Uttar Pradesh

StateCommission

A/403/2018

Udaiveer Singh Pal - Complainant(s)

Versus

Dakshinanchal Vidyut Vitaran Nigam - Opp.Party(s)

Umesh Kumar Sharma

28 Feb 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/403/2018
( Date of Filing : 28 Feb 2018 )
(Arisen out of Order Dated 18/01/2018 in Case No. C/106/2016 of District Etawah)
 
1. Udaiveer Singh Pal
S/O Sri Nathu Ram Pal R/O Vill. Pahadpur P.S. Labedi Distt. Etawah
...........Appellant(s)
Versus
1. Dakshinanchal Vidyut Vitaran Nigam
IInd Friends Colony Etawah
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Feb 2023
Final Order / Judgement

( मौखिक )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या: 403/2018

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, इटावा द्वारा परिवाद संख्‍या- 106/2016 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18-01-2018 के विरूद्ध)

 

उदयवीर सिंह पाल पुत्र श्री नाथूराम पाल, निवासी- पहाड़पुर थाना लबेदी जिला इटावा।

                                                                  अपीलार्थी

बनाम

एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, दक्षिणांचल विद्युत वितरण खण्‍ड द्धितीय फ्रेंड्स कालोनी इटावा

                                                                         प्रत्‍यर्थी

समक्ष  :-

     माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

 

     उपस्थिति :

     अपीलार्थी की ओर से - विद्वान अधिवक्‍ता श्री उमेश कुमार शर्मा

     प्रत्‍यर्थी की ओर से - विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए०के० जैदी

 

दिनांक :  28-02-2023

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष  द्वारा उदघोषित निर्णय

   प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी उदयवीर सिंह पाल द्वारा परिवाद संख्‍या- 106/2016 उदयवीर सिंह पाल बनाम एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, दक्षिणांचल विद्युत वितरण खण्‍ड द्धितीय में जिला उपभोक्‍ता आयोग, इटावा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनां‍क- 18-01-2018 के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत इस न्‍यायालय के सम्‍मुख योजित की गयी है।

   विद्वान जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

2

परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है और परिवादी के विद्युत कनेक्‍शन की स्‍थायी तिथि 05-12-2009 मानकर तैयार की गयी पी.डी. विश्‍वसनीय और मानने योग्‍य पायी जाती है और परिवादी को निर्देश दिया जाता है कि वह संशोधित बिजली विभाग में पी.डी. से संबंधित नोटिस दिनांक 14-07-2017 में वर्णित धनराशि मु० 55,958/- बिना किसी अन्‍य चार्ज या ब्‍याज के एक माह में जमा करें और संबंधित अधिशाषी अभियन्‍ता बिजली विभाग उसे स्‍वीकार करें और परिवादी को वाद व्‍यय के रूप में 5000/- अदा करें या उसे उक्‍त धनराशि में समायोजित करें, साथ ही इस सम्‍बन्‍ध में निर्गत पूर्व की राशि या डिमाण्‍ड नोटिस निरस्‍त समझी जाए। अनुपालन सुनिश्चित हो।

जिला आयोग के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत अपील योजित की गयी है।

वाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने नलकूप लगाने हेतु एक कनेक्‍शन विपक्षी विद्युत विभाग से लिया था। उक्‍त नलकूप फेल हो जाने के कारण परिवादी ने अपना बिजली कनेक्‍शन विच्‍छेदित करने हेतु आवेदन दिनांक 06-12-2006 को दिया था और उसका कनेक्‍शन दिनांक   06-12-2006 को अस्‍थायी रूप से विच्‍छेदित कर दिया गया फिर भी कनेक्‍शन चालू मानकर बिल आता रहा और मुबलिग 1,44,812/- रू० बकाया दर्शाते हुए दिनांक- 31-12-2014  को एक सप्‍ताह में जमा करने हेतु नोटिस दिया गया। उस सम्‍बन्‍ध में परिवादी ने अधिशाषी अभियन्‍ता को पत्र भेजा और लिखित में शिकायत भी की। परन्‍तु उसकी समस्‍या का समाधान नहीं किया गया और नाजायज तरीके से वसूली की धमकी दी गयी। अत: विवश होकर परिवाद जिला आयोग के सम्‍मुख योजित किया गया।.

विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत करते हुए परिवादी का संयोजन 10 हार्स पावर का होना स्‍वीकार किया गया है। परिवादी ने

3

पी०डी० फीस दिनांक 19-11-2009 को 275/-रू० जमा किया है उसी आधार पर विच्‍छेदन की तिथि 05-12-2009 मानकर पी०डी० फाइनल किया गया है। परिवादी पर 55,958/-रू० शेष था,  उसी की वसूली हेतु डिमाण्‍ड नोटिस भेजी गयी है। विपक्षी द्वारा कोई अवैध वसूली नहीं की गयी है।

विद्वान जिला आयोग द्वारा उभय-पक्ष को सुनकर तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त पपत्रों को सम्‍यक परीक्षण एवं परिशीलन करने के उपरान्‍त उपरोक्‍त आदेश पारित किया गया है।

    मेरे द्वारा उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्‍यक अवलोकन किया गया। जिला आयोग द्वारा पारित किये गये निर्णय एवं आदेश से मैं पूर्णत: सहमत हूँ जिसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं प्रतीत होती है। तदनुसार अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

      आदेश

     अपील निरस्‍त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अनुपालन दो माह की अवधि में सुनिश्चित कि‍या जावे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को     आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

               

                   कृष्‍णा–आशु0  कोर्ट नं0 1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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