जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:-629/2022
उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:- 15.11.2022
परिवाद के निर्णय की तारीख:-13.08.2024
अंशुमान त्रिपाठी उम्र लगभग 30 वर्ष पुत्र श्री शैलेन्द्र कुमार त्रिपाठी निवासी-मकान नं0-10 देवांचल सिटी सुग्गामउ रोड, इन्दिरा नगर, लखनऊ।
..................परिवादी।
बनाम
डी0आर0एस0 दिलीप रोड लाईन्स लिमिटेड 306 तृतीय तल, काब्रा काम्पलेक्स 61, एम0जी0 रोड सिकन्दराबाद-500003 । ................विपक्षी।
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-परिवादी स्वयं।
विपक्षीगण के अधिवक्ता का नाम:-कोई नहीं।
आदेश द्वारा-श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
निर्णय
1. परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-35 के तहत विपक्षी से परिवादी के सामान के लिये हुई क्षति के रूप में 1,23,400.00 रूपये अन्तिम भुगतान की तिथि तक मय 18 प्रतिशत ब्याज के साथ, विपक्षी द्वारा अपनायी गयी अनुचित व्यापार प्रकिया के कारण परिवादी को हुए मानसिक, आर्थिक व शारीरिक कष्ट के लिये 2,00,000.00 रूपये, एवं वाद व्यय व अन्य दौड़ भाग के लिये 75,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी पूर्व में कानपुर में निवास करता था जहॉं से माह जून 2022 में अपने वर्तमान निवास पर आना था और उसे अपने घर का सारा सामान भी लेकर आना था। परिवादी ने विपक्षी द्वारा उपलब्ध करायी जा रही पैक एण्ड मूव सेवा को अच्छा जानकर सम्पर्क किया और जानकारी ली। विपक्षी द्वारा बताया गया कि वह अच्छी सुविधाओं के साथ तथा पूरी सुरक्षा और अच्छे पैकिंग के साथ सामान पहुँचाते हैं और परिवादी के सामानों के लिये कुल 22,500.00 रूपये का भुगतान लेगें। परिवादी ने विपक्षी को दिनॉंक 29.06.2022 को ही 20,000.00 रूपये तथा 2,500.00 रूपये का भुगतान कर दिया।
3. परिवादी के घर का सारा सामान पैक किया गया और कुल सामानों की लिस्ट बनाकर दे दिया गया। बुकिंग कराते समय विपक्षी ने बताया था कि वह बड़े ट्रक द्वारा सामान सुरक्षित पहॅुचा देंगे किन्तु जब परिवादी के घर विपक्षी के कर्मचारी सामान लेने पहुँचे तो यह देखकर कि विपक्षी ने एक छोटा ट्रक भेजा था, जिसका विरोध परिवादी द्वारा किया और बड़ा ट्रक लाने के लिये कहा किन्तु विपक्षी के कर्मचारियों ने बताया कि सामान इसी ट्रक से जाएगा आगे जाकर ट्रक बदल दिया जाएगा आप निश्चिंत रहे आपका सामान सुरक्षित पहॅुचा दिया जाएगा।
4. परिवादी अपना सामान पैक करवा कर विपक्षी के सुपुर्द करके निश्चिंत होकर लखनऊ आ गया। दिनॉंक 30.06.2022 को विपक्षी का ट्रक लखनऊ आया और सामान उतरने पर परिवादी को यह देखकर अत्यधिक मानसिक धक्का लगा कि उसका सामान बहुत ही बेकार हालत में है और टूटा-फूटा है और काफी सामान गायब भी है तथा सारा सामान पानी में भीगा हुआ है जिसके कारण परिवादी के घर का सारा सामान, मँहगे कपड़े, फर्नीचर आदि सब भीग कर खराब हो चुके हैं।
5. अपने सामानों की हालत देखकर परिवादी को अत्यधिक मानसिक धक्का लगा और परिवादी ने जब इस बात का विरोध किया तो विपक्षी के कर्मचारियों ने बताया कि आप कम्पनी में बात कर ले, आपके नुकसान की भरपाई कम्पनी द्वारा हो जायेगी और सामान उतारकर चले गये। परिवादी ने अपने सामान की फोटो खींची और विपक्षी से संपर्क किया तो विपक्षी ने बताया कि आप परेशान न हो आप अपने खोए हुए और टूटे और खराब हुए सामानों की एक लिस्ट कीमत सहित बनाकर भेज दें या ई-मेल कर दें एक माह के अन्दर आपको कम्पनी द्वारा क्लेम दे दिया जाएगा। परिवादी ने विपक्षी को ईमेल कर दिया। एक माह का समय व्यतीत होने के उपरान्त भी जब विपक्षी ने परिवादी से कोई संपर्क नहीं किया तो परिवादी ने विपक्षी को फोन किया तो विपक्षी ने बताया कि आपका क्लेम प्रोसेस में है और आपको जल्द ही सूचित कर दिया जायेगा।
6. काफी समय व्यतीत होने के उपरान्त भी जब विपक्षी ने परिवादी के क्लेम की न तो जानकारी दी और न ही कोई सूचना ही दिया तो परिवादी ने विपक्षी को फोन किया, किन्तु विपक्षी ने अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनाते हुए परिवादी का फोन उठाना बन्द कर दिया जिससे दुखी होकर परिवादी ने विपक्षी को ई-मेल द्वारा अनुरोध किया कि उसके नुकसान की भरपाई कर दें, परन्तु विपक्षी ने परिवादी के ई-मेल को भी संज्ञान में नहीं लिया, जिसके कारण परिवादी को वाद का कारण उत्पन्न हुआ है।
7. परिवाद का सम्मन विपक्षी को भेजा गया, परन्तु विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई जवाब दिया गया। अत: दिनॉंक-26.04.2023 को विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी।
8. परिवादी ने अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में परिवादी द्वारा भुगतान की गयी धनराशि की रसीद, ईमेल, आदि की छायाप्रतियॉं तथा कलर्ड फोटोग्राफ्स आदि दाखिल किये गये हैं।
9. आयोग द्वारा परिवादी के अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।
10. परिवादी ने कानपुर से अपनी गृहस्थी का सारा सामान लखनऊ लाने हेतु एक मूव एवं पैकर्स कम्पनी से बात की तथा संतुष्ट होने पर उसको सामान लाने का किराया 22,500.00 रूपये भी एडवान्स दे दिया तथा अनुरोध किया कि उसका कीमती सामान सुरक्षित पहुँचा दिया जाए। परन्तु जैसा कि परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में अवगत कराया गया है कि उसका सारा सामान भीग गया तथा टूट-फूट गया काफी बड़ा नुकसान हुआ। इसकी शिकायत कम्पनी से की गयी तो कम्पनी द्वारा कहा गया कि आप सामानों की लिस्ट व उसका मूल्य का आंकलन करके उपलब्ध करा दें तो आपको उसका भुगतान हो जाएगा। परिवादी ने सामानों की लिस्ट उसके अनुमानित मूल्य के साथ विपक्षी को भेज दी परन्तु विपक्षी द्वारा आज तक कोई भुगतान नहीं किया गया।
11. परिवादी ने दो तीन बार प्रयास किया परन्तु उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। फोन करने पर फोन भी नहीं उठाया गया। अंत में थकहार कर परिवादी ने मा0 आयोग में परिवाद दाखिल किया गया। विपक्षी द्वारा निश्चय ही परिवादी के साथ सेवा में कमी की है तथा अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनायी गयी है। सामान पहुँचाने के लिये पूरा पैसा एडवान्स में ही ले लिया गण, सामान सही ढंग से पहुँचाया नहीं गया। बहुत सामान टूट-फूट गया जिससे काफी आर्थिक नुकसान हुआ। मा0 आयोग के समक्ष भी विपक्षी उपस्थित नहीं हुए। इससे प्रतीत होता है कि उन्होंने बड़ी लापरवाहीपूर्वक कार्य किया है। अपनी जिम्मेदारी नहीं निभायी है।सेवा में कमी परिलक्षित होती है। परिवादी को हुई क्षतिपूर्ति की पूरी जिम्मेदारी विपक्षी की है। परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है, विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी के खराब हुए सामानों की कीमत मुबलिग 41,200.00 (इकतालिस हजार दो सौ रूपया मात्र) मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर अदा करेगें। परिवादी को हुए मानसिक, व शारीरिक कष्ट के लिये क्षतिपूर्ति मुबलिग 5,000.00 (पॉंच हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगे। यदि निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-13.08.2024