Uttar Pradesh

StateCommission

A/352/2019

Smt. Sushila Devi - Complainant(s)

Versus

Dakshinanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd - Opp.Party(s)

Ashok Kumar Maurya & Anil Kumar Maurya

01 Aug 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/352/2019
( Date of Filing : 12 Mar 2019 )
(Arisen out of Order Dated 31/01/2019 in Case No. C/08/2014 of District Hathras)
 
1. Smt. Sushila Devi
W/O Sri Sobaran Singh R/O Vill. Dayanatpur Post office Ruhedi Distth Hathras
...........Appellant(s)
Versus
1. Dakshinanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd
Vidyut Vitran Khand II Aadpura bijli Ghar Mathura Toad Hathras Through its Executive Engg.
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Aug 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-352/2019

श्रीमती सुशीला देवी पत्‍नी श्री सोवरन सिंह

बनाम

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : कोई नहीं।

दिनांक :- 01.8.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ परिवादिनी श्रीमती सुशीला देवी द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, हाथरस द्वारा परिवाद सं0-08/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 31.01.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादिनी के नाम प्रत्‍यर्थी/विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा आवंटित निजी नलकूप विद्युत कनेक्‍शन 10 एच0पी0 का स्‍वीकृत है, जिसके विद्युत बिलों का भुगतान अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा समय-समय पर किया जाता रहा तथा अपीलार्थी/परिवादिनी नलकूप का उपभोग कर अपनी कृषि भूमि की सिंचाई करती है। अपीलार्थी/परिवादिनी के विद्युत कनेक्‍शन निजी नलकूप से सम्‍बन्धित ट्रांसफार्मर माह सितम्‍बर/अक्‍टूबर, 2012 में जल गया, जिसे प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा बदला नहीं गया। अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा दिनांक 10.01.2023 को अंतिम बिल का भुगतान कर दिया गया था, जिसकी शिकायत दिनांक 05.10.2012 व 16.12.2012 व 18.6.2013 को तहसील में की गई जिसके बाद अधिशासी अभियंता

-2-

द्वारा दिनांक 04.7.2013 को अपीलार्थी/परिवादिनी को पत्र भेजकर ट्रांसफार्मर उठाने के लिए कहा गया परन्‍तु वर्कशॉप पर ट्रांसफार्मर उपलब्‍ध न होने का बहाना बना कर अपीलार्थी/परिवादिनी को लौटा दिया गया, जिसकी शिकायत दिनांक 14.11.2013 को की गई, जिसके आधार पर पुन: दिनांक 19.11.2013 को पत्र अधिशासी अभियंता द्वारा अपीलार्थी/परिवादिनी के अधिवक्‍ता को नोटिस का जवाब भेजकर ट्रांसफार्मर को उठाने को कहा गया। परन्‍तु वर्कशॉप जाने पर ट्रांसफार्मर नहीं दिया गया। बल्कि एक नोटिस अंतिम विषयक उत्‍तर प्रदेश सरकारी बिजली व्‍यवस्‍था संस्‍था (देयों की वसूली) अधिनियम, 1958 की धारा-3 के अधीन डिमाण्‍ड नोटिस भेज दिया गया, जिसमें अपीलार्थी/परिवादिनी के ऊपर रू0 1,61,003.00 बकाया दर्शाया गया जबकि माह सितम्‍बर/अक्‍टूबर, 2012 से ट्रांसफार्मर खराब पडा है अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों को अस्‍वीकार किया गया।  

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"परिवादिनी का परिवाद विरूद्ध विपक्षी आंशिक रूप से इस आशय से स्‍वीकार किया जाता है कि परिवादिनी के निजी नलकूप कनेक्‍शन सं0-0394 बुक सं0-702 के 65 के0वी0ए0 के परिवर्तक के माह अक्‍टूबर 2012 से फुक जाने तथा उसके स्‍थान पर दिनांक 13.7.2015 को नवीन 65 के0वी0ए0 का परिवर्तक विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा बदले जाने तक की अवधि का विद्युत बिल निरस्‍त किये जाने हेतु जारी नोटिस

-3-

क्रमांक 1346 दिनांक 12.8.2013 को समाप्‍त करने हेतु विपक्षी विद्युत विभाग को आदेशित किया जाता है तथा परिवा‍दनी को हुए मानसिक संताप हेतु 5,000.00 रू0 तथा परिवाद व्‍यय हेतु मु0 2000.00 रू0 की अदायगी भी विपक्षी विद्युत विभाग नियमानुसार करें। उक्‍त अनुपालन विद्युत विभाग निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्‍दर की जाए।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है। अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश को अपास्‍त कर अपील में उल्लिखित सम्‍पूर्ण अनुतोष को यथावत दिलाये जाने की प्रार्थना की गई है।

प्रस्‍तुत अपील विगत लगभग पॉच वर्षों से लम्बित है एवं पूर्व में अनेकों तिथियों पर अधिवक्‍तागण की अनुपस्थिति के कारण स्‍थगित की जाती रही है, आज पुन: अपीलार्थी के अधिवक्‍ता अनुपस्थित है अत्एव मेरे द्वारा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि सम्‍मत है। मेरे विचार से प्रस्‍तुत अपील आधार के परिशीलन से अपील को स्‍वीकार कर याचित अनुतोष में अभिवृद्धि किये जाने हेतु कोई उचित एवं पर्याप्‍त आधार स्‍पष्‍ट नहीं हो रहा है अत्एव अपील बलहीन होने के कारण निरस्‍त की जाती है।

अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित

-4-

ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                                 (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                     

                                           अध्‍यक्ष                                                                                                                                

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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