(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-73/2009
Bajaj Auto Finance Limited
Versus
Daya Sagar S/O Late Kamal Ram
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री लल्ला चौहान, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित:- कोई नहीं
दिनांक :13.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-642/2006, दया सागरबनाम बजाज आटो फाइनेंस लि0 व अन्य में विद्वान जिला आयोग, (प्रथम) लखनऊ द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 22.05.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार स्वीकार करते हुए मोटर साईकिल की कीमत अंकन 30,000/-रू0 अपीलार्थी के विरूद्ध अदा करने का आदेश पारित किया है।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी उनका उपभोक्ता नहीं है। उनके द्वारा परिवादी को कोई मोटर साईकिल विक्रय नहीं की गयी, इसलिए उनके विरूद्ध क्षतिपूर्ति का आदेश अनुचित है।
- परिवाद पत्र के विवरण के अनुसार परिवादी ने सेकेण्ड हैण्ड मोटर साईकिल विपक्षी सं0 1 से क्रय की थी, लेकिन विपक्षी सं0 1 द्वारा उस समय मोटर साईकिल के कागजात उपलब्ध नहीं कराये गये। दस्तावेज सं0 19 पर मौजूद सेल रसीद के अवलोकन से ज्ञात होता होता है कि परिवादी को बिन्दा सेवक चौहान नामक व्यक्ति द्वारा यह वाहन 30,000/-रू0 में विक्रय किया गया है न कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0 1 द्वारा। दस्तावेज सं0 20 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि अपीलार्थी द्वारा यह वाहन बिन्दा सेवक चौधरी को विक्रय किया गया है और उसके पश्चात बिन्दा सेवक चौधरी का नाम काटा गया है तथा बंधक डीड समाप्त की गयी, इसी डीड समाप्ति के पश्चात बिन्दा सेवक चौधरी द्वारा वाहन परिवादी को विक्रय किया गया है, परंतु अपीलार्थी द्वारा परिवादी को वाहन के दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराये गये, जिसके कारण गाड़ी का पंजीयन नहीं हो सका और पंजीयन न होने के कारण पुलिस द्वारा वाहन का चालान भी किया गया तथा वाहन को जब्त कर लिया गया। यह सही है कि विक्रेता के नाम पर बिन्दा सेवक चौधरी का नाम अंकित है, परंतु वास्तविक विक्रय अपीलार्थी द्वारा ही किया गया है, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2