Uttar Pradesh

Mahoba

132/10

DAYASHNKAR - Complainant(s)

Versus

D.M. - Opp.Party(s)

DAYASNKAR

30 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 132/10
 
1. DAYASHNKAR
MAHOBA
...........Complainant(s)
Versus
1. D.M.
MAHOBA
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Mr. BABULAL YADAV PRESIDENT
 HON'BLE MR. SIDDHESHWAR AWASTHI MEMBER
 HON'BLE MRS. NEELA MISHRA MEMBER
 
For the Complainant:DAYASNKAR, Advocate
For the Opp. Party: RAJKUMAR, Advocate
ORDER

समक्ष न्‍यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा

परिवाद सं0-132/2010                           उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्‍यक्ष,

                                                     डा0 सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी, सदस्‍य,

                                                        श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्‍य

दयाशंकर साहू पुत्र श्री जाली साहू निवासी-मुहाल-छिपयानापुरा महोबा परगना व तहसील व जिला-महोबा                                                                       परिवादी                                          

                                   बनाम

1.जिलाधिकारी,महोबा जनपद-महोबा ।  

2.अपर जिलाधिकारी,महोबा जनपद-महोबा                                 विपक्षीगण

निर्णय

श्री बाबूलाल यादव,अध्‍यक्ष द्वारा उदधोषित

      परिवादी दयाशंकर साहू ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षीगण जिलाधिकारी व अपर जिलाधिकारी,महोबा बाबत कराये जाने विक्रय विलेख बावत प्‍लाट नं021 खनगा बाजार महोबा व अन्‍य अनुतोष हेतु प्रस्‍तुत किया है ।

      संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि परिवादी मुहाल-छिपयानापुरा महोबा तहसील व जिला-महोबा का निवासी है और वह दुकानदारी कर के स्‍वरोजगार करता है जिससे अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करता । विपक्षीगण ने महोबा स्थि‍त शहर खनगा बाजार की नजूल भूमि के भूखण्‍डों को निजी स्‍वामित्‍व में दिलाये जाने हेतु सार्वजनिक नीलामी के बावत विज्ञप्ति आमंत्रित की थी और विपक्षीगण द्वारा माह-जनवरी,2003 सार्वजनिक नीलामी की और से परिवादी का प्‍लाट सं021 नजूल भूमि की नीलामी 1,18,000/-रू0 में परिवादी के हक में की गई और विपक्षीगण के निर्देशानुसार परिवादी ने नीलामी की धनराशि का ¼ अंश यानि मु029,500/-रू0 दि0 30.01.2003 को चालान के माध्‍यम से जमा किया तथा शेष धनराशि ¾ यानि मु088,500/- रू0 विपक्षीगण निर्देशानुसार दि016.01.2005 को चालान के माध्‍यम से भारतीय स्‍टेट बैंक,महोबा में जमा किया । विपक्षीगण द्वारा उपरोक्‍त धनराशि जमा करने के बाद प्‍लाट सं021 का विक्रय परिवादी के हक में कराये जाने बावत स्‍टाम्‍प खरीदने का निर्देश दिये,जिस पर परिवादी ने दि016.06.2007 को 11,800/-रू0 का स्‍टाम्‍प विपक्षीगण के कार्यालय में जमा किया और विपक्षीगण द्वारा प्‍लाट सं021 के बावत विक्रय विलेख तहरीर कराकर पंजीकृत कराने का आश्‍वासन परिवादी को दिया । विपक्षीगण द्वारा उपरोक्‍त प्‍लाट सं021 के बावत परिवादी के हक में विक्रय पत्र निष्‍पादित कराये जाने पर संपूर्ण औपचारिकतायें पूर्ण कराये जाने के बावजूद भी व परिवादी के लगातार अनुरोध के बावजूद भी आज तक विक्रय पत्र निष्‍पादित नहीं कराया गया । ऐसी परिस्थिति में परिवादी ने पंजीकृत डाक से एक नौटिस जरिये अधिवक्‍ता दि013.01.2010 को विपक्षीगण को भेजा जो उनको प्राप्‍त हुआ लेकिन उनके द्वारा बैनामा निष्‍पादित नहीं कराया गया । ऐसी परिस्थिति में परिवादी ने यह परिवाद मा0 फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया ।

      विपक्षीगण की और से जबाबदावा प्रस्‍तुत किया गया है,जिसमें उन्‍होंने यह तथ्‍य स्‍वीकार किया है कि परिवादी मु0छिपयानापुरा तहसील व जिला-महोबा का मूल निवासी है तथा शहर महोबा स्थित गाटा सं01892 खनगा बाजार स्थित भूखण्‍ड सं021 की सार्वजनिक नीलामी के माध्‍यम से फ्री होल्‍ड करने हेतु समाचार पत्र में विज्ञापन कराया जाना स्‍वीकार किया तथा यह भी स्‍वीकार किया कि इसी आधार पर उक्‍त भूखण्‍ड की नीलामी दि003.10.2002 को करार्इ गई थी जिसे तत्‍कालीन जिलाधिकारी,महोबा द्वारा दि010.01.2003 को स्‍वीकृत की गई थी । तत्‍पश्‍चात परिवादी द्वारा बोली का ¼ धनराशि मु029,500/-रू0 ट्रेजरी चालान द्वारा दि020.01. 2003 को नजूल मद में भारतीय स्‍टेट बैंक,महोबा में जमा की गई थी । शेष ¾ धनराशि मु088,500/-रू0 परिवादी द्वारा जमा किया था,जहां तक उसके द्वारा जमा न करने पर विपक्षीगण द्वारा दि021.01.2003,11.03.2003 एवं 16.08.2003 को नोटिस भेजे गये थे । उक्‍त नोटिस की तामील परिवादी को व्‍यक्तिगत रूप से दि022.01.2003,26.03.2003 एवं 08.08.2003 को कराई गई थी । उक्‍त नोटिस द्वारा परिवादी को यह सूचित किया गया था कि यदि एक सप्ताह के अंदर परिवादी शेष धनराशि जमा नहीं करता है तो जमा की गई शेष ¼ धनराशि मु029,500/-रू0 की जब्‍तीकरण की कार्यवाही की जायेगी लेकिन परिवादी द्वारा उक्‍त नोटिस प्राप्‍त करने के बावजूद भी शेष धनराशि ¾ 88,500/-रू0 लगभग 2 वर्ष व्‍यतीत होने के बाद अत्‍यधिक विलंब होने पर ट्रेजरी चालान के माध्‍यम से दि016.06.2005 को भारतीय स्‍टेट बैंक,महेाबा में नजूल मद में जमा की गई तत्‍पश्‍चात लगभग 2 वर्ष बाद दिनांक:12.06.2007 को प्रश्‍नगत भूखण्‍ड का विक्रय विलेख जारी करने हेतु एक प्रार्थना पत्र के साथ स्‍वयं की और से हश्‍वटंकित तहरीरी स्‍टाम्‍प मु011,800/-रू0 प्रस्‍तुत किया गया । इस प्रकार परिवादी की और से ¾ धनराशि मु088,500/-रू0 समय से जमा न करने पर शासन को आर्थिक क्षति हुई है । परिवादी द्वारा स्‍वयं समय से धनराशि जमा करने में विलंब किया गया है । ऐसी परिस्थिति में परिवादी विक्रय पत्र लिखा पाने का अधिकारी नहीं है । इस प्रकार विपक्षीगण का यही कथन है कि संबंधित नीलामी वर्ष 2002 में हुआ था । परिवादी को निर्धारित अवधि के अंतर्गत वांछित धनराशि जमा करनी थी,जिसे उसने निर्धारित अवधि में जमा नहीं किया । विपक्षीगण द्वारा कभी परिवादी को विक्रय विलेख पंजीकृत करने का कोई आश्‍वासन नहीं दिया गया उसने स्‍वयं चालान भरकर बिना सक्षम अधिकारी की स्‍वीकृति के मु088,500/-रू0 धनराशि जमा की है । ऐसी परिस्थिति में परिवादी नीलामी के 8 वर्ष बाद विक्रय अभिलेख निष्‍पादित करा पाने का अधिकारी नहीं है ।

      परिवादी ने इसके बाद अपना जबाबुल जबाब प्रस्‍तुत किया गया है और अपने परिवाद में कहे गये कथन को दोहराया तथा परिवादी को जो नोटिस विपक्षीगण द्वारा भेजे जाना व तामील कराये जाने के संबंध में अभिकथन किया गया है,उससे उसने इंकार किया है और यह कहा है कि परिवादी को उपरोक्‍त नोटिस की तामील फर्जी तरीके से दिख रही है और उसने पुन: परिवाद स्‍वीकार किये जाने की प्रार्थना की है ।  

      परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्‍वयं का शपथ पत्र कागज सं04ग व 25ग प्रस्‍तुत किया है तथा अभिलेखीय साक्ष्‍य में जिलाधिकारी,महोबा को दिये गये प्रार्थना पत्र की कार्बनप्रति कागज सं06ग,मु029,500/-रू0 परिवादी द्वारा विपक्षी के पक्ष में जमा कराये जाने संबंधित चालान की छायाप्रति कागज सं07ग, परिवादी द्वारा विपक्षी के पक्ष में जमा कराये जाने संबंधित चालान की छायाप्रति कागज सं08ग,जिलाधिकारी,महोबा को दिये गये प्रार्थना पत्र की छायाप्रति कागज सं09ग,नोटिस अंतर्गत धारा-80 व्‍यवहार प्रक्रिया संहिता की छायाप्रति कागज सं0 10ग,रजिस्‍ट्री रसीद की मूल प्रति कागज सं0 11ग,एक किता छायाप्रति विक्रय विलेख बहक डा0 सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी कागज सं012ग दाखिल की गई है ।

      विपक्षीगण की और से अपने जबाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र द्वारा श्री सुरेन्‍द्र कुमार,अपर जिलाधिकारी,महोबा प्रस्‍तुत किया गया है,जो कि कागज सं018ग है तथा अभिलेखीय साक्ष्‍य में विपक्षीगण की और से छायाप्रति नीलामी कार्यवाही दिनांक:03.10.2002 कागज सं0 24ग/1,छायाप्रति नोटिस दिनांक:21.01.2003 कागज सं024ग/2, छायाप्रति नोटिस दिनांक:11.03.2003 24ग/3 तथा नोटिस छायाप्रति दिनांक:16.08.2003 24ग/4 दाखिल किया गया है ।  

      फोरम द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुनी गई तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया ।

उभय पक्ष द्वारा दाखिल अभिलेख व अधिवक्‍तागण को यह तथ्‍य स्‍वीकार है कि विपक्षीगण दि003.10.2002 को प्‍लाट सं021 खनगा बाजार की सार्वजनिक नीलामी कराई थी । नीलामी के पूर्व परिवादी ने 10,000/-रू बतौर जमानत जमा कराई गई तथा परिवादी के हक में उपरोक्‍त प्‍लाट 1,18,000/-रू0 में अंतिम रूप से दि0 03.10.2002 को जिलाधिकारी,महोबा द्वारा स्‍वीकार की गई थी । उभय पक्ष को यह भी स्‍वीकार है कि परिवादी विपक्षीगण के निर्देशानुसार मु029,500/-रू0 दि0 30.01.2003 को चालान के माध्‍यम से जमा कर दिया था शेष धनराशि मु0 88,500/-रू0 परिवादी को विपक्षीगण द्वारा निर्धारित समय के अंतर्गत जमा करना था । विवाद अब यही से प्रारम्‍भ होता है कि विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी को दि021.01.2003,11.03.2003 व 16.08.2003 को तीन नोटिस भेजे गये थे,जिनकी तामील व्‍यक्तिगत रूप से शंकर लाल,चपरासी द्वारा 22.12.2003,26.03.2003 व 28.08.2003 को की गई थी । इन नोटिस के बावजूद परिवादी ने निर्धारित अवधि के अंतर्गत शेष धनराशि 88,500/- रू0 जमा नहीं किया । यह धनराशि परिवादी को अंतिम नोटिस दिनांक:16.08.2003 की प्राप्ति अर्थात 28.08.2003 की प्राप्ति अर्थात एक सप्‍ताह के अंतर्गत की जानी थी लेकिन परिवादी ने यह धनराशि एक सप्‍ताह के अंदर नहीं जमा कर के बिना किसी सक्षम अधिकारी के लिखित आदेश के 16.06.2005 को लगभग 2 वर्ष बाद जमा किया और इसी आधार पर परिवादी ने यह चाहा है कि उसके पक्ष में विक्रय विलेख कर दिया जाये । यदपि परिवादी ने उक्‍त नोटिस कागज सं024ग/2,24ग/3 व 24ग/4 को फर्जी व मनगडंत होना बताया है । जबकि विपक्षीगण की और से दाखिल शपथ पत्र कागज सं0 18ग में श्री सुरेन्‍द्र कुमार,अपर जिलाधिकारी,महोबा द्वारा शपथपूर्वक कहा जा चुका है । परिवादी ने इसके संबंध में कोई विश्‍वसनीय साक्ष्‍य दाखिल नहीं की,जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि परिवादी को उक्‍त नोटिस की तामील फर्जी तरीके से कराई गई है और उन नोटिस पर जो हस्‍ताक्षर बने है और उनको फर्जी तरीके से शंकर लाल द्वारा तैयार किया गया है ।

जहां तक परिवादी का यह कथन है कि विपक्षी द्वारा एक अन्‍य व्‍यक्ति डा0सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी के पक्ष में विक्रय पत्र निष्‍पादित किया है,अंत: इसी आधार पर परिवादी के पक्ष में विक्रय पत्र निष्‍पादित किया जाये । उसने यह तर्क स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है । परिवादी ने अपने संव्‍यवहार पर विपक्षी द्वारा निर्धारित अवधि के अनुपालन में निर्धारित धनराशि जमा नहीं की तथा जो धनराशि मु088,500/-रू0 उसने बाद में जमा की है । वह अत्‍यंत विलम्‍ब से तथा बिना किसी सक्षम अधिकारी के लिखित आदेश के जमा की है अंत: इसका लाभ परिवादी को नहीं दिया जा सकता है ।

इसके अलावा विपक्षीगण की और से यह भी कहा गया है कि परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है । इसके संबंध में फोरम का यह मत है कि चूॅकि परिवादी 10,000/-रू0 विपक्षी के यहां जमा करके नीलामी प्रक्रिया में भाग लिया था और उसने 29,500/-रू0 जमा किया था । इसलिये वह विपक्षीगण का उपभोक्‍ता है ।

उपरोक्‍त के अलावा विपक्षीगण की और से यह भी कहा गया है कि परिवादी का दावा कालबाधित है ..क्‍योंकि नीलामी संबंधित प्‍लाट सन 2002 में हुआ था तथा परिवादी को अंतिम नोटिस दिनांक: 28.08.2003 को तामील करा दिया गया था इसके बावजूद परिवादी निर्धारित धनराशि जमा कर के उक्‍त प्‍लाट का विक्रय पत्र निष्‍पादित नहीं कराया गया । ऐसी परिस्थिति में परिवादी का दावा कालबाधित है । फोरम उनके इस तर्क से सहमत है कि इस संबंध में  परिवादी ने जो भी अभिलेख दाखिल किये हैं वह विश्‍वसनीय प्रतीत नहीं होते हैं । ऐसा प्रतीत होता है कि वह अभिलेख निर्धारित अवधि के अंतर्गत लिये जाने के संबंध में प्रस्‍तुत किये गये हैं।

इस प्रकार फोरम यह पाता है कि परिवादी का दावा कालबाधित होने के कारण तथा परिवादी द्वारा वांछित धनराशि निर्धारित अवधि के अंतर्गत जमा न करने के कारण खारिज किये जाने योग्‍य है ।

 

 

                                आदेश     

      परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण खारिज किया जाता है । पक्षकार अपना अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगें ।

 

(डा0सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी)         (श्रीमती नीला मिश्रा)               (बाबूलाल यादव)

    सदस्‍य,                       सदस्‍या,                       अध्‍यक्ष,

जिला फोरम,महोबा।            जिला फोरम,महोबा।             जिला फोरम,महोबा।

  26.08.2015                  26.08.2015                   26.08.2015

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Mr. BABULAL YADAV]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. SIDDHESHWAR AWASTHI]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. NEELA MISHRA]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.