SHAKUNTALA DEVI filed a consumer case on 22 Feb 2021 against D.M.(U.P.GOVT.) in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/253/2009 and the judgment uploaded on 04 Mar 2021.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 253 सन् 2009
प्रस्तुति दिनांक 23.12.2009
निर्णय दिनांक 22.02.2021
नाबालिगान पुत्रगण व पुत्रीगण 02लगायत06 स्वo ओमप्रकाश राम जरिए, निवासीगण ग्राम व पोस्ट- देवारा इस्माइलपुर, तहसील- सगड़ी, जिला- आजमगढ़।............................................परिवादीगण।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादीगण ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि परिवादिनी संख्या 01 के पति व परिवादीगण 02 व 06 के पिता स्वo ओम प्रकाश राम की दिनांक 09.12.2008 को समय करीब 12.00 बजे दिन को थाना जीयनपुर, जिला- आगमगढ़ के क्षेत्राधिकार में वाहन की चपेट में आने के कारण गम्भीर चोटे आयी थीं इन चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गयी जिनका पोस्ट मार्टम दिनांक 10.12.2008 को सदर अस्पताल आजमगढ़ में हुआ था। परिवादिनी संख्या 01 के पति व परिवादीगण 02 व 06 के पिता स्वo ओमप्रकाश राम की वाहन दुर्घटना में बुरी तरह से घायल होने व जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु होने की लिखित सूचना थाना- जीयनपुर, जिला- आजमगढ़ में पंजीकृत कराया जिस पर थाना जीयनपुर आजमगढ़ में मुoअoसंo- 695/08/अo धारा- 279, 337, 338, 304ए व 427 आई.पी.सी. दर्ज हुआ। परिवादिनी संख्या 01 के
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पति परिवादीगण 02 व 06 के पिता स्वo ओमप्रकाश राम कृषक थे जिनका नाम भू-राजस्व अभिलेख ग्राम- देवारा इस्माइलपुर, परगना व तहसील- सगड़ी, जिला- आजमगढ़ के उद्वरण खतौनी में तथा रेवेन्यू रिकार्ड में दर्ज था। उoप्रo सरकार की सीमा में रहने वाले 12 से 70 वर्ष की आयु वाले ऐसे समस्त कृषक जिनका नाम रेवेन्यू रिकार्ड में खातेदार/सहखातेदार के रूप में दर्ज होगा उनके लिए अप्राकृतिक मृत्यु होने की दशा में व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना लागू की गयी है। इस बीमा योजना के तहत ऐसे सभी कृषक आच्छादित होंगे जिनकी मृत्यु अप्राकृतिक होगी और अप्राकृतिक मृत्यु की दशा में बीमा की धनराशि मुo 1,00,000/- रुपए होगी। उoप्रo सरकार द्वारा व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना विपक्षी संख्या 02 आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी के यहाँ से कराया गया था। जिसका भुगतान उसे करना था। परिवादीगण द्वारा व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा धनराशि प्राप्त किए जाने हेतु प्रार्थना पत्र सभी प्रपत्रों एवं विवरण के साथ जिलाधिकारी/उपजिलाधिकारी कार्यालय सगड़ी आजमगढ़ में दिया था। परिवादी संख्या 02 द्वारा व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना की धनराशि की प्राप्ति हेतु कई बार जिलाधिकारी/उपजिलाधिकारी कार्यालय सगड़ी आजमगढ़ के कार्यालय में गया परन्तु परिवादी के साथ कार्यालय अधिकारी द्वारा उपेक्षात्मक व्यवहार किया गया और बार-बार कहा जाता है कि आपके क्लेम का भुगतान जल्द से जल्द कर दिया जाएगा। परिवादी संख्या 02 द्वारा दिनांक 30.11.2009 को जिलाधिकारी/उपजिलाधिकारी कार्यालय सगड़ी, आजमगढ़ के कार्यालय पर गया तो कार्यालय अधिकारी द्वारा उपेक्षात्मक व्यवहार करते हुए कहा गया कि दावा की धनराशि तुम्हें नहीं मिलेगी। परिवादीगण के साथ विपक्षीगण द्वारा अपनी सेवा-संविदा की शर्तों का घोर उल्लंघन किया है। अतः परिवादीगण को विपक्षीगण से मुo 1,00,000/- रुपए, विपक्षीगण द्वारा अपनी सेवाओं में की गयी कमी से मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति के रूप में मुo 25,000/- रुपया तथा वाद-व्यय व अधिवक्ता शुल्क मुo 5,000/- रुपया कुल रुपया 1,30,000/- रुपया 12% वार्षिक की दर से दिलवाया जाए।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी ने प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति, पोस्ट मार्टम कराए जाने हेतु दिए गए प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की छायाप्रति तथा खतौनी की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। विशेष कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार नहीं था। परिवादीगण
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कन्ज्यूमर की परिभाषा में नहीं आते हैं। परिवादी का परिवाद प्रस्तुत करने का कोई वाद कारण नहीं था। विपक्षी संख्या 02 बेहतर सर्विस देने के लिए बाध्य है, लेकिन विपक्षी संख्या 02 द्वारा कोई भी अपनी सेवा में कमी नहीं किया गया है। याची संख्या 01 ने विपक्षी संख्या 02 को सुनिश्चित प्रोफॉर्मा पर सूचित नहीं किया है। रेवेन्यू रिकार्ड के अनुसार मृतक घटना के समय कृषक नहीं था। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी संख्या 02 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
बहस के समय परिवादी अनुपस्थित। विपक्षी की तरफ से शासकीय अधिवक्ता उपस्थित आए। उनको सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। कागज संख्या 18ग परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत किया गया है जिसमें राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के लगभग 2.50 करोड़ खातेदार/सहखातेदार कृषकों के लिए जनता व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना क्रियान्वित की जानी है। जिसमें निम्न प्रमुख शर्तों पर बीमा आवरण तथा क्लेम निस्तारण हेतु प्रीमियम की दरें तय किए जाने के लिए मुहरबन्द निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं कृषकों की यह संख्या घट या बढ़ सकती है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एग्रीकल्चर बनाम मारूती साहू (2) 2019 सी.पी.जे. 104 उड़ीसा” माo उड़ीसा हाईकोर्ट द्वारा पारित अभिनिर्णय को देखें तो इसमें यह कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को सरकार द्वारा मुफ्त आर्थिक मदद दी जा रही है और उसके लिए उसने कोई कोई कन्सीडिरेशन भुगतान नहीं किया है तो वह कन्ज्यूमर की परिभाषा में नहीं आता है। इस मामले में भी मृतक ने सरकार को कोई प्रतिफल नहीं दिया था। ऐसी स्थिति में मृतक सरकार का कन्ज्यूमर नहीं माना जाएगा और परिवादीगण चूंकि कन्ज्यूमर नहीं है। अतः वह कोई भी अनुतोष पाने के लिए अधिकृत नहीं है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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दिनांक 22.02.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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