Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/477

N E Railway - Complainant(s)

Versus

Daddan Tiwari - Opp.Party(s)

M H Khan

18 Sep 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/477
( Date of Filing : 09 Mar 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. N E Railway
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Daddan Tiwari
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 18 Sep 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-४७७/२०१२

 

(जिला मंच, बलिया द्वारा परिवाद सं0-३२५/२००८ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ०१-०२-२०१२ के विरूद्ध)

 

जनरल मैनेजर, एन0ई0 रेलवे, गोरखपुर व तीन अन्‍य।

                                  ..............   अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।

बनाम्

 

स्‍व0 दद्दन तिवारी व चार अन्‍य।

                                     ...............प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण। 

समक्ष:-

१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२. मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित :- श्री एम0एच0 खान विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित   :- श्री एस0पी0 पाण्‍डेय विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : १०-१०-२०१९.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, बलिया द्वारा परिवाद सं0-३२५/२००८ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ०१-०२-२०१२ के विरूद्ध योजित की गयी है।

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने दिनांक ११-०८-२००८ को बलिया से सहरसा जाने के लिए सीनियर सिटीजन का टिकट नं0-२९८०७०८९ बलिया रेलवे स्‍टेशन से सुपर फास्‍ट ट्रेन का खरीद कर स्‍वतन्‍त्रता संग्राम सेनानी ट्रेन पर सवार हुआ। उक्‍त ट्रेन से समस्‍तीपुर के पश्‍चात् बरौनी पहुँचा। बरौनी रेलवे स्‍टेशन पर जब परिवादी सहरसा के लिए ट्रेन का पता लगाने के लिए पूछताछ कार्यालय की तरफ जा रहा था तब परिवादी से प्‍लेटफार्म पर ही टिकट की मांग की गई। परिवादी द्वारा टिकट देने पर टी0टी0 द्वारा कहा गया कि टिकट सुपर फास्‍ट ट्रेन का नहीं है। परिवादी द्वारा कहा

 

 

 

 

 

 

-२-

गया कि टिकट सुपर फास्‍ट ट्रेन का ही है और यदि नहीं है तो परिवादी से अतिरिक्‍त चार्ज ले लिया जाय। टी0टी0 परिवादी यह कहते हुए कार्यालय ले गया कि वहीं पर टिकट बन जायेगा। परिवादी का टिकट सुपर फास्‍ट ट्रेन का ही था किन्‍तु उक्‍त टी0टी0 ने परिवादी को दिनांक ११-०८-२००८ को सायंकाल से रात भर बन्‍दर कर दिया। दूसरे दिन सुबह रेलवे मैजिस्‍ट्रेट के यहॉं पेश किया। परिवाद से सुपर फास्‍ट ट्रेन का टिकट न होने का ०९/- रू० तथा २५०/- रू० अर्थदण्‍ड कुल २५९/- रू० लिया गया। परिवादी के पास सुपर फास्‍ट ट्रेन का टिकट होने के बाबजूद रेलवे प्रशासन द्वारा सेवा में त्रुटि किया जाना अभिकथित करते हुए क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद जिला मंच में योजित किया गया।

      अपीलार्थी विभाग की ओर से प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार वाद कारण हाजीपुर में होने के कारण जिला मंच, बलिया को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि दिनांक ११-०८-२००८ को गाड़ी सं0-२५५४ डाउन एक्‍सप्रेस से छपरा से बरौनी तक की यात्रा के लिए परिवादी सवार हुआ। यात्रा के दौरान् मैजिस्‍ट्रेट टिकट चेकिंग में परिवादी बिना सुपर फास्‍ट टिकट के यात्रा करते पकड़ा गया जिससे उचित किराया नियमानुसार भुगतान करने हेतु आग्रह किया गया परन्‍तु परिवादी द्वारा भुगतान न करने पर डसे न्‍यायालय रेलवे न्‍यायिक दण्‍डाधिकारी बरौनी के समक्ष आरोप पत्र के साथ डिप्‍टी मुख्‍य टिकट निरीक्षक बरौनी रेल के माध्‍यम से प्रस्‍तुत किया गया। न्‍यायालय के समक्ष परिवादी द्वारा अपना दोष स्‍वीकार किया गया। न्‍यायालय में परिवादी द्वारा दोष स्‍वीकार करने के उपरान्‍त जुर्माना राशि २५९/- रू० रेल अधिनियम भार का दण्‍ड दिया गया तथा जुर्माना नहीं देने पर ३० दिन की सजा देने का आदेश दिया। यह आदेश दिनांक १२-०८-२००८ को वाद सं0-७७१/२००८ में पारित किया गया। इस प्रकार स्‍वयं की गलती के कारण परिवादी पकड़ा गया तथा न्‍यायालय के आदेश से ही अर्थ दण्‍ड का भुगतान उसके द्वारा किया गया। रेलवे

 

 

 

 

 

-३-

प्रशासन द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई।

      जिला मंच के समक्ष परिवाद की सुनवाई के मध्‍य परिवाद दद्दन तिवातिवारी की मृत्‍यु हो गई। परिवादी की मृत्‍यु के उपरान्‍त उसके विधि‍क उत्‍तराधिकारियों को प्रतिस्‍थापित किया गया। जिला मंच के समक्ष परिवादी द्वारा सीनियर सिटीजन के लिए जारी टिकट सं0-९८०७०८९ दाखिल किया गया जिस पर सुपर फास्‍ट भी अंकित था। यह टिकट दिनांक ११-०८-२००८ को जारी ि‍कया गया। परिवादी ने इस टिकट द्वारा यात्रा किया जाना अभिकथित किया। जिला मंच ने परिवादी के इस अभिकथन को स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी द्वारा सेवा में त्रुटि किया जाना। तदनुसार परिवाद अपीलार्थी सं0-१ के विरूद्ध स्‍वीकार करते हुए उसे आदेशित किया गया कि वह निर्णय की तिथि से ६० दिन के अन्‍दर परिवादीगण को मृतक परिवादी को हुए शारीरिक, मानसिक क्षति, वाद खर्चा आदि के मद में ७,०००/- रू० अदा करे अन्‍यथा समय सीमा के बाद की तिथि से उपरोक्‍त र‍ाशि पर १० प्रतिशत ब्‍याज ता भुगतान देय होगा।    

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

      हमने अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एम0एच0 खान एवं प्रत्‍यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 पाण्‍डेय के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

      अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि दिनांक ११-०८-२००८ को मूल परिवादी दद्दन तिवारी साधारण टिकट से सुपर फास्‍ट ट्रेन पर यात्रा कर रहा था। रेलवे मैजिस्‍ट्रेट द्वारा चेकिंग के मध्‍यम यह तथ प्रगट होने पर उससे अतिरिक्‍त चार्ज की मांग की गई। परिवादी द्वारा भुगतान न किए जाने पर उसके विरूद्ध आरोप पत्र प्रेषित किया गया तथा रेलवे मैजिस्‍ट्रेट, बरौनी द्वारा परीक्षण किया गया। रेलवे मैजिस्‍ट्रेट के समक्ष परिवादी दद्दन तिवारी ने अपना अपराध स्‍वीकार किया तथा रेलवे मैजिस्‍ट्रेट द्वारा आरोपित २५०/- रू० अर्थ दण्‍ड तथा ०९/- रू० रेलवे चार्ज कुल २५९/- रू० का भुगतान किया। उनके

 

 

 

 

 

-४-

द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष जो टिकट प्रस्‍तुत किया गया वह सम्‍भवत: किसी अन्‍या यात्री का टिकट बाद में परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत किया गया। यदि वास्‍तव में परिवादी इस टिक से यात्रा कर रहा होता तो स्‍वाभ‍ाविक रूप से सम्‍बन्धित रेलवे कर्मी को पदर्शित करता अथवा रेलवे मैजिस्‍ट्रेट के समक्ष यह टिकट प्रस्‍तुत करता एवं वास्‍तविक स्थिति को भी रेलवे मैजिस्‍ट्रेट के समक्ष प्रस्‍तुत करता। वस्‍तुत: परिवाद असत्‍य कथनों के आधार पर योजित किया गया। अपीलार्थी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई।

      अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क में बल प्रतीत हो रहा है। अपीलार्थी द्वारा अपील मेमो के साथ परिवादी के विरूद्ध रेलवे प्रशासन द्वारा प्रस्‍तुत आरोप पत्र की फोटो प्रति दाखिल की गई। रेलवे मैजिस्‍ट्रेट के समक्ष परिवादी दद्दन तिवारी द्वारा दिए गये बयान की फोटोप्रति भी दाखिल की गई। श्री सुरेन्‍द्र कुमार मुख्‍य टिकट निरीक्षक तथा विनय कुमार सिंह टिकट निरीक्षक के शपथ पत्र भी प्रस्‍तुत किए गये हैं जिनमें उन्‍होंने अपीलार्थी के पक्ष का समर्थन किया। रेलवे मैजिस्‍ट्रेट के समक्ष दिए गये बयान में भी परिवादी ने अपना अपराध स्‍वीकार करते हुए यह बयान दिया है कि वह ट्रेन नं0-२५५४ सुपर फास्‍ट में साधारण टिकट लेकर यात्रा कर रहा था तथा भाड़ा मांगने पर उनके द्वारा इन्‍कार किया गया। रेलवे प्रशासन द्वारा परिवादी के विरूद्ध प्रस्‍तुत आरोप पत्र में परिवादी द्वारा जिस टिकट पर यात्रा की जा रही थी उस टिकट पर भी उल्‍लेख किया है तथा मूल टिकट आरोप पत्र के साथ प्रस्‍तुत की है। यदि वास्‍तव में परिवादी सुपर फास्‍ट टिकट लेकर यात्रा कर रहा होता तो स्‍वाभाविक रूप से परिवादी यह तथ्‍य सम्‍बन्धित टिकट निरीक्षक के समक्ष प्रस्‍तुत करता अथवा यह तथ्‍य परिवादी रेलवे मैजिस्‍ट्रेट के समक्ष भी प्रस्‍तुत कर सकता था। परिवादी द्वारा जो टिक जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत की गई वह रेलवे मैजिस्‍ट्रेट        के समक्ष प्रस्‍तुत न किया जाना अस्‍वाभाविक है। तद्नुसार परिवादी का कथन

 

 

 

 

 

-५-

विश्‍वसनीय नहीं माना जा सकता। जिला मंच द्वारा पत्रावली उपर उपलबध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्‍नगत त्रुटिपूर्ण निर्णय पारित किया गया है, अत: अपास्‍त किए जाने योग्‍य है। अपील तद्नुसार स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।      

   आदेश

प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, बलिया द्वारा परिवाद सं0-३२५/२००८ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ०१-०२-२०१२ अपास्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

      अपील व्‍यय के सम्‍बन्‍ध में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

                                              (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                (गोवर्द्धन यादव)

                                                    सदस्‍य

 

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-२.

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER
 

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