Uttar Pradesh

StateCommission

A/43/2021

Bajaj Allianz Life Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Daksh Kumar - Opp.Party(s)

Prasoon Srivastava

30 Apr 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/43/2021
( Date of Filing : 19 Jan 2021 )
(Arisen out of Order Dated 14/10/2020 in Case No. C/2018/23 of District Banda)
 
1. Bajaj Allianz Life Insurance Co. Ltd
Through M.D. G.E. Plaza 5th Floor B- Wing Airport Road Yarvada Pune (Maharashtra) 411006
...........Appellant(s)
Versus
1. Daksh Kumar
S/O Shri Baldev R/O Viullage Kaimaiha Dera Mazra Marka Police Station marka Tehsil Bebaru Distt. Banda
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 30 Apr 2024
Final Order / Judgement

( मौखिक )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्‍या : 43/2021

 

बजाज आलियांज लाइफ इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी व अन्‍य

 

बनाम्

दक्ष कुमार पुत्र श्री बल्‍देव निवासी ग्राम कैमइहा डेरा मजरा मर्का थाना मर्कातहसील बबेरू जिला बॉंदा।

                                       

समक्ष  :-

  1-मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार,       अध्‍यक्ष।   

 

  उपस्थिति :

  अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित- श्री प्रसून श्रीवास्‍तव।   

  प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित-    श्री एस0 के0 शुक्‍ला।

दिनांक : 30-04-2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष  द्वारा उदघोषित निर्णय

  परिवाद संख्‍या-23/2018 दक्ष कुमार बनाम बजाज आलियांज लाइफ इ0कं0 व दो अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, बॉंदा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 14-10-2020 के विरूद्ध  प्रस्‍तुत अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत की गयी है।

  ‘’आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद  आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित निर्णय एवं आदेश पारित किया है :-

 

-2-

  परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह आदेश की तिथि से एक माह के अंदर परिवादी को मृतक पत्‍नी स्‍व0 मंजू देवी की बीमा क्‍लेम की धनराशि मु0 3,45,000/-रू0 का भुगतान वाद दायर करने की तिथि से अंतिम अदायगी की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ करें। इसके अतिरिक्‍त परिवादी विपक्षीगण से मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 5,000/- व वाद व्‍यय के रूप में रू0 2,000/- भी प्राप्‍त करने का अधिकारी है। ‘’

  विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर   परिवाद के विपक्षीगण की ओर से यह अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख योजित की गयी है।

  अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी की पत्‍नी ने विपक्षी सं0-3 से बीमा पालिसी प्राप्‍त की, जिसकी वार्षिक किश्‍तों के रूप में परिवादी की पत्‍नी ने प्रथम किश्‍त दिनांक 19-10-2016 को 23,970.40 पैसे जमा किया और कुल बीमा राशि 3,45,500/-रू0 थी। परिवादी की पत्‍नी के पेट में दिनांक 04-01-2017 को दर्द होने लगा और अस्‍पताल ले जाते समय रास्‍ते में उसकी मृत्‍यु हो गयी। परिवादी ने विधिक उत्‍तराधिकारी होने के नाते  सभी प्रपत्र विपक्षीगण के यहॉं क्‍लेम पाने हेतु जमा कर दिये किन्‍तु दिनांक 14-06-2017 को परिवादी का क्‍लेम निरस्‍त

 

-3-

कर दिया गया। परिवादी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विपक्षीगण को नोटिस दी जिस पर विपक्षीगण द्वारा नोटिस का जवाब देते हुए क्‍लेम को पुन: निरस्‍त कर दिया। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को उसकी पत्‍नी की मृत्‍यु के उपरान्‍त बीमा क्‍लेम की धनराशि अदा न किया जाना विपक्षीगण की सेवा में कमी है अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।

  विपक्षीगण को पंजीकृत डाक के माध्‍यम से नोटिस भेजी गयी परन्‍तु उनकी ओर से कोई उत्‍तर पत्र दाखिल नहीं किया गया। परिणामस्‍वरूप दिनांक 23-04-2019 को विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय सुनवाई किये जाने का आदेश पारित किया गया।

  विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवादी को विस्‍तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्‍त विपक्षीगण के स्‍तर पर सेवा में कमी पाते हुए परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया है। 

  अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री प्रसून श्रीवास्‍तव उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री एस0 के0 शुक्‍ला उपस्थित आए।

  अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा बिना उसे सुनवाई का अवसर प्रदान किये परिवाद आंशिक रूप से

 

-4-

स्‍वीकार करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जो विधि विरूद्ध है अत: उसे एक अवसर सुनवाई का प्रदान करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जावे।

  प्रत्‍यर्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी को सुनवाई का पर्याप्‍त अवसर प्रदान किया गया था किन्‍तु विपक्षी जिला आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुए और न ही उत्‍तर पत्र दाखिल किया अत: विद्धान जिला आयोग द्वारा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त तथ्‍यों का गहनतापूर्वक विश्‍लेषण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है अत: अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

  मेरे द्वारा उभयपक्ष  के विद्धान अधिवक्‍तागण  को विस्‍तारपूर्वक सुना गया तथा विद्धान जिला  आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

  उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि परिवादी की पत्‍नी द्वारा दिनांक 19-10-2016 को 3,45,500/-रू0 का बीमा कराया गया था तथा प्रीमियम धनराशि भी परिवादी की पत्‍नी द्वारा अदा की गयी थी। दिनांक 04-01-2017 को परिवादी की पत्‍नी के पेट में अचानक दर्द

 

 

-5-

होने पर उसे अस्‍पताल ले जाते समय उसकी मृत्‍यु हो गयी। बीमा कम्‍पनी का यह कथन कि परिवादी की पत्‍नी ने बीमा पालिसी लेते समय बीमा पालिसी की सभी नियम व शर्तों की उसे पूर्ण जानकारी दे दी गयी थी और परिवादी की पत्‍नी ने पूर्ण संतुष्टि में बीमा पालिसी प्राप्‍त की थी। बीमा कम्‍पनी द्वारा नियमानुसार बीमा क्‍लेम निरस्‍त किया गया है।

  यहॉं यह कहना उचित प्रतीत होता है कि बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा पालिसी की नियम व शर्तों को दर्जनो पृष्‍ठों  में अंग्रेजी भाषा में काफी छोटे अक्षरों में पालिसी में दर्शित किया जाता है जिसे पढ पाना अच्‍छे-खासें शिक्षित लोगों के लिए भी काफी मुश्किल होता है तब उसे स्थिति में सामान्‍यजन व अशिक्षित लोगों व गॉंव का आम व्‍यक्ति जो ज्‍यादा पढ़ा लिखा नहीं होता है वह अंग्रेजी भाषा में लिखे गये नियम व शर्तों को कैसे पढ़ सकता है।

  एक अशिक्षित व्‍यक्ति तो मात्र बीमा कम्‍पनी द्वारा नियुक्‍त एजेन्‍ट की बातों पर विश्‍वास करके ही बीमा पालिसी प्राप्‍त करता है और ज्‍यादातर आमजन बीमा कम्‍पनी द्वारा नियुक्‍त एजेन्‍ट की बातों पर ही विश्‍वास करके बीमा पालिसी लेते  हैं। हमारे देश में प्राय: अधिकांश लोग अंग्रेजी भाषा को ठीक से पढ़ व समझ पाने में आज भी असमर्थ है केवल कुछ बुद्धिजीवी लोग

 

 

-6-

(लगभग 7-8 प्रतिशत) ही अंग्रेजी भाषा को ठीक से पढ़ व समझ सकते हैं।

   बीमा कम्‍पनी का यह दायित्‍व है कि वह बीमा पालिसी के नियम व शर्तों को अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ देश की अन्‍य प्रादेशिक भाषाओं में, जहॉं पर  जिस भाषा का प्रयोग होता है, व राजभाषा हिन्‍दी में प्रकाशित किया जाना अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करें और नियम व शर्तों को अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ राजभाषा हिन्‍दी एवं अन्‍य प्रादेशिक भाषाओं में टंकित कराकर बीमा कराने वाले व्‍यक्ति को पालिसी बाण्‍ड की नियम व शर्तें उपलब्‍ध कराये।

   यह सर्वविदित है कि बीमा कम्‍पनी द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है और मात्र अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग बीमा पालिसी की नियम व शर्तों में किया जाता है। बीमा कम्‍पनी के एजेन्‍ट द्वारा मात्र कमीशन/लाभ प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से ग्राहकों/बीमा कराने वाले व्‍यक्ति को अंधेरे में रख कर बीमा पालिसी करा ली जाती हैं और बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रीमियम  की धनराशि भी जमा कर ली जाती है और जब किसी प्रकार की कोई अपिय घटना घटित हो जाती है तो बीमा कम्‍पनी नियमों का हवाला देते हुए अधिकांश बीमा क्‍लेम निरस्‍त कर देती है।

  वर्तमान वाद में परिवादिनी की पत्‍नी ज्‍यादा पढ़ी-लिखी महिला नहीं थी और एक गॉंव की रहने वाली गृहणी महिला थी जिसे अंग्रेजी भाषा का प्रारम्भिक ज्ञान भी नहीं था और न ही बीमा पालिसी के एजेन्‍ट द्वारा उसे नियम व शर्तों की विस्‍तार से पूर्ण जानकारी दी गयी होगी।

 

-7-

  इस पीठ द्वारा पूर्व में भी अनेकों ऐसे आदेश पारित किये जा चुके हैं जिसमें बीमा कम्‍पनी को ऊपर उल्लिखित भाषा संबंधी बात का ध्‍यान रखने हेतु आदेशित किया जाता रहा है कि वह बीमा पालिसी की नियम व शर्तें अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ राजभाषा हिन्‍दी एवं अन्‍य प्रादेशिक भाषाओं में नियम व शर्तों को टंकित कराये किन्‍तु अनेकों बीमा कम्‍पनी द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है जो अत्‍यन्‍त खेद का विषय है और बीमा कम्‍पनी के इस कृत्‍य से न जाने कितने बीमाधारकों को बीमा क्‍लेम की धनराशि हेतु न्‍यायालयों के चक्‍कर लगाने पढ़ते है जिससे न सिर्फ न्‍यायालय का समय ही बर्बाद होता है वरन् जो बीमा कम्‍पनी द्वारा बरती जा रही लापरवाही एवं अर्कमण्‍डता का कारण भी प्रतीत होता है। 

   अत: समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

  अपील निरस्‍त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।

 

-8-

  इस निर्णय एवं आदेश का अनुपालन इस निर्णय से एक माह की अवधि में सुनिश्चित किया जावे।

  अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्‍याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्‍तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।

  आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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