(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-17/2014
1. दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0, औरैया द्वारा अधिशासी अभियंता, दक्षिणांचल विद्युत वितरण खण्ड-औरैया, जिला औरैया।
2. अधिशासी अभियंता, दक्षिणांचल विद्युत वितरण खण्ड, औरैया।
अपीलार्थीगण/विपक्षी सं0-1 व 2
बनाम्
1. कु0 सुधा, नाबालिग पुत्री राम नरेश, निवासिनी बहादुरपुर, तहसील बिधूना, जिला औरैया, द्वारा पिता व प्राकृतिक संरक्षक राम नरेश पुत्र बाबूराम, निवासी बहादुरपुर (रूरू) तहसील बिधूना, जिला औरैया।
2. यू.पी. निदेशक विद्युत सुरक्षा, उत्तर प्रदेश शासन, कानपुर रीजन, कानपुर।
3. सहायक निदेशक विद्युत सुरक्षा, उत्तर प्रदेश शासन, इटावा जोन, इटावा।
प्रत्यर्थीगण/परिवादिनी/विपक्षी सं0-3 व 4
एवं
अपील संख्या-118/2014
कुमारी सुधा, नाबालिग पुत्री राम नरेश, निवासिनी बहादुरपुर, तहसील बिधूना, जिला औरैया, द्वारा पिता राम नरेश।
अपीलार्थी/परिवादिनी
बनाम्
1. दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0, औरैया द्वारा अधिशासी अधिकारी, दक्षिणांचल विद्युत वितरण खण्ड औरैया, जिला औरैया।
2. एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, दक्षिणांचल विद्युत वितरण खण्ड, औरैया, जिला औरैया।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-1 व 2
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
विद्युत विभाग की ओर से उपस्थित : श्री मनोज कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री राजेन्द्र त्रिपाठी,
विद्वान अधिवक्ता।
शेष विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 18.05.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-93/2012, कु0 सुधा, नाबालिग बनाम दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड तथा तीन अन्य में विद्वान जिला आयोग, औरैया द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06.12.2013 के विरूद्ध अपील संख्या-17/2014 विपक्षी संख्या-1 एवं 2, विद्युत विभाग द्वारा प्रस्तुत की गई है, जबकि अपील संख्या-118/2014, परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत की गई है। चूंकि दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक ही निर्णय/आदेश द्वारा किया जा रहा है। इस हेतु अपील संख्या-17/2014 अग्रणी अपील होगी।
2. परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी के मकान की छत से विपक्षी संख्या-1 एवं 2 ने 11 हजार के.वी.ए. की विद्युत लाईन निकाली, विरोध पर कोई बात नहीं सुनी गई। दिनांक 7.6.2012 को राम नरेश की पुत्री कु0 सुधा परिवादीजन की अनुपस्थिति में अज्ञानतावश छत पर चढ़ गई, जिसकी उम्र 7 वर्ष है, वह छत से गुजरती हुई विद्युत लाईन के सम्पर्क में आ गई और गंभीर रूप से जल गई। दिनांक 8.6.2012 से दिनांक 21.6.2012 तक उसका इलाज हुआ और उसके दोनों हाथ कोहनी से काटने पड़े, जिसके कारण उसका जीवन बर्बाद हो गया और वह दूसरों पर आश्रित हो गई, इसलिए क्षतिपूर्ति के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षी संख्या-1 एवं 2 का कथन है कि विद्युत लाईन खींचने के पश्चात मकान का निर्माण किया गया है, जिसकी सूचना विद्युत विभाग को नहीं दी गई। दिनांक 7.6.2012 को बहादुरपुर में राम शरण के यहां वैवाहिक कार्यक्रम था, वहां जनरेट चल रहा था, उसी जनरेटर के करण्ट से सुधा को चोट आई है। विद्युत घात विभाग की लाईन से नहीं हुआ है, इसलिए परिवाद खारिज होने योग्य है।
4. विपक्षी संख्या-3 एवं 4 का कथन है कि उन्हें अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाया गया है।
5. सभी पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग ने यह निष्कर्ष दिया कि विद्युत लाईन बाद में नहीं खींची गई। मकान का निर्माण पहले हुआ है। विद्युत लाईन खींची गई, जिसका तार ढीला था, इसलिए विपक्षी संख्या-1 एवं 2 क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी हैं। तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा विपक्षी संख्या-1 एवं 2 को आदेशित किया गया कि वह अंकन 1,60,000/-रू0 दिनांक 7.11.2012 से भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करे।
6. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील संख्या-17/2014, विपक्षी संख्या-1 एवं 2 द्वारा इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया है। अपीलार्थीगण के स्तर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। मोटर व्हीकिल एक्ट के प्रावधानों के अनुसार क्षतिपूर्ति का आंकलन करना चाहिए था। परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती। उसके द्वारा अपीलार्थीगण विभाग की कोई सेवाएं प्राप्त नहीं की हुई हैं, वे अपीलार्थीगण को किसी प्रकार का कोई भुगतान नहीं करते। मकान का निर्माण लाईन खींचने के बाद हुआ है। परिवादी ने मकान का निर्माण लाईन खींचने से पूर्व होने का कोई सबूत प्रस्तुत नहीं किया है। 11 हजार के.वी.ए. की लाईन के सम्पर्क में आने के बावजूद कुमारी सुधा की मृत्यु नहीं हुई, इसलिए यह तथ्य स्थापित नहीं होता है कि वह 11 हजार के.वी.ए. की लाईन के सम्पर्क में आई है।
7. परिवादी द्वारा अपील संख्या-118/2014 इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि विद्वान जिला आयोग ने अत्यधिक कम क्षतिपूर्ति की राशि दिलाई है। परिवाद पत्र में वर्णित राशि बतौर क्षतिपूर्ति दिलाई जाए।
8. परिवादी तथा विपक्षी संख्या-1 एवं 2 के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गई तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश तथा पत्रावलियों का अवलोकन किया गया।
9. विद्युत विभाग के विद्वान अधिवक्ता का मुख्य तर्क यह है कि परिवादिनी उनकी उपभोक्ता नहीं हैं, इसलिए परिवाद संधारणीय नहीं है। यह सही है कि परिवादिनी के परिवार के सदस्यों द्वारा 11 हजार के.वी.ए. से कोई विद्युत कनेक्शन प्राप्त नहीं किया हुआ है और न ही ऐसा किया जाना संभव है। परिवाद पत्र में भी अपने मकान में विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने का उल्लेख नहीं है। न ही परिवादी के गांव में विद्युत कनेक्शन उपलब्ध होने का कोई उल्लेख है, परन्तु संजय सिंह, उपखण्ड अधिकारी की रिपोर्ट में उल्लेख है कि गांव का विद्युतीकरण हो चुका है और यह विद्युतीकरण सन 2002 में हुआ था, इसलिए इस रिपोर्ट के आधार पर यह उपधारणा की जा सकती है कि गांव का विद्युतीकरण हो चुका था, इसलिए स्पष्ट रूप से यह तथ्य साबित न होने के बावजूद कि परिवादी द्वारा भी विद्युत कनेक्शन प्राप्त किया हुआ है। गांव में विद्युत कनेक्शन होने के आधार पर यह उपधारणा की जा सकती है कि परिवादी भी विद्युत कनेक्शन का उपभोग करता था, इसलिए वह उपभोक्ता की श्रेणी में आता है।
10. विद्युत विभाग द्वारा इस तथ्य से इंकार नहीं किया गया है कि परिवादी के मकान के ऊपर से विद्युत लाईन नहीं गुजर रही है। उनके द्वारा केवल यह कथन किया गया है कि परिवादी ने मकान विद्युत लाईन डालने के बाद बनाया है और इसकी कोई सूचना विद्युत विभाग को नहीं दी है, जबकि परिवादी की ओर से सशपथ साबित किया गया है कि मकान विद्युत लाईन डालने के पूर्व बन चुका था। विद्युत विभाग द्वारा मकान की ऊंचाई आदि की जानकारी किए बिना और मौके का निरीक्षण किए बिना विद्युत लाईन खींच दी गई।
11. विद्युत विभाग के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि मौके पर उपखण्ड अधिकारी द्वारा जांच की गई और जांच में पाया गया कि घटना की तिथि को परिवादी के परिवार में वैवाहिक कार्यक्रम था, जहां जनरेटर चल रहा था, इसलिए जनरेटर के सम्पर्क में आने के कारण दुर्घटना घटित हुई है, परन्तु इस रिपोर्ट के संबंध में कोई शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया और न ही गांव के किसी व्यक्ति को बतौर साक्ष्यी प्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिए विद्युत विभाग के तर्क में कोई बल नहीं है। विद्युत विभाग द्वारा प्रस्तुत की गई अपील संख्या-17/2014 निरस्त होने योग्य है।
12. अब इस बिन्दु पर विचार किया जाता है कि क्या कुमारी सुधा द्वारा प्रस्तुत की गई अपील को स्वीकृत करते हुए क्षतिपूर्ति की राशि उच्च दर से दिलाई जाने का आदेश पारित करना न्यायोचित है ? इसइ प्रश्न का उत्तर सकारात्मक है। परिवार के सदस्यों के अनुसार घटना की तिथि को कुमारी सुधा की उम्र कुल 7 वर्ष थी, उसके दोनों हाथ कट चुके हैं और जीवन भर के लिए वह अपंग हो चुकी है। उसका कोई उचित वैवाकि परिवेश मिलना भी बहुत कठित कार्य है। यह सही है कि 7 वर्ष की उम्र की बालिका कोई व्यापार या आय के लिए कोई अन्य कार्य नहीं करती थी, परन्तु फिर भी अंकन 1,60,000/-रू0 की धनराशि अत्यधिक कम है। विद्वान जिला आयोग ने अंकन 15,000/-रू0 आय प्रतिवर्ष मानी है, परन्तु लड़की की उम्र बढ़ने पर यह आय न्यूनतम मजदूरी के तथ्य को विचार में लेते हुए भी अंकन 3,000/-रू0 प्रतिमास मानी जा सकती है और चूंकि दोनों हाथ का कटना स्थायी अपंगता की श्रेणी में आता है, इसलिए उसकी कुल आय का 50 प्रतिशत कटौती करने के पश्चात अंकन 18,000/-रू0 आय प्रतिवर्ष मानते हुए 17 का गुणांक लागू किया जा सकता है। इस प्रकार क्षतिपूर्ति की कुल राशि अंकन 18,000 × 17 = अंकन 3,06,000/- (तीन लाख छ: हजार रूपये मात्र) निर्धारित करना उचित है। अत: कुमारी सुधा द्वारा प्रस्तुत की गई अपील संख्या-118/2014 स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
13. विद्युत विभाग द्वारा प्रस्तुत की गई अपील संख्या-17/2014 निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
कुमारी सुधा द्वारा प्रस्तुत की गई अपील संख्या-118/2014 स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि कुमार सुधा को अंकन 3,06,000/- (तीन लाख छ: हजार रूपये मात्र) बतौर क्षतिपूर्ति देय होगी। इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज भी देय होगा।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्या-17/2014 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय एवं आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2