( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
पुनरीक्षण वाद संख्या : 19/2023
Sube Singh Rana Vs. Mr. Dava Prabhari, (Claim Head), Raheja QBI General Insurance Company Limited. &ors.
दिनांक : 22-05-2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
पुनरीक्षणकर्ता स्वयं अपने विद्धान अधिवक्ता श्री पियूष मणि त्रिपाठी के साथ उपस्थित आये। विपक्षी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार
मिश्रा उपस्थित।
प्रस्तुत पुनरीक्षण वाद परिवाद संख्या-8/2023 में पारित अन्तरिम आवेदन में दिनांक 15-03-2023 के विरूद्ध योजित की गयी है।
परिवादी द्वारा इस आशय का अन्तरिम आवेदन परिवाद के लम्बित रहते हुए प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी द्वारा जो वाहन संख्या-यू0पी0-17 वी-767 क्रय किया गया था वह दिनांक 04-09-2022 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसका बीमा क्लेम बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
बीमा कम्पनी के अधिकृत सर्विस सेंटर/गैराज द्वारा वाहन की मरम्मत हेतु रू0 2,04,904/-रू0 का स्टीमेंट तैयार किया गया। पालिसी की शर्तों के अनुसार वाहन मरम्मत हेतु गैराज में प्रस्तुत करने के 12 दिन के पश्चात वापस किया जाना था, परन्तु 21 दिन के पश्चात दिनांक 21-10-2022 तक वाहन परिवादी को वापस नहीं किया गया और 21 दिन के पश्चात दिनांक 21-10-2022 को श्री दीपक बत्रा से यह ईमेल प्राप्त हुआ कि कैश विहीन अप्रूवल प्राप्त हुआ है जो बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन है। विपक्षी संख्या-2 द्वारा अवैध रूप से 500/-रू0
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प्रतिदिन के हिसाब से धनराशि की मांग परिवादी से की जा रही है। परिवादी द्वारा अपना वाहन वापस प्राप्त करने तथा किसी अन्य गैराज में वाहन मरम्मत हेतु वापस किये जाने की प्रार्थना की गयी है, परन्तु परिवादी का वाहन गैराज द्वारा वापस नहीं किया जा रहा है।
जिला आयोग द्वारा वाहन को वापस देने का कोई आदेश पारित नहीं किया गया है और अन्तरिम आवेदन खारिज कर दिया गया है।
पीठ द्वारा पुनरीक्षणकर्ता को व्यक्तिगत रूप से एवं उनकी ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता को तथा प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलबध समस्त पपत्रों का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्धान अधिवक्ता द्वारा यह बहस की गयी कि जिस समय वाहन क्रय किया गया था उसी समय बीमा कम्पनी के एजेन्ट वहॉं मौजूद थे और वाहन विक्रेता द्वारा ही वहॉं मौजूद एजेन्ट से वाहन का बीमा कराया गया था। बीमा पालिसी के अनुसार उसे कैशलेश की सुविधा दी गयी थी और जिसके अनुसार वाहन की मरम्मत बीमा पालिसी द्वारा दी गयी कैशलेस सुविधा के अनुसार ही किया जाना था इस तथ्य की पुष्टि पालिसी के अवलोकन से होती है, इसलिए वाहन को रोके जाने तथा रू0 500/- प्रतिदिन के हिसाब से शुल्क लिये जाने का कोई आधार विपक्षी के पास नहीं है और यह समस्त कार्यवाही अवैधानिक है तथा विपक्षी द्वारा अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनाई गयी है। परिवादी द्वारा वाहन क्रय करने के बावजूद वह इस वाहन का उपयोग नहीं कर सका है और विपक्षी द्वारा अवैध रूप से वाहन को रोका गया और 500/-रू0 प्रतिदिन के हिसाब से मांग की गयी।
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विपक्षी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता द्वारा इस पीठ के समक्ष यह आश्वासन दिया गया कि विपक्षी गैराज द्वारा परिवादी के उपरोक्त वाहन को बिना कोई चार्ज लिये वापस कर दिया जावेगा।
विपक्षी के विद्धान अधिवक्ता के उपरोक्त कथन को दृष्टिगत रखते हुए एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त यह पीठ इस मत की है कि प्रस्तुत पुनरीक्षण वाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत पुनरीक्षण वाद स्वीकार किया जाता है और जिला आयोग द्वारा पारित आदेश अपास्त किया जाता है तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसका प्रश्नगत वाहन तुरन्त परिवादी के सुपुर्द कर दें। चूंकि विपक्षी के विद्धान अधिवक्ता उपस्थित हैं अत: यह माना जायेगा कि उन्हें इस आदेश की जानकारी प्राप्त हो चुकी है। यदि विपक्षी द्वारा वाहन तुरन्त परिवादी के सुपुर्द नहीं किया जाता है तब विपक्षी परिवादी को वाहन प्राप्त करने की तिथि के 12 दिन के पश्चात से रू0 500/- प्रतिदिन के हिसाब से क्षतिपूर्ति अदा करने हेतु उत्तरदायी होंगे।
इस निर्णय एवं आदेश का अनुपालन निर्णय से एक माह की अवधि में किया जाना सुनिश्चित किया जावेगा।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1