समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-81/2011 उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य
महेश कुमार तिवारी पुत्र श्री उमाशंकर तिवारी निवासी: महतवानापुरा कस्बा-महोबा तहसील व जिला-महोबा परिवादी
बनाम
1.डा0 डी0एस0परमार मेडिकल सेंटर एवं डेंटल क्लीनिक,बजरंग चौक,महोबा जिला-महोबा ।
2.मुख्य चिकित्साधिकारी,महोबा जिला-महोबा विपक्षीगण
निर्णय
श्रीमती नीला मिश्रा,सदस्या द्वारा उदधोषित
परिवादी महेश कुमार तिवारी ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षीगण डा0डी0एस0परमार व मुख्य चिकित्साधिकारी,महोबा बाबत दिलाये जाने क्षतिपूर्ति व अन्य अनुतोष प्रस्तुत किया है ।
संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि परिवादी महेश कुमार तिवारी मुहल्ला-महतवानापुरा कस्बा व जिला-महोबा का निवासी है तथा परिवादी एक स्वस्थ युवक था और उसके दाहिने हाथ के अंगूठे की बगल वाली अंगुलि में फोडा हो गया इसलिये वह विपक्षी सं01 परमार मेडिकल सेंटर एवं डेंटल क्लीनिक में अपना इलाज कराने हेतु दिनांक-15.06.2010 को गया, जहां पर डा0श्री डी0एस0परमार द्वारा परिवादी का अनियमितता पूर्वक चेकअप किया गया तथा दिनांक-15.06.2010 को ही फोडा का आपरेशन किया तथा हाई एंटीबायोटिक दवायें लिखीं जो परिवादी को नुकसान कर गईं तथा दिनांक-16.06.2010 को जब परिवादी दुबार डा0डी0एस0 परमार के पास गया तो डा0परमार ने परिवादी को अंगुलि कटवाने का परामर्श दिया और कहा कि यदि तुरंत अंगुलि नहीं कटवाता है तो उसके शरीर में कैंसर हो जायेगा और हो सकता है दाहिना हाथ काटना पडे । डा0परमार ने परिवादी की बिना ब्लड सुगर की जांच किये हाई एंटीवायोटिक दवायें दीं,जिससे परिवादी की ब्लड शुगर बढ गई और परिवादी को उल्टी दस्त होने लगे । हालत गंभीर होने पर परिवादी अपना इलाज कराने झांसी गया और वहां से दिनांक-24.06.2010 को दवा कराने के बाद वापस लौटा और डाक्टर परमार के यहां गया तथा उनको बताया कि जो दवायें अपने क्लीनिक से उपलब्ध कराईं थी उनको वापस लें और परिवादी को उनकी कीमत वापस करें । इस पर डा0 परमार ने परिवादी के साथ गाली-गलौज करके कैबिन के बाहर भगा दिया और कहा कि अगली बार यदि दवा वापस करने आये तो जान से मार दिये जाओगे । डा0 परमार के अनियमित तरीके से दवा करने के कारण परिवादी के दाहिने हाथ की अंगुलि खराब व धनुषाकार टेडी हो गई और परिवाद उस अंगुलि के सहारे कोई कार्य बलपूर्वक नहीं कर सकता है । ऐसी परिस्थिति में परिवादी ने डा0डी0एस0परमार की शिकायत संबंधी प्रार्थना पत्र दिनांक-19.07.2010 तथा 28.07.2010 को जिलाधिकारी,महोबा को दिया तथा दिनांक-03.08.2010 को तहसील दिवस में भी एक प्रार्थना पत्र दिया था,जिसके अनुपालन में डा0 रत्नाकर सिंह,अपर मुख्य चिकित्साधिकारी,महोबा द्वारा मामले की जांच दिनांक-16.08.2010 को की गई । डा0 रत्नाकर द्वारा की गई जांच के दौरान डा0 परमार ने परिवादी का अपने क्लीनिक में इलाज करने तथा उसकी अंगुलि में फोडे का आपरेशन बिना ब्लड शुगर की जांच किये करने तथा हाई एंटीबायोटिक देना स्वीकार किया । उक्त दवाओं की वजह से परिवादी के दाहिने हाथ की अंगुलि खराब और धनुषाकार होने के कारण परिवादी कोई कार्य जैसे-मोटर साइकिल के क्लिच आदि का इस्तेमाल कर पाना तथा कोई भी भारी काम उस अंगुलि से नहीं कर पाता है और अन्य क्रियाओं के करने में भी तकलीफ होती है । ऐसी परिस्थिति में परिवादी अपनी बीमारी के इलाज में होने वाले व्यय,मानसिक एवं शारीरिक क्षति के बावत यह परिवाद मा0 फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है ।
विपक्षी सं01 डा0डी0एस0परमार ने जबाबदावा प्रस्तुत किया है,जिसमें उन्होंने यह कहा है कि परिवादी जब विपक्षी के कलीनिक में इलाज हेतु आया तो उसे विपक्षी ने स्पष्ट रूप से बता दिया था कि तुम पुराने शुगर के मरीज हो तुम शुगर की जांच कराओ । परिवादी की जांच में शुगर बढी हुई पाई गई । उसे शुगर की जांच खाना खाने के एक घंटे पहले व उसके एक घंटे बाद कराने की सलाह दी गई तथा शुगर कंट़ोल व गैंगरिन के लिये जो दवाये दी जातीं हैं वही दवायें दी गईं और उनके सेवन का तरीका बताया । परिवादी ने विपक्षी के क्लीनिक स्थित मेडिकल स्टोर से कुछ दवायें लीं लेकिन वह एक माह तक दिखाने नहीं आया । तत्पश्चात दिनांक-18.07.2010 को परिवादी विपक्षी के क्लीनिक पर आया और कर्मचारियों को धमकी देते हुये झगडा करने पर आमादा हो गया तब विपक्षी अपने चैम्बर से निकलकर बाहर आयो और परिवादी को संयम बरतने और ठीक ढंग से बात करने को कहा और उसको कहा कि वह जो दवायें विपक्षी के क्लीनिक से ले गया था उनकी रसीदें दिखा दे तो मिलानकर के जो दवायें वापस करने योग्य होगीं वह वापस कर दीं जायेंगीं । परिवादी ने कोई रसीदें नहीं दिखाई और विपक्षी से भी अभद्रता करने लगा तब उसे क्लीनिक से बाहर किया गया । इस पर वह धमकी देते हुये देख लेने की बात कर के बाहर चला गया । तत्पश्चात परिवादी ने अपने किसी व्यक्ति को विपक्षी के पास भेजा और कहा कि 10,000/-रू0 देकर वह समझौता कर ले अन्यथा बहुत बडी रकम के लिये वह दावा दायर करेगा । परिवादी का एकमात्र उददेश्य उससे पैसा ऐंठने का था । विपक्षी एक क्वालिफाइड डाक्टर है तथा मेडिसिन का विशेषज्ञ है तथा मेडिकल कांउसिल एवं मुख्य चिकित्साधिकारी,महोबा के यहां रजिस्टर्ड है । विपक्षी द्वारा कोई लापरवाही परिवादी के इलाज में नहीं बरती गई और विपक्षी द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गई तथा परिवादी उनके यहां आउटडोर पेसेंट था । परिवादी ने विपक्षी द्वारा प्रिसक्राइब्ड दवाओं का सेवन नहीं किया गया क्योंकि वह दवायें लेकर वापस करने आया था । जब उसने दवाओं का इस्तेमाल ही नहीं किया तो उसे रिऐक्शन करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है । परिवादी द्वारा जिलाधिकारी,महोबा से की गई शिकायत पर श्री रत्नाकर सिंह,अपर मुख्य चिकित्साधिकारी,महोबा को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था,जिन्होंने जांच के दौरान उनकी अपेक्षाओं की पूर्ति न किये जाने के कारण परिवादी के पक्ष में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने की धमकी दी गई थी,जिसकी शिकायत परिवादी द्वारा दिनांक-13.08.2010 को मुख्य चिकित्साधिकारी,महोबा से की गई थी । उन्होंने तद़नुसार जांच रिपोर्ट भी विपक्षी के प्रतिकूल जानबूझकर दी गई । विपक्षी की और से यह भी कहा गया है कि मा0उच्चतम न्यायालय ने डा0जैकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य 2005 ए0आई0आर0 प़ष्ठ 3180 में यह व्यवस्था दी है कि किसी चिकित्सक के विरूद्ध शिकायतकर्ता की शिकायत नहीं स्वीकार की जानी चाहिये जब तक कि अन्य किसी सक्षम चिकित्सक की गवाही न कराई गई हो । इस केस में परिवादी द्वारा ऐसा नहीं किया गया है । ऐसी परिस्थिति में उन्होंने परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की है ।
विपक्षी सं02 मुख्य चिकित्साधिकारी,महोबा ने कोई विस्त़त जबाबदावा दाखिल नहीं किया और उन्होंने कागज सं021ग/1 के माध्यम से न्यायालय को मात्र यह अवगत कराया कि उनका इस परिवाद से किसी प्रकार का कोई सरोकार नहीं है ।
परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं के शपथ पत्र कागज सं04ग/1 व 4ग/2, व 42ग प्रस्तुत किये हैं तथा अभिलेखीय साक्ष्य में परिवादी के प्रार्थना पत्र पर की गई जांच की जांच आख्या की छायाप्रति कागज सं06ग/1 लगायत 7ग/7 तथा चिकित्सा संबंधी अभिलेख की छायाप्रति कागज सं08ग लगायत 13ग/5 दाखिल किया गया है ।
जबकि डा0डी0एस0परमार ने अपने जबाबदावा के समर्थन में उनके स्वयं का शपथ पत्र 16ग/1 लगायत 16ग/4,शपथ पत्र महेश सोनी कंपाउडर कागज सं017ग/1 व 17ग/2,शपथ पत्र द्वारा श्री राजेश कुमार सैनी,लैब टैक्नीशियन कागज सं018ग/1 लगायत 18ग/2,शपथ पत्र द्वारा श्री हरीशंकर विश्वकर्मा कंपाउडर 19ग/1 लगायत 19ग/2 शिकायती प्रार्थना पत्र कागज सं039ग दाखिल किया गया है ।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को विस्त़त रूप से सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने यहीं बहस की है कि विपक्षी द्वारा परिवादी की अंगुलि का आपरेशन बिना किसी चिकित्सीय परीक्षण कराये कर दिया गया,उन्होंने परिवादी को किसी सर्जन को रिफर नहीं किया । विपक्षी सं01 ने स्वयं अपने जबाबदावा में यह स्वीकार किया है कि परिवादी उनके क्लीनिक में दिनांक-15.06.2010 को आया था और परिवादी को कोई फोडा नहीं था बल्कि गैंगरिन था । इन तथ्यों को उन्होंने डा0 रत्नाकर सिंह अपर मुख्य चिकित्साधिकारी, महोबा द्वारा की जा रही जांच में भी स्वीकार किया । उनके द्वारा गलत चिकित्सा किये जाने के कारण परिवादी को झांसी जाकर इलाज कराना पडा,जिससे उसकी अंगुलि टेडी हो गई है और झांसी इलाज में उसका लगभग एक लाख रूपया व्यय हो गया है । ऐसी परिस्थिति में उन्होंने परिवादी को क्षतिपूर्ति दिलाये जाने की प्रार्थना की है ।
विपक्षी सं01 के विद्वान अधिवक्ता ने अपनी बहस में यह कहा है कि विपक्षी सं01 पेशे से चिकित्सक है और बतौर फिजीशियन परिवादी का इलाज करने के लिये वह सक्षम थे । परिवादी जब दिनांक-15.06.2010 को उनके क्लीनिक में आया तब उन्होंने उसके पर्चे में ही जो कि परिवादी ने स्वयं दाखिल किया है,जो कि कागज सं0 9ग/1 है में इस बात का उल्लेख किया था कि परिवादी के दाहिने हाथ की इंडेक्स फिंगर में डाई गैंगरिन है और उसको डी0एच0एम0 अर्थात जिला अस्पताल,महोबा इलाज के लिये संदर्भित किया गया था तथा उसके इसी पर्चे में इंवेस्टीगेशन के कालम में पी0बी0एस0 अर्थात ब्लड शुगर की जांच कराये जाने का निर्देश दिया गया था,जिसके अनुपालन में परिवादी की ब्लड शुगर की जांच कराई गई,जिसकी रिपोर्ट दिनांक-16.06.2010 में दाखिल की गई,जिसमें उसकी शुगर 329.6 एम0जी0 पाई गई । इस रिपोर्ट के आने के बाद ही परिवादी को दवायें लिखीं गईं थीं । जैसा कि अभिलेख कागज सं0 38ग से स्पष्ट है । तत्पश्चात परिवादी उसके दूसरे ही दिन दिनांक-17.06.2010 को कमला अस्पताल, झांसी गया और वहां के चिकित्सक को दिखाया उक्त हास्पिटल में डाक्टर ने परिवादी को डायबिटिक होना लिखा है तथा ब्लड शुगर की जांच का निर्देश दिया है । पर्चा कागज सं012ग/1 व 12ग/2 से स्पष्ट है कि झांसी स्थित उक्त चिकित्सक ने भी परिवादी के हाथ की अंगुलि में डाई गैंगरिन होना पाया और उसे अपने अस्पताल में भर्ती किया है । इस प्रकार परिवादी द्वारा किसी भी स्तर पर कोई इलाज में लापरवाही नहीं बरती गई है । विपक्षी ने मात्र 15-16 तारीख को ही प्रारम्भिक अवस्था में परिवादी का इलाज किया है तथा उनकी ओर से किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरती गई तथा वह उच्च शिक्षा प्राप्त एलोपैथिक फिजीशियन है और उन्होंने जो इलाज परिवादी का किया और वह उसे करने के लिये पूर्णत सक्षम थे । जहां तक परिवादी द्वारा विपक्षी चिकित्सक के विरूद्ध एक जांच आख्या प्रस्तुत की गई है,जो कि कागज सं0 7ग/2 लगायत 7ग/7 है । इसमें भी विपक्षी चिकित्सक द्वारा कोई ऐसी बात नहीं कही गई,जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि उनके द्वारा परिवादी की अंगुलि का आपरेशन किया गया और गलत इलाज किया गया है । यदपि इस रिपोर्ट पर तब तक विश्वास नहीं किया जा सकता । जब तक जांच अधिकारी इसके समर्थन में न्यायालय में अपना शपथ पत्र नहीं दे देते । यदपि डा0 परमार ने जांच अधिकारी द्वारा पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाये जाने के संबंध में शिकायती प्रार्थना पत्र मुख्य चिकित्साधिकारी,महोबा को दिया था,जो कि कागज सं039ग है ।
उपरोक्त समस्त शपथ पत्र व अभिलेखीय साक्ष्य के गहन अध्ययन करने के पश्चात यह फोरम यह पाता है कि विपक्षी डा0डी0एस0परमार द्वारा परिवादी श्री महेश कुमार तिवारी की सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई और उसकी अंगुलि का आपरेशन झांसी स्थित अस्पताल में हुआ है और जो भी दवाये लिखीं गईं और डा0 परमार स्वयं उच्च शिक्षित एम0डी0 फिजीशियन तथा डी0ए0ई0सी0एम0 शिक्षा प्राप्त चिकित्सक है । ऐसी परिस्थिति में उनसे यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह परिवादी के साथ कोई चिकित्सीय त्रुटि करते । इसके अलावा परिवादी ने मा0उच्चतम न्यायालय के निर्णय डा0जैकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य 2005 ए0आई0आर0 प़ष्ठ 3180 में दी गई विधि व्यवस्था के अनुसार किसी अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक की गवाही नहीं कराई है । ऐसी परिस्थिति में यह नहीं कहा जा सकता कि विपक्षी डा0 डी0एस0 परमार ने परिवादी की चिकित्सीय सेवा में कोई त्रुटि की है और ऐसी परिस्थिति में परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है ।
आदेश
परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण निरस्त किया जाता है । पक्षकार अपना अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगें ।
डा0सिद्धेश्वर अवस्थी बाबूलाल यादव श्रीमती नीला मिश्रा
सदस्य, अध्यक्ष, सदस्या,
जिला फोरम,महोबा । जिला फोरम,महोबा । जिला फोरम,महोबा ।
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