राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-694/2015
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या 30/2013 में पारित आदेश दिनांक 13.03.2015 के विरूद्ध)
Ranjit Singh S/O Bachchi Lal R/O Vill. Jalalpur P.O. Pukharyan, Tehsil Bhoginipur District Kanpur Dehat.
...................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. District Consumer Dispute Reddressal Forum, District
Kanpur Dehat, U.P.
2. Adhishashi Abhiyanta Dakshinanchal Vidyut Vitaran
Nigam Ltd, Raniya, District Kanpur Dehat, U.P.
3. Sahayak Abhiyanta Vidyut Vitaran Kendra/Upkhand -
Pukharayan, District Kanpur Dehat, U.P.
4. Tehsildar, Tehsil Bhoginipur, Kanpur Dehat through
Charan Singh Yadav, Collection Amin, Bhoginipur,
Kanpur Dehat. ................प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दिवाकर सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 25-04-2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-30/2013 रणजीत सिंह बनाम सहायक अभियन्ता विद्युत वितरण केन्द्र/उपखण्ड पुखरायां जनपद कानपुर देहात आदि में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर देहात द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 13.03.2015 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के परिवादी रणजीत सिंह की ओर से
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धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अपास्त कर दिया है और उभय पक्ष को अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करने हेतु आदेशित किया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/परिवादी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री दिवाकर सिंह उपस्थित आए। प्रत्यर्थीगण की ओर से नोटिस के तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
हमने अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि उसने विद्युत कनेक्शन हेतु विपक्षी संख्या-1 को 500/-रू0 देकर दिनांक 22.11.1988 को आवेदन किया, जो स्वीकार किया गया। फिर भी उसको विद्युत कनेक्शन नहीं दिया गया। तब अपीलार्थी/परिवादी ने प्रार्थना पत्र दिनांक 21.11.1989 को विपक्षीगण संख्या-1 और 2 के समक्ष कनेक्शन न दिए जाने के बावत प्रस्तुत किया। फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई क्योंकि अपीलार्थी/परिवादी के घर के चारों ओर 200-300 मीटर तक कोई विद्युत पोल नहीं है और न ही कोई विद्युत लाइन है।
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परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि उसे विद्युत कनेक्शन उपलब्ध न कराए जाने के बावजूद विपक्षीगण संख्या-1 और 2 ने 52,000/-रू0 के विद्युत देय की वसूली हेतु आर0सी0 तहसील भेजा है और उसके विरूद्ध विद्युत देय हेतु अवशेष धनराशि 52,000/-रू0 दर्शित किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी को उपरोक्त वसूली प्रमाण पत्र की जानकारी विपक्षी संख्या-3 अमीन से हुई है। तब उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों पर विचार करते हुए आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है और अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद इस आधार पर निरस्त कर दिया है कि वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है।
अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि स्वयं विद्युत विभाग ने अपीलार्थी/परिवादी को उपभोक्ता मानते हुए विद्युत देय की वसूली हेतु उसके विरूद्ध वसूली प्रमाण पत्र जारी किया है। अत: यह कहना उचित नहीं है कि परिवाद में उपभोक्ता विवाद का प्रश्न निहित नहीं है। अत: जिला फोरम ने जो अपीलार्थी/परिवादी को उपभोक्ता न मानकर परिवाद खारिज किया है, वह उचित नहीं है।
हमने अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है।
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अपीलार्थी/परिवादी के अनुसार उसने विद्युत कनेक्शन हेतु 500/-रू0 जमा किया है और आवेदन प्रस्तुत किया है, जो स्वीकार हुआ है, परन्तु उसे कनेक्शन नहीं दिया गया है और उसके विरूद्ध गलत वसूली प्रमाण पत्र जारी किया गया है। ऐसी स्थिति में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षीगण से प्राप्त की गयी सेवा में कमी का प्रश्न वर्तमान परिवाद में निहित है। अत: अपीलार्थी/परिवादी को उपभोक्ता न मानकर जिला फोरम ने जो परिवाद निरस्त किया है, वह उचित नहीं है। जिला फोरम को गुणदोष के आधार पर निर्णय पारित करना चाहिए था।
उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त कर यह प्रकरण जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित किया जाए कि वह उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का पर्याप्त अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार गुणदोष के आधार पर निर्णय पारित करें। अपील तद्नुसार स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील स्वीकार की जाती है। जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 13.03.2015 अपास्त किया जाता है तथा यह प्रकरण इस निर्देश के साथ जिला फोरम को प्रत्यावर्तित किया जाता है कि वह उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का पर्याप्त अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार गुणदोष के आधार पर निर्णय पारित करें।
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अपीलार्थी/परिवादी जिला फोरम के समक्ष दिनांक 29.05.2017 को उपस्थित हो।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1