा प्रश्नगत वाहन का सर्वे इत्यादि कराया गया तथा बार-बार कहने के बाद भी विपक्षी संख्या 01 ने न तो वाहन की मरम्मत किया न ही उसे वापस किया। दुर्घटना के बाद से प्रश्नगत वाहन विपक्षी संख्या 01 के अभिरक्षा में पड़ी हुई है। दुर्घटना के बाद से ही प्रश्नगत वाहन विपक्षी संख्या 01 की अभिरक्षा में है। परिवादी ने इस दौरान प्रश्नगत वाहन का कभी भी कोई उपयोग नहीं किया गया फिर भी सारे तथ्यों से अवगत होने के बाद भी विपक्षी संख्या 01 की साजिश एवं प्रभाव में आकर विपक्षी संख्या 03 बार-बार परिवादी के यहाँ ऋण वसूली हेतु नोटिस भेज रहे हैं। विपक्षी का दायित्व था कि वह वाहन की मरम्मत करके परिवादी को सुपुर्द कर देता तथा वाहन की मरम्मत में हुए खर्च को बीमा पॉलिसी की शर्तों के अनुसार बीमा कम्पनी से वसूल कर ले। परिवादी ने अनुतोष में कहा है कि उसका प्रश्नगत वाहन सही व दुरुस्त हालत में उसे वापस दिलाया जाए। विपक्षी संख्या 03 को निर्देशित किया जाए कि वह जब तक परिवादी का वाहन अथवा उक्त वाहन का बीमाकृत मूल्य परिवादी को प्राप्त न हो जाए तब तक परिवादी के विरुद्ध वसूली की कार्यवाही न करें साथ ही प्रश्नगत वाहन की मरम्मत हेतु जितने दिनों तक विपक्षी संख्या 01 के वर्कशॉप में रहा है उक्त अवधि के दौरान मूल ऋण पर किसी प्रकार के ब्याज अथवा अतिरिक्त ब्याज की गणना न करें। मानसिक व शारीरिक क्षति हेतु 1,50,000/- रुपए मय 12% वार्षिक ब्याज भी विपक्षीगण से परिवादी को दिलाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 8/1 आधार कार्ड की छायाप्रति, कागज संख्या 8/2 इनवायस की छायाप्रति, कागज संख्या 8/3 आर.सी. की छायाप्रति, कागज संख्या 8/4 विपक्षी संख्या 02 द्वारा जारी इन्श्योरेन्स की छायाप्रति, कागज संख्या 8/5 मोटर वाहन विभाग द्वारा प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 8/6 इन्फार्मेशन कम एन.ओ.सी. की छायाप्रति, कागज संख्या 8/7ता8/9 रिकाल ऑफ लोन एग्रीमेन्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 8/11व12 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 8/13 जवाब नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 8/14 प्रभारी निरीक्षक देवगांव आजमगढ़ को दिए गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 8/15 इस्टीमेट मेमो की छायाप्रति, कागज संख्या 8/16 डी.एल. की छायाप्रति तथा कागज संख्या 8/19 एफ.आई.आर. की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 11क² विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि बीमा कम्पनी को सूचना मिलने के उपरान्त उसने क्षतिग्रस्त वाहन एवं दुर्घटना की क्षति आंकलन स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष सर्वेयर द्वारा कराया गया। सर्वेयर मौके पर जाकर वाहन में हुई क्षति के फोटोग्राफ्स आदि लिए तथा वाहन में हुई क्षति का आंकलन किया। परिवादी द्वारा कथित वाहन का प्रयोग मोटर अधिनियम के विल्कुल खिलाफ बगैर वैध पंजीयन के ही किया जा रहा था जिस कारण दुर्घटना की तिथि पर कथित वाहन पंजीकृत न होने के कारण परिवादी का दावा निरस्त कर दिया गया। कथित दुर्घटना दिनांक 17.02.2016 को कही जाती है, लेकिन महत्वपूर्ण विन्दु यह है कि उक्त तिथि पर कथित वाहन सम्बन्धित विभाग द्वारा पंजीकृत नहीं था। दुर्घटना के पश्चात् वाहन का रजिस्ट्रेशन कराया गया था जो कि विधि विरुद्ध है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
कागज संख्या 13क² विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि उसे अनावश्यक रूप से पक्षकार मुकदमा बनाया गया है। विपक्षी वाहन के उत्पाद के क्रय-विक्रय एवं सर्विसिंग का कार्य कम्पनी के निर्देशों के अधीन करता है। वाहन सम्बन्धी कमी निर्धारित वारण्टी अवधि के अन्दर वाहन के सामान्य उपयोग व सुरक्षित रख रखाव के दौरान आती है तो विपक्षी सेवा शर्तों के अधीन उत्तरदायी रहता। उक्त वाहन यदि बीमित रहा है तो परिवादी का दायित्व था कि वह सम्बन्धित बीमा कम्पनी से रिपेयरिंग ऑर्डर विपक्षी के अधिकृत कार्यशाला को दिलवाता तो विपक्षी के उक्त बीमा कम्पनी के रिपेयरिंग ऑर्डर रिपेयरिंग कर रिपेयरिंग खर्च नियमानुसार क्लेम कर प्राप्त करता अन्यथा स्वयं रिपेयरिंग खर्च परिवादी अदा कर उक्त वाहन पर आए खर्च की इनवायस प्राप्त कर इनवायस के आधार पर नियमानुसार बीमा कम्पनी की शर्तों के पूर्ण करते हुए क्षतिपूर्ति दावा प्रस्तुत कर प्राप्त कर सकता था। परिवादी विपक्षी के कार्यशाला में दुर्घटना में क्षतिग्रस्त दशा में रिपेयरिंग हेतु लाया गया तथा उसे सभी उपरोक्त शर्त बताई गयी परन्तु न ही संबंधित बीमा कम्पनी से रिपेयरिंग ऑर्डर उपपब्ध कराया न ही वाहन को रिपेयरिंग पर आए अनुमानित खर्च के बाबत खर्च का कोई अंश भी नहीं जमा किया। सेवा शर्तों का उल्लंघन कर जबरदस्ती वाहन रिपेयर कर निःशुल्क दिए जाने का दवाब दिया जाने लगा। परिवादी उक्त वाहन 26.11.2015 को महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाoसoलिo से वित्तपोषित कराकर क्रय किया था। जिसका बीमा उसी तिथि को सम्बन्धित बीमा कम्पनी से हुआ। परन्तु परिवादी द्वारा कहा गया कि वह स्वयं अपने स्तर से वाहन का पंजीयन करा लेगा। परिवादी के इस बात के लिए सेवा शर्तों के अधीन विधिक रूप से दबाव विपक्षी द्वारा नहीं दिया जा सका। इसलिए परिवादी वाहन के पंजीयन की धनराशि नहीं अदा किया। वास्तिवकता यह है कि परिवादी द्वारा वाहन क्रय करने के लगभग तीन माह बाद दिनांक 17.02.2016 को टेलीफोन से उक्त क्रय किए गए वाहन के पंजीयन हेतु निवेदन किया तो पंजीयन शुल्क परिवादी को बताकर वाहन के बाबत दिए गए विक्रय पत्र फार्म 23 आदि तथा पहचान पत्र की फोटो आदि लेकर आने को कहा गया तो परिवादी ने दिनांक 17.02.2016 को ही विपक्षी के फर्म के खाता में अपने खाता से 85,000/- रुपया ट्रान्सफर कर दिया। उसके बाद दिनांक 19.02.2016 को रजिस्ट्री शुल्क में व्यय जो 1,000/- रुपया अधिक हो रहा था जमा कर पंजीयन प्रमाण पत्र ले गया। इस परिवादी द्वारा स्वयं वाहन पंजीयन शर्तों का उल्लंघन कर किया गया। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में साक्ष्य सूची कागज संख्या 15ग² द्वारा विपक्षी द्वारा कागज संख्या 16ग² दीप ऑटोमोबाइल्स द्वारा जारी जयराम के लेजर एकाउन्ट प्रति तथा कागज संख्या 20ग² लोन एग्रीमेन्ट की वेरीफाइड प्रति प्रस्तुत किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर विपक्षी संख्या 02 के विद्वान अधिवक्ता उपस्थिति रहे एवं परिवादी की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं आया और न ही विपक्षी संख्या 01 व 03 की ओर से ही कोई भी उपस्थित रहा। ऐसी स्थिति में विपक्षी संख्या 02 के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी के अनुसार दुर्घटना दिनांक 17.02.2016 की है। विपक्षी संख्या 02 ने अपने जवाबदावा में यह कहा है कि सूचना मिलने पर सर्वेयर नियुक्त कर सर्वे रिपोर्ट मंगाई गयी, लेकिन पता चला कि दुर्घटना के समय सम्बन्धित वाहन पंजीकृत नहीं था। अतः उसका क्लेम निरस्त कर दिया गया। कागज संख्या 8/3 आर.सी. की छायाप्रति है, जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि वाहन का पंजीयन दुर्घटना तिथि 17.02.2016 के पश्चात् 18 फरवरी को कराया गया है। इस प्रकार वाहन दुर्घटना के दिन पंजीकृत नहीं था। अतः नियमानुसार उसे बीमा कम्पनी क्लेम नहीं दी सकती थी। जैसा कि उसके द्वारा जवाबदावा में कहा गया है। जहाँ तक विपक्षी संख्या 01 के उत्तरदायित्व का प्रश्न है तो परिवादी ने कोई वारण्टी का पेपर पत्रावली में प्रस्तुत नहीं किया है। वारण्टी का पेपर न होने से परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 01 के बारे में कही गयी बातों के सम्बन्ध में अनुमान लगाना कठिन है। उपरोक्त विवेचन से हम लोगों के विचार से यह परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 22.03.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.