Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/115/2017

ANWAR KHAN - Complainant(s)

Versus

DAAKTAAR MANTRALAY - Opp.Party(s)

M.G KHAN

16 Dec 2021

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/115/2017
( Date of Filing : 25 Mar 2017 )
 
1. ANWAR KHAN
12/667 INDIRA NAGAR
LUCKNOW
...........Complainant(s)
Versus
1. DAAKTAAR MANTRALAY
ASHOK ROAD NEW DELHI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
  Ashok Kumar Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 16 Dec 2021
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:-   115/2017                                                 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                    श्री अशोक कुमार सिंहसदस्‍य।         

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-25.03.2017

परिवाद के निर्णय की तारीख:-16.12.2021

 

अनवर खान पुत्र स्‍व0 जब्‍बार खान, निवासी-12/667, इन्दिरानगर, लखनऊ। 

                                                     ..........परिवादी।

                           बनाम

1. सचिव, डाकतार मंत्रालय भारत सरकार, 20 संचार भवन, अशोका रोड, नई दिल्‍ली-110001 ।

2. महा प्रबन्‍धक, प्रधान डाकघर, हजरतगंज, लखनऊ-226001 ।

3. पोस्‍ट मास्‍टर, डाकघर, डी-ब्‍लाक, इन्दिरानगर, लखनऊ।    

                                                .............विपक्षीगण।                                                                                                                  

आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                          निर्णय

1.    परिवादी ने प्रस्‍तुत परिवाद विपक्षीगण द्वारा की गयी सेवा में कमी घोर लापरवाही के कारण परिवादी व उसकी विवाहित पुत्री व परिवार की होने वाली मानहानि तथा मानसिक पीड़ा के कारण क्षतिपूर्ति 5,00,000.00 रूपये तथा वाद व्‍यय 11,000.00 रूपये कुल 5,11,000.00 रूपये मय 16 प्रतिशत चक्रबृद्धि ब्‍याज सहित दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।  

2.   संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी के पुत्र मो0 इरफान खान की शादी दिनॉंक 04.03.2017 व दावत-ए-वलीमा दिनॉंक 06.03.2017 को लखनऊ शहर में होना मुर्करर हुआ, तथा परिवादी ने अपने अजीज रिश्‍तेदार व दोस्‍तों को अपने बेटे की शादी के उक्‍त दोनों कार्यक्रम में आने के लिये निमंत्रण कार्ड दिया था। परिवादी ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिऐ श्री नगर अपने इकलौते दामाद डॉ0 हुमायू गनी व दामाद के घर वाले जो कि श्रीनगर कश्‍मीर के रहने वाले हैं को इन्दिरानगर लखनऊ के डाकघर से स्‍पीड पोस्‍ट से दिनॉंक 09.02.2017 को शादी का कार्ड भेजा था।

3.   भारतीय डाक विभाग की घोर लापरवाही व सेवा में कमी करने के कारण परिवादी द्वारा अपने अजीजी रिश्‍तेदार दामाद डॉ0 मो0 हुमायू गनी को भेजा गया शादी का कार्ड दिनॉंक 04.03.2017 एवं 06.03.2017 को कार्यक्रम सम्‍पन्‍न होने के उपरान्‍त तक नहीं मिल पाने के कारण वे लोग उपस्थित नहीं हो पाये और नाराज हो गये, जिस कारण रिस्‍तेदारी में मनमुटाव हो गया और परिवादी की पुत्र के वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है।

4.   डाक विभाग द्वारा की गयी घोर लापरवाही व सेवा में की गयी घोर कमी के कारण परिवादी व परिवादी के परिवार को रिश्‍तेदारी समाज में हीन भावना का शिकार होना पड़ रहा है और सामाजिक व पारिवारिक जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है, जिसकी समस्‍त जिम्‍मेदारी विपक्षीगण की है।

5.   स्‍पीड पोस्‍ट का वितरण करने का सरकार अपने देश के अन्‍दर 36 घण्‍टे में होने का वादा करती है। डाक विभाग की घोर लापरवाही व सेवा में कमी के कारण परिवादी को मानसिक उत्‍पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है।

6.   विपक्षीगण ने अपना उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत करते हुए कथन किया कि दिनॉंक 09.02.2017 को डिस्‍पैच लखनऊ से जम्‍मू के लिये किया गया था और वह दिनॉंक 14.02.2017 एन0एस0एच0 जम्‍मू को उपरोक्‍त लिफाफा प्राप्‍त करा दिया गया। उनके द्वारा कोई भी त्रुटि नहीं की गयी है। उक्‍त लिफाफा नाटीपोरा दिनॉंक 07.03.2017 को पहुँच गया। विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है, और किसी भी जगह जहॉं पर पत्र को भेजा जाता है उस क्षेत्र की परिस्थितियों के आधार पर ही उक्‍त डाक सेवा को प्रदत्‍त कराया जा सकता है।

7.   परिवादी कोई भी क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं है। जिसको पत्र भेजा गया था वह भी एक आवश्‍यक पक्षकार है जिससे कि उनसे नियमानुसार परीक्षण किया जा सके। वर्तमान परिस्थिति में निमंत्रण पत्र वाटसएप, फेसबुक,  मोबाइल काल द्वारा भी किया जा सकता है।  अपने अतिरिक्‍त कथन में परिवादी द्वारा कहा गया कि पोस्‍टआफिस एक्‍ट 1898 की धारा-6 के अन्‍तर्गत यह प्रावधान है कि- “ Exemption from liabilty for loss, misdelivery, delay or damage-The Government shall not incur any liability by reason of the loss, misdelivery or delay of or damage to, any postal article in course of transmission by post, except insofar as such liability may in express terms be undertaken by the Central Government as hereinafter provided and no officer of the Post Office shall incur any liability by reason of any such loss, misdelivery, delay or damage, unless he has caused the same fraudulently or by his willful act or  default”

8.   मैने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना। परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में शपथ पत्र तथा स्‍पीडपोस्‍ट की रसीद,  निमंत्रण पत्र की प्रतिलिपि आदि दाखिल किया है।      विपक्षी द्वारा अपने कथन के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है।

09.  विदित है कि प्रस्‍तुत परिवाद परिवादी द्वारा भारतीय डाक विभाग की सेवा में कमी व घोर लापरवाही के कारण प्रस्‍तुत किया है जिसमें यह कहा गया कि परिवादी के बेटे की शादी थी और अपने अजीज दोस्‍त एवं रिश्‍तेदार अहबाब को शादी में शिरकत करने के लिये निमंत्रण कार्ड भेजा था। उक्‍त निमंत्रण कार्ड दिनॉंक 04.03.2017 व 06.03.2017 के कार्यक्रम में शिरकत होने के लिये स्‍पीडपोस्‍ट से दिनॉंक 09.02.2017 को प्रेषित किया गया जिसकी रसीद नम्‍बर-EU106780143N है। उक्‍त रिश्‍तेदार के यहॉं शादी और कार्यक्रम होने तक वह स्‍पीडपोस्‍ट (निमंत्रण कार्ड) नहीं पहुँचाया गया। इस कारण उक्‍त रिश्‍तेदार से खटास, मन-मुटाव हो अया और मानसिक पीड़ा उत्‍पन्‍न हो गयी।

10.  विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि दिनॉंक .09.02.2017 को स्‍पीडपोस्‍ट लखनऊ से जम्‍मू के लिये किया गया था वह लिफाफा दिनॉंक 14.02.2017 को जम्‍मू में प्राप्‍त करा दिया गया। उनके द्वारा कोई ऐसी त्रुटि नहीं की गयी और नाटीपोरा दिनॉंक 07.03.2017 को प्राप्‍त कराया गया,  और यह भी कहा गया कि चार-पॉंच दिन में सामान्‍यत: स्‍पीड पोस्‍ट पहुँच जाती है।

11.  जैसा कि विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि उनके द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी है और एक्‍जम्‍शन की धारा-6 में यह व्‍यवस्‍था की गयी है कि किसी भी हानि अथवा किसी भी डिलीवरी या देरी के केस में दायित्‍व डाक विभाग का नहीं होगा। साथ ही साथ नियम में भी ऐसा कहा गया है कि किसी भी कारण से विलम्‍ब हो गया हो तो स्‍पीडपोस्‍ट के चार्ज के बराबर वह धनराशि प्राप्‍त करने का अधिकारी है। यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि विलम्‍ब से उनको कार्ड प्राप्‍त हुआ है। विपक्षी की ओर से अपील संख्‍या 55/2015 यूनियन ऑफ इण्डिया द्वारा सीनियर सुप्रीटेण्‍डेण्‍ट आफ पोस्‍ट आफिस, सहारनपुर बनाम संदीप कुमार में माननीय राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ द्वारा पारित आदेश का अवलोकन किया। उक्‍त निर्णय की धारा-6 इण्डियन पोस्‍टल आफिस एक्‍ट का लाभ दिया गया तथा विलम्‍ब को प्रभावहीन माना। यूनियन ऑफ इण्डिया की अपील को स्‍वीकार किया है।

12.  मैनेजर स्‍पीड पोस्‍ट एवं अन्‍य बनाम भॅवर लाल गोरा IV (2017) CPJ 10 (NC) में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह अवधारित किया गया है कि सेवा में कमी के संबंध में इम्‍यूनिटी सरकार को प्रदत्‍त है। यदि डोमेस्टिक स्‍पीडपोस्‍ट में अगर कोई विलम्‍ब हुआ है तो स्‍पीडपोस्‍ट चार्ज में दिये गये व्‍यय को ही वह प्राप्‍त करने का अधिकारी है।

13.  यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि स्‍पीडपोस्‍ट को पहुँचाने के लिये 4-5 दिन अधिकतम समय है परन्‍तु कभी कभी परिस्थितियॉं ऐसी हो जाती हैं कि समय से पोस्‍टल विभाग द्वारा विलम्बित किया जाता है और यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि जम्‍मू और कश्‍मीर में डिलीवरी करने के लिये स्‍पीडपोस्‍ट से निमंत्रण पत्र भेजा गया।

14.  जम्‍मू-कश्‍मीर एक विशेष दर्जे का राज्‍य है वहॉं सामान्‍यत: उपद्रव होता रहता है। सरकार का प्रथम दायित्‍व है कि उपद्रव आदि को समाप्‍त करने और कभी कभी इस परिस्थिति को ध्‍यान में रखते हुए कर्फ्यू एवं धारा-144 का भी प्रयोग करती है, जिसमें कि किसी भी व्‍यक्ति या वाहन का घूमना-फिरना बाधित हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में पीठ के विचार से जम्‍मू–कश्‍मीर में अगर स्‍पीडपोस्‍ट की डिलीवरी में कोई विलम्‍ब हो जाता है तो उसमें सेवा में कमी नहीं मानी जायेगी। मैनेजर स्‍पीडपोस्‍ट एवं अन्‍य सूप्रा में भी माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह पारित किया गया है कि केवल स्‍पीडपोस्‍ट का चार्ज ही परिवादी पाने का अधिकारी है। अत: माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के आदेश के सापेक्ष में परिवादी को मात्र स्‍पीड पोस्‍ट में व्‍यय हुई धनराशि प्राप्‍त करने का अधिकारी है। अत: उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों में परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                            आदेश

15.   परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी को स्‍पीडपोस्‍ट में व्‍यय हुई धनराशि मुबलिग-69.00 (उन्‍नहत्‍तर रूपया मात्र) परिवादी को 45 दिन के अन्‍दर अदा करें।

 

 

    (अशोक कुमार सिंह )                      (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य                                 अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                             लखनऊ।

आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया  गया।

                                   

    (अशोक कुमार सिंह )                      (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य                                 अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                             लखनऊ।

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[ Ashok Kumar Singh]
MEMBER
 

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