़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-82/2008
नरेन्द्र कुमार जायसवाल पुत्र श्री नन्हू लाल जायसवाल निवासी ग्राम खोजनपुर, मोदहा पो0 रिकाबगंज फैजाबाद .................... परिवादी
बनाम
1- डाबर इण्डिया लि0 इण्टीग्रेटेड इन्डस्ट्रियल स्टेट प्लाट नं0-4 सेक्टर-2 पंतनगर, जिला ऊधम सिंह नगर 263146 उत्तराखण्ड।
2- प्रोपराइटर सस्ता जनरल स्टोर चैक फैजाबाद (यू0पी0) 224001 ................ विपक्षीगण
निर्णय दि0 07.01.2016
निर्णय
उद्घोषित द्वाराः-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी ने डाबर हाजमोला के पाउच वाला एक सील बन्द जार मु0 95=00 में घरेलू उपयोग के लिए खरीदा जिसके प्रत्येक पाउच में 6 गोलियाॅं होने का दावा निर्माता डाबर इण्डिया लि0 द्वारा किया गया है तथा प्रत्येक पाउच का मूल्य मु0 1=00 है। जब परिवादी ने एक पाउच खोला तो उसमें मात्र 3 गोलियाॅं ही निकली तथा परिवादी के घर आने वाले कुछ मेहमानों तथा घर के सदस्यों ने भी 6 गोलियों वाले कुछ पाउाच में 3 गोलियाॅं ही
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मिलने की शिकायत की जिस पर परिवादी ने स्वयं को ठगा महसूस किया तथा उसे परिवार वालों के सामने हॅंसी का पात्र बनना व अपमानित होना पड़ा। डाबर इण्डिया लि0 जैसी भारत की प्रतिष्ठित कम्पनी जिसका हाजमोला देश के कोने-कोने में तथा विदेशों में भी जाता है अपने इस कृत्य से देश को बदनाम कर रही है उपभोक्ताओं को करोड़ों का चूना लगा रही है। परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है तथा विपक्षीगण का उपरोक्त कृत्य सेवा शर्तो में व्यतिक्रम की श्रेणी में आता है।
विपक्षी सं0-1 डाबर इण्डिया लिमिटेड ने अपने जवाब में कहा कि पत्रावली पर फैजाबाद से जार खरीदने की कोई रसीद नहीं है इसलिए फोरम को परिवाद पर विचार करने का क्षेत्राधिकार नहीं है।
मैं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। इस परिवाद में विवाद डाबर इण्डिया लिमिटेड द्वारा निर्मित हाजमोला के पाउच का विवाद है। परिवादी ने एक सील बन्द जार मु0 95=00 में घरेलू उपयोग हेतु खरीदा जिसमें प्रत्येक पाउच में 6 गोलियाॅं होने का दावा निर्माता डाबर इण्डिया द्वारा किया गया तथा प्रत्येक पाउच का मूल्य मु0 1=00 मात्र है। पाउच खोला तो उसमें मात्र तीन गोलियाॅं ही निकली जबकि छः गोलियाॅं होनी चाहिए। परिवादी को अपना परिवाद स्वयं साबित करना चाहिए। दि0 31.03.2008 को मेरे पूर्व पीठासीन अधिकारी ने विवादित पाउच न्यायालय में पेश करने व सील करने का आदेश किया। परिवादी ने न्यायालय में डाबर इण्डिया के हाजमोला के पाउच प्रेषित नहीं किये। यही मुख्य विवाद है। जब इस न्यायालय के सामने हाजमोला के पाउच और रैपर न हो तो उससे यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि हाजमोला के एक पाउच में छः गोलियों के स्थान पर तीन गोलियाॅं निकली। इस प्रकार परिवादी अपना परिवाद साबित करने में असफल रहा है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 07.01.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष