मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1890/2008
(जिला उपभोक्ता फोरम, मुजफ्फरनगर द्वारा परिवाद संख्या-72/2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.08.2008 के विरूद्ध)
यू0पी0 पावर कारर्पोरेशन लि0 द्वारा एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, ईडीडी, I शामली, मुजफ्फरनगर।
अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम्
दलवीर सिंह पुत्र स्व0 श्री कूड़े सिंह, निवासी ग्राम अलावलपुर माजरा परगना शिकारपुर, तहसील बुढाना, जिला मुजफ्फरनगर।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 09.12.2016
माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, मुजफ्फरनगर द्वारा परिवाद संख्या-72/2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.08.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है, जिसके अन्तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्नवत् आदेश पारित किया गया है :-
'' परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से आज्ञप्त करते हुये विपक्षी विद्युत विभाग को निर्देश दिया जाता है कि वह आज से तीन माह में परिवादी के नलकूप पर विद्युत संयोजन कर विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से करें और विद्युत विभाग द्वारा दिये गये डिमाण्ड नोटिस वास्ते वसूली अंकन 7,066/- रू0 खंडित किया जाता है। चूंकि इस मामलें में विपक्षी विद्युत विभाग ने लम्बे समय तक स्टीमेट जमा कराने के उपरान्त भी परिवादी को विद्युत की सुविधा से वंचित रखा है, अत: इस मद में विद्युत विभाग परिवादी को अंकन 5,000/- रू0 एवं वाद व्यय के मद में अंकन 2,000/- रू0 निर्णय के दिनांक से दो माह के अन्दर अदा करेंगे। ‘’
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अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। यह अपील वर्ष 2008 से निस्तारण हेतु लम्बित है। तदनुसार पीठ द्वारा विद्वान अधिवक्ता अपीलार्थी को सुना गया एवं जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
संक्षेप में, केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा अपनी कृषि सम्बन्धित जरूरतों को पूरा करने तथा सुचारू रूप से खेतों में पानी की आवश्यकता की पूर्ति के लिए विद्युत नलकूप कनेक्शन हेतु विपक्षी/अपीलार्थी के यहां आवेदन दिनांकित 19.10.2002 को रू0 125/- जमा करके किया गया, जिस पर विपक्षी/अपीलार्थी ने अपने पत्र संख्या-70 दिनांकित 28.10.2002 के द्वारा परिवादी/प्रत्यर्थी को पॉच हार्सपावर का नलकूप कनेक्शन देने के लिए एस्टीमेट दिया और एस्टीमेट का रू0 6,302/- का खर्चा बताया गया। परिवादी/प्रत्यर्थी ने अंकन 6,302/- रू0 रसीद संख्या-43 पुस्तक संख्या-064150 दिनांकित 31.12.2002 के द्वारा जमा कर दिया और सभी वांछित औपचारिकताओं को पूर्ण कर दिया गया, परन्तु इसके बाद भी विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा परिवादी को विद्युत नलकूप कनेक्शन उपलब्ध नहीं कराया गया और विद्युत बिल की वसूली के लिए पत्र दिनांकित 10.12.2005 अंकन 7,066/- रू0 का अवैध व गैर कानूनी तरीके से डिमाण्ड नोटिस भेज दिया गया, जिससे क्षुब्ध होकर प्रश्नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।
विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत करते हुए मुख्य रूप से यह अभिवचित किया गया कि परिवादी/प्रत्यर्थी लगातार विद्युत का उपभोग करता आ रहा है, परिवादी/प्रत्यर्थी के नलकूप पर होदी, एक पक्का कमरा बना हुआ है और उस कमरे में विद्युत के उपकरण जिनके द्वारा विद्युत का उपभोग किया जाता है, मौजूद हैं, जिनसे वह लगातार विद्युत का उपभोग करता रहा है, परन्तु विद्युत बिल से बचने के लिए गलत तथ्यों के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है, जो खारिज होने योग्य है।
जिला फोरम द्वारा पक्षकारों को सुनने एवं पत्रावली का अवलोकन करने के उपरान्त उपरोक्त निरस्त एवं आदेश पारित किया गया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया। आधार अपील एवं जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया, जिसमें जिला फोरम ने यह पाया है कि अधिवक्ता आयुक्त की रिपोर्ट प्रपत्र 14 ग व 29 ग से स्पष्ट है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ट्रैक्टर से
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नलकूप चलाकर अपने खेतों की सिंचाई कर रहा है। उसके नलकूप पर विद्युत आपूर्ति नहीं हो रही है। पत्रावली पर विद्युत विभाग ने यद्यपि आयुक्त अधिवक्ता की रिपोर्ट पर आपत्ति की है, परन्तु इन आपत्तियों में यह कहने का साहन नहीं कर सके हैं कि, मौके पर लगे 05 खम्बों पर विद्युत के तार लगे हुए हैं, अत: विद्युत विभाग ने बिना विद्युत आपूर्ति किये ही बिल की मांग की है, जो गलत है। अत: केस के तथ्यों व परिस्थतियों को देखते हुए हम यह पाते हैं कि जिला फोरम ने पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर जो निर्णय एवं आदेश पारित किया है, वह विधिसम्मत है, परन्तु जिला फोरम ने अलग से रू0 5000/- क्षतिपूर्ति हेतु जो आदेश पारित किया है, वह विधिसम्मत नहीं है। तदनुसार वह अपास्त किये जाने एवं प्रस्तुत अपील आंशिक स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक स्वीकार की जाती है। जिला फोरम, मुजफ्फरनगर द्वारा परिवाद संख्या-72/2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.08.2008 के अन्तर्गत आदेशित क्षतिपूर्ति रू0 5000/- हेतु पारित आदेश अपास्त किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
(राम चरन चौधरी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0
कोर्ट-3