Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/3303

Virendra Shukla - Complainant(s)

Versus

D. R. Transport Officer - Opp.Party(s)

V. P. Sharma

03 Jul 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/3303
( Date of Filing : 11 Dec 2003 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Virendra Shukla
A
...........Appellant(s)
Versus
1. D. R. Transport Officer
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Jul 2023
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-3303/2003

वीरेन्‍द्र शुक्‍ला

बनाम

दि डिप्‍टी रीजनल ट्रांसपोर्ट आफिसर

 

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी.पी. शर्मा, विद्वान अधिवक्‍ता के 

                         कनिष्‍ठ सहायक श्री सतेन्‍द्र कुमार।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

दिनांक : 03.07.2023 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-197/2002, विरेन्‍द्र शुक्‍ल बनाम उप संभागीय परिवहन अधिकारी में विद्वान जिला आयोग, सोनभद्र द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.11.2003 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद खारिज कर दिया है।

2.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कनिष्‍ठ सहायक को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

3.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी द्वारा वाहन संख्‍या-यू.पी. 64 बी/5388 के संबंध में कर जमा किया गया था। परिवादी का कथन है कि परिवादी से अधिक राशि वसूल कर ली गई, इसलिए इस राशि की  वापसी  के लिए उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया। उल्‍लेखनीय है

-2-

कि उप संभागीय परिवहन अधिकारी राजस्‍व कर्तव्‍यों का निर्वहन करते हैं। उप संभागीय परिवहन अधिकारी को सेवाप्रदाता नहीं माना जा सकता, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधिसम्‍मत है, जिसमें हस्‍तक्षेप किए जाने की कोई आवश्‍यकता नहीं है। प्रस्‍तुत अपील तदनुसार निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

4.         प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

           पक्षकार अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला  आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

          

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

     कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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