राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0—१७५/१९९९
(जिला मंच, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-४७०/१९९६ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १०-११-१९९८ के विरूद्ध)
यू0पी0एस0ई0बी0, द्वारा एक्जक्यूटिव इंजीनियर, ई0डी0डी0 प्रथम, मेरठ।
...... अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम्
राजेन्द्र सिंह पुत्र श्री नत्थू सिंह ग्राम मेहरोली, पोस्ट परतापुर, जिला मेरठ।
.......प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
२. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से :- श्री इसार हुसैन विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : १९-०२-२०२१.
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला मंच, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-४७०/१९९६, राजेन्द्र सिंह बनाम राज्य विद्युत परिषद मेरठ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १०-११-१९९८ के विरूद्ध योजित की गयी है। इस आदेश द्वारा विपक्षी को आदेशित किया गया कि वे परिवादी से ५,५०३/- रू० ५० पैसा की राशि ही बसूल कर सकते हैं और इसके अतिरिक्त कोई राशि परिवादी से बसूल नहीं की जा सकती।
परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी के विद्युत कनेक्शन संख्या-०१५०११ पर दिनांक १४-०९-१९९२ तक ५५०३/- रू० ५० पैसा बकाया था, जो नाअदायगी में काट दिया गया। विपक्षी द्वारा ५५०३/- रू० के स्थान पर १४,४५४.३४ रू० की मांग की जा रही है इसलिए यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी का कथन है कि फरवरी १९९२ से सितम्बर १९९२ तक की अवधि के लिए परिवादी पर ६,११७.८१ रू० बकाया था। यह भी उल्लेख है कि विद्युत कनेक्शन एग्रीमेण्ट हुआ था जो ०२ वर्ष की अवधि के लिए था परन्तु २३-०९-१९९२ को उक्त विद्युत
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कनेक्शन विच्छेदित हो गया। परिवादी से ०६ माह का न्यूनतम दर शुल्क ३,९६०/- रू० लिया जाना था इसलिए स्थायी विच्छेदन के समय कुल १४,४५४.३१ रू० अदा किया जाना था। दोनों पक्षों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात् जिला मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी से केवल ५,५०३.५० रू० बसूल किया जाए।
इस आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि फरवरी १९९२ से सितम्बर १९९२ तक परिवादी पर ६,११७.८१ रू० विद्युत शुल्क बकाया था। परिवादी न्यूनतम ०६ माह की अवधि के लिए प्रति माह ३,९६०/- रू की दर से विद्युत शुल्क अदा करने के लिए वैधानिक रूप से बाध्य है।
इस अपील के ज्ञापन के विरूद्ध परिवादी की ओर से इस आशय की आपत्ति प्रस्तुत की गई है परिवादी के पक्ष में ५,५०३.५० रू० का विद्युत बिल जारी किया गया था। विद्युत विभाग द्वारा दिनांक २३-०९-१९९२ को विद्युत कनेक्शन काट दिया गया और सम्बन्धित उपकरण विभाग के कर्मचारी अपने साथ ले गये और अनावश्यक रूप से १४,४५४/- रू० ३४ पैसे का बिल जारी कर दिया।
हमने केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना। प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से बहस करने के लिए कोई उपस्थित नहीं हुआ।
आपत्ति के साथ प्रस्तुत दस्तावेज संलग्नक-१ कके अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी को ५,५०/- रू ५० पैसे का बिल जारी किया गया था। अत: अपील के ज्ञापन का यह उल्लेख सही प्रतीत नहीं होता कि उपभोक्ता पर पूर्व में ६,११७/- रू० ८१ पैसा बकाया था। बहस में यह तथ्य भी स्वीकार किया गया कि मीटर एवं केबिल अपीलार्थी के कर्मचारी उठा ले गये जिसका मूल्य १६००/- रू० होता है। अत: स्वीकार्य रूप से परिवादी अंकन १६००/- रू० घटाने के लिए बाध्य है।
अपीलार्थी की ओर से यह बहस की गई कि न्यूनतम ०६ माह की अवधि का बिल देना आवश्यक था परन्तु विद्युत कनेक्शन पर इस अविध के पूर्व का देय होने के कारण विद्युत कनेक्शन काट दिया गया। अपने तर्क के समर्थन में नजीर उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0 व अन्य बनाम ए0एस0पी0 सीलिंग प्रोडक्ट्स लि0, २०१० (१) सीपीसी ८० (एससी) अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत की गई, जिसमें यह व्यवस्था दी गई है कि ०६
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माह तक न्यूनतम विद्युत शुल्क उपभोक्त को देना होगा। यह नजीर उत्तराखण्ड से सम्बन्धित है किन्तु अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का कहना है कि यह नियम उत्तर प्रदेश में भी लागू होगा। विद्युत नियम १७ के अवलोकन से ज्ञात होता है कि उपभोक्ता के अनुरोध पर या शुल्क अदायगी में विफलता के कारण दो वर्ष की अवधि के अन्तर्गत विद्युत कनेक्शन विच्छेदित करना पड़ता है तब उपभोक्ता न्यूनतम ०६ माह के लिए या ०२ वर्ष पूरे होने में जो भी समय कम हो उस अवधि के लिए भुगतान करेगा। प्रस्तुत प्रकरण मं दिनांक ०९-०१-१९९२ को विद्युत कनेक्शन जारी किया गया था, अत: उपरोक्त नियम के अनुसार ०६ माह की अवधि के लिए न्यूनतम शुल्क का भुगतान परिवादी/उपभोक्ता द्वारा किया जाना है। जिला उपभोक्ता मंच ने उपरोक्त वर्णित विधिक व्यवस्थाओं का कोई निष्कर्ष नहीं दिया है। सरसरी तौर पर निर्ण पारित किया गया है जो अपास्त होने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-४७०/१९९६ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १०-११-१९९८ अपास्त किया जाता है। परिवादी से न्यूनतम ०६ माह का विद्युत शुल्क बसूलने के लिए अपीलार्थी अधिकृत है। इस राशि में १६००/- रू० की कटौती करते हुए शेष राशि बसूली जाएगी।
अपीलीय व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.