(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-453/2021
चित्रभान पाठक पुत्र स्व0 काशीनाथ पाठक
बनाम
अध्यक्ष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, आजमगढ़ एवं स्टेट बैंक आफ इण्डिया सिटी ब्रांच, आजमगढ़
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 18.12.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0-97/2013, चित्रभान पाठक बनाम स्टेट बैंक आफ इण्डिया में विद्वान जिला आयोग, आजमगढ़ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.8.2021 के विरूद्ध यह अपील डाक के माध्यम से प्रस्तुत की गई है। बहस करने के लिए कोई उपस्थित नहीं है। अत: ग्राह्यता के प्रश्न पर पीठ द्वारा स्वंय पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने विपक्षी बैंक की शाखा में कुछ धन जमा किया था। वित्तीय वर्ष 2010-11 में दो बार नियमों के विरूद्ध टी.डी.एस. मद में कटौती कर ली गयी। प्रथम बार 10 प्रतिशत की दर से कटौती करते हुए कुल 5,751/-रू0 की कटौती
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की सूचना दिनांक 30.5.2011 को दी गयी और दूसरी कटौती अंकन 13,065/-रू0 की सूचना दिनांक 4.3.2013 को दी गयी। परिवादी ने प्रथम कटौती को इनकम टैक्स भरते समय क्लेम किया था, परन्तु दूसरी कटौती अंकन 13,065/-रू0 को क्लेम करते समय इनकम टैक्स कार्यालय द्वारा बताया गया कि अंकन 7,314/-रू0 जो अतिरिक्त कटौती की गयी है, इस राशि को वह बैंक से प्राप्त कर सकता है। अत: इसी 7,314/-रू0 की राशि को बैंक द्वारा काटे जाने के विरूद्ध उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. बैंक का कथन है कि रिजर्व बैंक आफ इण्डिया द्वारा जारी सकुर्लर एवं आय कर विभाग के निर्देश के अनुसार कटौती की गयी हैं, इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है।
4. विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया है कि विशेष मियादी जमा खातों में जमा धनराशि के ब्याज पर 20 प्रतिशत की कटौती की जाती है और खाते में पैन कार्ड दर्ज होने पर 10 प्रतिशत की सीमा तक (अधिकतम) कटौती की जाती है। खाते में पैन कार्ड दर्ज होने पर यह कटौती 10 प्रतिशत होती है और यदि पैन कार्ड दर्ज नहीं है तब 20 प्रतिशत होती। यह भी निष्कर्ष दिया गया कि वरिष्ठ नागरिक खाताधारकों को टी.डी.एस. की कटौती दर में कोई छूट प्राप्त नहीं है। तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।
5. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि बैंक द्वारा एक ही वित्तीय वर्ष में दो बार कटौती की गयी है। परिवादी द्वारा प्रथम कटौती अंकन 5,751/-रू0 को आयकर
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विभाग में क्लेम किया गया था, परन्तु इसी वित्तीय वर्ष में दूसरी कटौती करने के कारण अवशेष राशि अंकन 7,314/-रू0 आयकर विभाग से क्लेम नहीं की जा सकी, परन्तु विद्वान जिला आयोग द्वारा इस बिन्दु पर कोई विचार नहीं किया गया।
6. विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश के अवलोकन से ज्ञात होता है कि इस तथ्य को स्वीकार किया गया है कि बैंक द्वारा दो बार कटौती की गयी। इस स्थिति के बावजूद यह निष्कर्ष नहीं दिया गया कि क्या बैंक द्वारा एक ही वित्तीय वर्ष में दो बार कटौती की जा सकती है, जबकि दूसरी बार कटौती करने के कारण परिवादी आयकर विभाग में आय कर रिटर्न भरते समय इस राशि को क्लेम नहीं कर पाये। अत: स्पष्ट है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा तथ्यों के आधार पर अपना निष्कर्ष पारित नहीं किया गया है, जो अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है तथा प्रकरण पुन: निस्तारण हेतु विद्वान जिला आयोग को प्रतिप्रेषित होने योग्य है।
7. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.8.2021 अपास्त किया जाता है तथा प्रकरण पुन: निस्तारण हेतु विद्वान जिला आयोग, आजमगढ़ को इस टिप्पणी के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि विद्वान जिला आयोग निम्न बिन्दुओं पर स्पष्ट निष्कर्ष दे :-
1. क्या बैंक द्वारा एक ही वित्तीय वर्ष में दो बार टी.डी.एस. की कटौती की जा सकती है ?
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2. क्या दो बार टी.डी.एस. की कटौती करने के कारण परिवादी आयकर विभाग में दूसरी बार कटौती की राशि को क्लेम करने से वंचित रहा ?
यदि उपरोक्त प्रश्नों का उत्तर सकारात्मक है तब क्या बैंक के स्तर से लापरवाही कारित की गयी है, जिसके कारण परिवादी को अंकन 7,314/-रू0 की राशि का नुकसान हुआ है। यदि हॉं तब इसके लिए बैंक उत्तरदायी है।
उपरोक्त सभी बिन्दुओं पर अलग-अलग निष्कर्ष साक्ष्य की व्याख्या के आधार पर उभय पक्ष को सुनने के उपरांत दिया जाए।
उभय पक्ष को परिवाद की सुनवाई की सूचना अलग से विद्वान जिला आयोग द्वारा दी जाए।
यह प्रकरण विद्वान जिला आयोग के समक्ष दिनांक 19.2.2024 को पेश हो।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1