Uttar Pradesh

Faizabad

CC/214/2005

Sukhmata - Complainant(s)

Versus

D.D. Nath - Opp.Party(s)

19 Aug 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/214/2005
 
1. Sukhmata
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. D.D. Nath
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

              परिवाद सं0-214/2005

               
श्रीमती सुखमता पत्नी स्व0 श्री रामनरेष निवासी ग्राम छतिरवाँ थाना पूराकलंदर जिला फैजाबाद।                                                    .............. परिवादी
बनाम
1.    डा0 डी0 नाथ नियुक्त जिला चिकित्सालय फैजाबाद व प्राइवेट प्रैक्टिषनर षेखर अस्पताल कंधारीबाजार थाना को0 नगर जिला फैजाबाद।                                                         
2.    प्रबन्धक प्राइवेट क्लीनिक षेखर अस्पताल कंधारीबाजार थाना को0 नगर जनपद फैजाबाद।                                          ..........  विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 19.08.2015            
उद्घोषित द्वारा: श्रीमती माया देवी षाक्य, सदस्या।
                        निर्णय
    परिवादिनी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादिनी एक गरीब परिवार की अनुसूचित जाति की महिला है। विपक्षी संख्या 1 जिला चिकित्सालय में डाक्टर है तथा अपनी हित पूर्ति के लिये विपक्षी संख्या 2 के यहां प्राइवेट क्लीनिक में डाक्टर नियुक्त है जो मरीजों का मर्ज के अनुसार आपरेषन भी करता है। परिवादिनी का पति श्री राम नरेष आयु लगभग 35 वर्श दिनांक 14/15.03.2005 को रात्रि में आंत की बीमारी के कारण जिला अस्पताल के आकस्मिक वार्ड में लगभग 3 बजे भर्ती हुआ और दिनांक 15.03.2005 को विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी के पति को देखा तथा कहा कि यहां तुम्हारे पति का ठीक इलाज नहीं हो पायेगा इन्हें ले कर विपक्षी संख्या 2 के अस्पताल में चली जाओ वहां पर इनका इलाज होगा। परिवादिनी विपक्षी संख्या 1 के दबाव के कारण अपने पति को विपक्षी संख्या 2 के अस्पताल में ले गयी। जहां पर विपक्षी संख्या 1 ने रुपये 7,000/- फीस मांगी और परिवादिनी से अपने पति की जांच कराने को कहा। जांच आदि में परिवादिनी का रुपया 5,000/- खर्च हुआ। परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 1 को फीस के रुपये 7,000/- दिये मगर हीला हवाली करने के बाद विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी के पति का मर्ज ज्यादा बिगड़ने के बावजूद आपरेषन कर दिया। दिनांक 15.03.2005 से परिवादिनी के पति की हालत खराब होती गयी तब परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 1 से अपने पति का इलाज बाहर ले जा कर कराने को कहा तो विपक्षी संख्या 1 ने रुपये के लालच में परिवादिनी को बाहर नहीं जाने दिया और दिनांक 21.03.2005 को विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी के पति को दोबारा जिला अस्पताल में भर्ती कराने को कहा। विपक्षी संख्या 1 के कहने पर परिवादिनी ने अपने पति को जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया और दिनंाक 24.03.2005 को परिवादिनी के पति की तबियत ज्यादा खराब हो गयी और वह वार्ड संख्या 29 में करीब 9 बजे तड़प तड़प कर मर गया। दिनांक 24.03.2005 को ढ़ाई बजे दिन में पट्टी खोली गयी तो आंतों से बदबू आ रही थी लगता था सड़ गयी हैं। विपक्षीगण ने आपस में नियोजित ढंग से शड़यंत्र कर के परिवादिनी के साथ धोखा किया और विपक्षीगण ने अपने मेमो का ऊपरी भाग व कुछ जांच रिपोर्ट जिस पर विपक्षीगण के हस्ताक्षर थे उनको फाड़ कर व अन्य कागजात परिवादिनी को दे दिया। परिवादिनी के पति की मृत्यु 35 वर्श की आयु में हो गयी। उसके आश्रित परिवादिनी तथा परिवादिनी के 2 नाबालिग बच्चे अनाथ हो गये। परिवादी 25 वर्शों में रुपये 6,70,800/- कमा सकता था। परिवादिनी ने अधिवक्ता के जरिये विपक्षीगण को दिनांक 07.04.2005 को एक विधिक नोटिस दिया जिसका उन पर कोई असर नहीं हुआ। परिवादिनी को विपक्षीगण से आपरेषन व जांच आदि में खर्च रुपये 12,000/-, 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज तथा क्षतिपूर्ति रुपये 6,88,000/- दिलाया जाय। 
    विपक्षी संख्या 1 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा कथित किया है कि वह परिवादिनी को न जानता है और न ही पहचानता है। उत्तरदाता वर्तमान समय मंे श्रीराम चिकित्सालय अयोध्या में कार्यरत है। समयानुसार भिन्न भिन्न स्थानों पर सरकारी अस्पतालों में उत्तरदाता का स्थानांतरण हुआ करता है। उत्तरदाता विपक्षी संख्या 2 के प्राइवेट अस्पताल में न तो कभी डाक्टर था न वर्तमान में है। उत्तरदाता ने राम नरेष नाम के आदमी का इलाज नहीं किया था। न ही उसकी बीमारी के बारे में जानकारी है। उत्तरदाता को परिवादिनी का कोई नोटिस नहीं मिला है, परिवादिनी ने अपने परिवाद में इस तथ्य को गढ़ कर लिखा है। उत्तरदाता को हैरान व परेषान करने के लिये परिवादिनी ने परिवाद दाखिल किया है। परिवादिनी नेता, चालाक व मुकदमें बाज फितरती महिला है। अपने फितरत के बल पर परिवादिनी विपक्षी संख्या 2 को डरा व धमका कर उत्तरदाता पर झूठा व मनगढ़ंत इल्जाम लगा रही है। परिवादिनी का परिवाद मय खास हर्जा खर्चा के निरस्त किये जाने योग्य है। 
    विपक्षी संख्या 2 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादिनी के परिवाद के 
कथनों से इन्कार किया है और कहा है कि उत्तरदाता के यहां विपक्षी संख्या 1 नियुक्त नहीं है। उत्तरदाता के अस्पताल में परिवादिनी का पति भर्ती ही नहीं रहा है। उत्तरदाता को परिवादिनी का कोई नोटिस नहीं मिला है। परिवादिनी अत्यन्त चालाक महिला है और उसने उत्तरदाता को महज ब्लैक मेल करने के लिये फर्जी व झूठे तथ्यों पर अपना परिवाद दाखिल किया है। परिवादिनी ने एक प्रार्थना पत्र पुलिस अधिकारियों को दिया था उसके बाद परिवादिनी ने न्यायालय में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का प्रार्थना पत्र दिया था जो जांच में गलत पाये जाने पर न्यायालय द्वारा परिवादिनी का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया गया। परिवादिनी ने मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में भी पत्र देने की धमकी दिया था और कहा था मैं नर्सिंग होम का लाइसेन्स निरस्त करवाऊँंगी। वास्तविकता यह है कि परिवादिनी अपने पति को लेकर उत्तरदाता के नर्सिंग होम पर आयी रही होगी और उस समय तैनात चिकित्सक ने कोई जांच करने के लिये कहा होगा, जिसके परिणाम से उसे अवगत नहीं कराया गया होगा, इसी का नाजायज फाइदा उठा कर परिवादिनी ने उत्तरदाता को हैरान व परेषान करने की नीयत से यह परिवाद दाखिल किया है। परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है। 
    परिवादिनी एवं विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागणों की बहस को सुना एवं पत्रावली का भली भांति परिषीलन किया। परिवादिनी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना षपथ पत्र, विपक्षीगण को दिये गये नोटिस दिनांक 07.04.2005 की छाया प्रति, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की छाया प्रति, परिवादिनी के प्रथम सूचना रिपोर्ट के प्रार्थना पत्र दिनांक 28.03.2005 की छाया प्रति, चन्दन डायग्नोस्टिक सेन्टर फैजाबाद द्वारा हेमेटोलाजी जांच रिपोर्ट दिनांक 19.03.2005 की छाया प्रति, दिनांक 19.03.2005 का एक पर्चा जिस पर कुछ दवायें लिखी हैं, सूची पर पैथालाजी की जांच रिपोर्ट, जांच के लिये जमा की गयी फीस की रसीद, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की छाया प्रति तथा दवा का एक पर्चा तथा परिवादिनी ने लिखित बहस दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। विपक्षी संख्या 1 ने अपना लिखित कथन, अपना षपथ पत्र तथा अपनी लिखित बहस दाखिल किया है, जो षामिल पत्रावली है। विपक्षी संख्या 2 ने अपना लिखित कथन तथा अपनी लिखित बहस दाखिल किया है, जो षामिल पत्रावली है। परिवादिनी ने अपने पक्ष के समर्थन में जो प्रपत्र दाखिल किये हैं उनसे यह प्रमाणित नहीं होता है कि विपक्षीगणों ने उसके पति का इलाज किया है अथवा कथित दिनांे तक इलाज किया है। परिवादिनी ने जिला अस्पताल व नर्सिंग होम के पर्चे नहीं दाखिल किये हैं। परिवादिनी ने जो प्रथम सूचना रिपोर्ट का प्रार्थना पत्र दिया है वह पंजीकृत है अथवा नहीं प्रमाणित नहीं है जब कि विपक्षी संख्या 2 ने कहा है कि परिवादिनी का प्रार्थना पत्र गलत पाये जाने पर न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था, परिवादिनी ने अपनी प्रथम सूचना रिपोर्ट के इस तथ्य को छिपा लिया गया है कि उसके प्रार्थना पत्र का क्या हुआ था। परिवादिनी एवं विपक्षीगणों द्वारा दाखिल प्रपत्रों से प्रमाणित होता है कि विपक्षीगणों ने परिवादिनी का इलाज नहीं किया है। परिवादिनी अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रही है। परिवादिनी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।    
आदेश
    परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है। 
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 19.08.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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