Uttar Pradesh

StateCommission

R/2009/54

Sahara India Ltd. - Complainant(s)

Versus

Daya Shankar Prasad - Opp.Party(s)

A K Srivastava

28 Sep 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. R/2009/54
( Date of Filing : 04 May 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Sahara India Ltd.
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Daya Shankar Prasad
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Sep 2015
Final Order / Judgement

(मौखिक)

 

पुनरीक्षण संख्‍या-54/2009

सहारा इंडिया लिमिटेड तथा एक अन्‍य बनाम श्री दया शंकर प्रसाद

 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

निर्णय

 

22.02.2023

     पुनरीक्षण आवेदन पेश हुआ। पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक कुमार श्रीवास्‍तव उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

     परिवाद संख्‍या-460/2004, दया शंकर प्रसाद बनाम शाखा प्रबंधक, सहारा इंडिया लि0 व एक अन्‍य में प्रार्थना पत्र 29 ख को विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, देवरिया ने आदेश दिनांक 02.03.2009 द्वारा खारिज कर दिया है, इस आदेश को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने प्रार्थना पत्र 29 ख को संधारणीय न मान कर खारिज कर दिया है और आधार यह लिया गया है कि चूंकि पक्षकारों के मध्‍य पंचाट का निर्णय आ चुका है। पंचाट का निर्णय आने के पश्‍चात उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं था, जबकि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने यह उल्‍लेख करते हुए उपरोक्‍त आवेदन खारिज किया है कि अन्‍य बिन्‍दुओं को भी गुणदोष पर निस्‍तारित किया जाना आवश्‍यक है, केवल पंचाट का निर्णय पारित होने के कारण उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय न हो, विधि के अंतर्गत ऐसी कोई व्‍यवस्‍था नहीं है। उपभोक्‍ता परिवाद तत्‍समय प्रचलित अन्‍य विधियों के अतिरिक्‍त है न कि उनके तहत। अत: यह निर्णय अंतिम रूप से विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग को ही पारित करना है कि उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय है या नहीं। अंतरिम आदेश पर यह निष्‍कर्ष पारित करना संभव नहीं है कि उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय है या नहीं।

अत: प्रस्‍तुत पुनरीक्षण आवेदन खारिज किया जाता है।

पत्रावली दाखिल दफ्तर की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

 

(विकास सक्‍सेना)                                         (सुशील कुमार)

         सदस्‍य                                                      सदस्‍य

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER
 

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