सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-2292/2003
न्यू ओखला इण्डस्ट्रियल डेवलेपमेंट अथॉरिटी, (नोयडा) जिला गौतम बुद्ध नगर, द्वारा चेयरमैन/एडमीनिस्ट्रेटिव आफिसर, न्यू ओखला इण्डस्ट्रियल डेवलेपमेंट अथॉरिटी, मेन एडमीनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग सेक्टर 6, नोयडा, गौतम बुद्ध नगर।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्~
डी0एस0 चावला पुत्र श्री जी0एस0 चावला, निवासी एच-33, सेक्टर 27 नोयडा, जिला गौतम बुद्ध नगर।
प्रत्यर्थी/परिवादी
एवं
अपील संख्या-2293/2003
न्यू ओखला इण्डस्ट्रियल डेवलेपमेंट अथॉरिटी, (नोयडा) जिला गौतम बुद्ध नगर, द्वारा चेयरमैन/एडमीनिस्ट्रेटिव आफिसर, न्यू ओखला इण्डस्ट्रियल डेवलेपमेंट अथॉरिटी, मेन एडमीनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग सेक्टर 6, नोयडा, गौतम बुद्ध नगर।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्~
प्रवीण मल्होत्रा पुत्र श्री एस0के0 मल्होत्रा, निवासी 29, राजकुंज, न्यू राज नगर गाजियाबाद, परगना लोनी, तहसील गाजियाबाद, जिला गाजियाबाद।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री विजय वर्मा, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अशोक शुक्ला, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 28.06.2018
मा0 श्री विजय वर्मा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
उपरोक्त दोनों अपीलें एक-दूसरे से संयुक्त हैं। अत: दोनों अपीलों का निस्तारण एक ही निर्णय/आदेश के द्वारा किया जा रहा है। अपील संख्या-2292/2003 अग्रणी अपील होगी।
उपरोक्त दोनों अपीलें, अर्थात् अपील संख्या-2292/2003 विद्वान जिला फोरम, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-336/2001 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 29.07.2003 के विरूद्ध दायर की गयी है एवं अपील संख्या-2293/2003 विद्वान जिला फोरम, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-337/2001 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 29.07.2003 के विरूद्ध दायर की गयी है।
अपील संख्या-2292/2003 से संबंधित मुख्य तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा सेक्टर 16 नोयडा में ऑटो पार्ट्स, शॉप ऑटो रिपेयर्स वर्कशॉप व मोटर गैरेज तथा ढाबे के उपयोग हेतु निविदा के आधार पर भूखण्डों के आंवटन के लिए योजना 2000-01 जारी की गयी थी, जिसके संबंध में दिनांक 01.08.2000 से 14.08.2000 तक निविदा जमा करने की तिथि व निविदा खुलने की तिथि दिनांक 14.08.2000 निश्चित की गयी थी, जिसमें प्रत्यर्थी/परिवादी ने भूखण्ड प्राप्त करने के लिए अपना टेण्डर प्रस्तुत किया था, जिसके अन्तर्गत प्रत्यर्थी/परिवादी ने टेण्डर राशि रू0 25,500/- जमा कर दी थी तथा रू0 45,000/- प्रति वर्गमीटर के हिसाब से भूखण्ड लेने की स्वीकृति टेण्डर में दी थी। प्रत्यर्थी/परिवादी का टेण्डर स्वीकृत किया गया तथा उसे भूखण्ड संख्या-16/बी-151 स्थित सेक्टर 16 नोयडा आवंटित किया गया था, किन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा मौके पर जाकर देखा गया तो मौके पर कोई भूखण्ड विकसित नहीं था। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अवैधानिक रूप से लीज जमा करने के लिए निर्देशित किया गया, जबकि लीज रेण्ट भूखण्ड का कब्जा देने के पश्चात व लीज डीड आदि देने के पश्चात ही दी जाती है। इसके अतिरिक्त टेण्डर स्वीकृत पत्र में किस्तों पर ब्याज की मांग की गयी, जबकि टेण्डर भरते समय कोई ब्याज नहीं बताया गया था साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा किस्तों में धनराशि प्राप्त करनी थी, किन्तु स्वीकृत पत्र में 25 प्रतिशत धनराशि प्रारम्भ में ही जमा करने के लिए निर्देशित किया गया था। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा मनमाने ढंग से शर्तें जारी करके सेवा में कमी की गयी है। अपीलार्थी/विपक्षी को प्रत्यर्थी/परिवादी की जमा धनराशि को जब्त करने का कोई वैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा उपरोक्त शर्तों के आधार पर भूखण्ड लेने का इच्छुक न होने पर उसने अपनी जमा धनराशि वापस प्राप्त करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को लिखित में सूचित किया था, किन्तु विपक्षी परिवादी की जमा धनराशि को वापस करने को तैयार नही है, जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा एक परिवाद विद्वान जिला फोरम में दायर किया गया, जहां पर विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा प्रतिवाद पत्र दायर करते हुए मुख्यत: यह कथन किया गया है कि परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा अपने टेण्डर में निहित शर्तों का पालन नहीं किया गया है। परिवादी/प्रत्यर्थी को विपक्षी/अपीलार्थी के समक्ष 25 प्रतिशत धनराशि प्रारम्भिक स्तर पर ही जमा करनी थी और शेष 75 प्रतिशत धनराशि अर्धवार्षिक किस्तों में जमा करनी थीं। विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा यह भी कहा गया कि परिवादी/प्रत्यर्थी की जमा धनराशि को जब्त करने का अधिकार विपक्षी/अपीलार्थी को U.P.I.D ACT 1976 के अन्तर्गत प्राप्त था, क्योंकि परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा ब्रोशर की शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया। अत: उपरोक्त कारणों से परिवादी का परिवाद निरस्त होने योग्य है।
उभय पक्ष को सुनने के उपरान्त विद्वान जिला फोरम, गौतम बुद्ध नगर द्वारा दिनांक 29.07.2003 को निम्नवत् आदेश पारित किया गया :-
'' उपरोक्त विवेचना के आधार पर फोरम का आदेश है कि परिवादी को विपक्षी द्वारा संदर्भित अंकन 25,500/- रूपये की धनराशि में से 10 प्रतिशत धनराशि काटकर शेष धनराशि जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक दर के ब्याज सहित आज से एक माह की अवधि में वापिस की जाए तथा निर्धारित अवधि में भुगतान न होने की स्थिति में प्रश्नगत धनराशि पर आदेश की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी विपक्षी द्वारा परिवादी को देय होगा। उक्त अवधि में ही विपक्षी परिवादी को शिकायत व्यय के रूप में अंकन 500/- रूपये भी अदा करे।
उपरोक्त समस्त धनराशि का भुगतान पे ऑर्डर अथवा बैंक ड्राफ्ट, जो अध्यक्ष जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम, गौतम बुद्ध नगर के नाम देय हो, द्वारा किया जाए। ''
अपील संख्या-2293/2003 से संबंधित मुख्य तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा सेक्टर 16 नोयडा में ऑटो पार्ट्स, शॉप ऑटो रिपेयर्स वर्कशॉप व मोटर गैरेज तथा ढाबे के उपयोग हेतु निविदा के आधार पर भूखण्डों के आंवटन के लिए योजना 2000-01 जारी की गयी थी, जिसके संबंध में दिनांक 01.08.2000 से 14.08.2000 तक निविदा जमा करने की तिथि व निविदा खुलने की तिथि दिनांक 14.08.2000 निश्चित की गयी थी, जिसमें प्रत्यर्थी/परिवादी ने भूखण्ड प्राप्त करने के लिए अपना टेण्डर प्रस्तुत किया था, जिसके अन्तर्गत प्रत्यर्थी/परिवादी ने टेण्डर राशि रू0 25,500/- जमा कर दी थी तथा रू0 44,500/- प्रति वर्गमीटर के हिसाब से भूखण्ड लेने की स्वीकृति टेण्डर में दी थी। प्रत्यर्थी/परिवादी का टेण्डर स्वीकृत किया गया तथा उसे भूखण्ड संख्या-16/बी-152 स्थित सेक्टर 16 नोयडा आवंटित किया गया था, किन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा मौके पर जाकर देखा गया तो मौके पर कोई भूखण्ड विकसित नहीं था। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अवैधानिक रूप से लीज जमा करने के लिए निर्देशित किया गया, जबकि लीज रेण्ट भूखण्ड का कब्जा देने के पश्चात व लीज डीड आदि देने के पश्चात ही दी जाती है। इसके अतिरिक्त टेण्डर स्वीकृत पत्र में किस्तों पर ब्याज की मांग की गयी, जबकि टेण्डर भरते समय कोई ब्याज नहीं बताया गया था साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा किस्तों में धनराशि प्राप्त करनी थी, किन्तु स्वीकृत पत्र में 25 प्रतिशत धनराशि प्रारम्भ में ही जमा करने के लिए निर्देशित किया गया था। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा मनमाने ढंग से शर्तें जारी करके सेवा में कमी की गयी है। अपीलार्थी/विपक्षी को प्रत्यर्थी/परिवादी की जमा धनराशि को जब्त करने का कोई वैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा उपरोक्त शर्तों के आधार पर भूखण्ड लेने का इच्छुक न होने पर उसने अपनी जमा धनराशि वापस प्राप्त करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को लिखित में सूचित किया था, किन्तु विपक्षी परिवादी की जमा धनराशि को वापस करने को तैयार नही है, जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा एक परिवाद विद्वान जिला फोरम में दायर किया गया, जहां पर विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा प्रतिवाद पत्र दायर करते हुए मुख्यत: यह कथन किया गया है कि परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा अपने टेण्डर में निहित शर्तों का पालन नहीं किया गया है। परिवादी/प्रत्यर्थी को विपक्षी/अपीलार्थी के समक्ष 25 प्रतिशत धनराशि प्रारम्भिक स्तर पर ही जमा करनी थी और शेष 75 प्रतिशत धनराशि अर्धवार्षिक किस्तों में जमा करनी थीं। विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा यह भी कहा गया कि परिवादी/प्रत्यर्थी की जमा धनराशि को जब्त करने का अधिकार विपक्षी/अपीलार्थी को U.P.I.D ACT 1976 के अन्तर्गत प्राप्त था, क्योंकि परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा ब्रोशर की शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया। अत: उपरोक्त कारणों से परिवादी का परिवाद निरस्त होने योग्य है।
उभय पक्ष को सुनने के उपरान्त विद्वान जिला फोरम, गौतम बुद्ध नगर द्वारा दिनांक 29.07.2003 को निम्नवत् आदेश पारित किया गया :-
'' उपरोक्त विवेचना के आधार पर फोरम का आदेश है कि परिवादी को विपक्षी द्वारा संदर्भित अंकन 25,500/- रूपये की धनराशि में से 10 प्रतिशत धनराशि काटकर शेष धनराशि जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक दर के ब्याज सहित आज से एक माह की अवधि में वापिस की जाए तथा निर्धारित अवधि में भुगतान न होने की स्थिति में प्रश्नगत धनराशि पर आदेश की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी विपक्षी द्वारा परिवादी को देय होगा। उक्त अवधि में ही विपक्षी परिवादी को शिकायत व्यय के रूप में अंकन 500/- रूपये भी अदा करे।
उपरोक्त समस्त धनराशि का भुगतान पे ऑर्डर अथवा बैंक ड्राफ्ट, जो अध्यक्ष जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम, गौतम बुद्ध नगर के नाम देय हो। ''
उपरोक्त दोनों आदेशों से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा उपरोक्त दोनों अपीलें मुख्यत: इन आधारों पर दायर की गयी हैं कि प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण को निविदा के अन्तर्गत भूखण्ड आवंटित किये गये थे। प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण को 25 प्रतिशत धनराशि प्रारम्भ में ही जमा की जानी थी और 75 प्रतिशत धनराशि बाद में जमा की जानी थी। चूंकि प्रत्यर्थीगण/प्रत्यर्थीगण भवन के संबंध में शेष धनराशि जमा नहीं की गयी थी, अत: उनके द्वारा जो धनराशि जमा की गयी थी, वह भूखण्ड आवंटन के ब्रोशर के नियम 9 (क) के अनुसार नियमानुसार जब्त कर ली गयी थी और उन्हें नियमानुसार सूचित कर दिया गया था। अपीलार्थी द्वारा कोई भी सेवा में कमी नहीं की गयी है, इसके बावजूद भी विद्वान जिला फोरम द्वारा गलत तरीके से निर्णय पारित किये गये हैं, जो तथ्यों एवं साक्ष्यों के विरूद्ध हैं। अत: उपरोक्त आदेश निरस्त होने योग्य हैं।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक शुक्ला उपस्थित आये। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। विद्वान अधिवक्ता अपीलार्थी को विस्तार से सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
उपरोक्त प्रकरणों में यह तथ्य निर्विवादित है कि अपीलार्थी द्वारा प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण को भूखण्ड आवंटित किये गये थे। यह तथ्य भी निर्विवादित है कि प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण द्वारा निविदा के माध्यम से अपीलार्थी/विपक्षी की योजना के अन्तर्गत व्यवसायिक भूखण्ड प्राप्त करने हेतु रू0 25,500/- की ध्ानराशि जमा की गयी थी। विवादित बिन्दु मात्र यह है कि प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण के अनुसार उनके द्वारा जमा की गयी धनराशि अवैधानिक रूप से अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा जब्त कर ली गयी है, क्योंकि उनके द्वारा संबंधित भूखण्डों के संबंध में अनावश्यक शर्तें लगाये जाने के कारण वे भूखण्ड लेने के इच्छुक नहीं थे। इस प्रकार प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण द्वारा निविदा के माध्यम से जमा की गयी धनराशि रू0 25,500/- अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा जब्त करके सेवा में कमी की गयी है।
अब यह देखा जाना है कि क्या अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण द्वारा जमा की गयी धनराशि रू0 25,500/- को गलत तरीके से जब्त करके सेवा में कमी की गयी है अथवा नहीं, यदि हां तो उसका प्रभाव।
इस संबंध में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से बहस के दौरान यह तर्क किया गया है कि प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण द्वारा भूखण्ड आवंटित किये जाने के संबंध में योजना वर्ष 2000-01 में निविदा भरकर रू0 25,500/- की धनराशि जमा की गयी थी। यह भी स्पष्ट है कि उक्त निविदा के आधार पर अपील संख्या-2292/2003 से संबंधित प्रत्यर्थी/परिवादी श्री डी0एस0 चावला को भूखण्ड संख्या-16/बी-151 आवंटित किया गया था, जिसके आधार पर उसे रू0 2,20,045/- दिनांक 10.10.2000 तक जमा करने थे और शेष धनराशि 16 छमाही किस्तों जमा की जानी थी। इसी प्रकार अपील संख्या-2293/20003 से संबंधित प्रत्यर्थी/परिवादी श्री प्रवीण मल्होत्रा को भूखण्ड संख्या-16/बी-152 आवंटित किया गया था, जिसके आधार पर उसे रू0 2,17,322.50 दिनांक 10.10.2000 तक जमा करने थे और शेष धनराशि 16 छमाही किस्तों जमा की जानी थी। यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण उपरोक्त शेष धनराशि नहीं जमा की गयी। इस संबंध में प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण का कथन है कि उन्हें जिन शर्तों पर भूखण्ड आंवटित किये गये थे, वह उन्हें स्वीकार नही थीं, इसलिए उनके द्वारा शेष धनराशि जमा नहीं की गयी और अपनी जमा धनराशि वापस लेने हेतु कहा गया, किन्तु प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण द्वारा ऐसा कोई भी अभिलेख नहीं दर्शाया गया है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि उनके द्वारा आवंटन पत्र की शर्तों को न मानकर जो धनराशि उनके द्वारा जमा की गयी थी, उसे वापस लेने हेतु कोई पत्र अपीलार्थी/विपक्षी को प्रेषित किया गया हो। इसके विपरीत अपीलार्थी/विपक्षी के अनुसार आवंटन धनराशि जमा करने हेतु समयवृद्धि किये जाने का कोई प्रावधान नहीं है। आवंटन से संबंधित तिथि भूखण्ड आवंटन के नियम 9 (क) के अनुसार स्वीकृत मूल्य की 25 प्रतिशत राशि आवंटन पत्र की तिथि से 30 दिन की अवधि में जमा न करने पर जमा धनराशि रू0 25,500/- जब्त किये जाने का प्रावधान है। उक्त आधार पर ही अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण का आवंटन निरस्त करते हुए उसके द्वारा जमा की गयी धनराशि रू0 25,500/- जब्त करने का आदेश दिनांक 30.12.2000 को पारित किया गया है। इस संबंध में निविदा के आधार पर भूखण्ड आवंटन के नियम व शर्तों का अवलोकन करने पर यह तथ्य दृष्टिगत होता है कि नियम 9 (क) के अनुसार आवंटन की दशा में आवंटन पत्र में उल्लेखित निर्देशों के अनुसार आवंटी स्वीकृत मूल्य की 25 प्रतिशत राशि आवंटन पत्र की तिथि से 30 दिन की अवधि में जमा करेगा। आवंटन राशि जमा करने हेतु समयवृद्धि नहीं दी जायेगी। (चैक स्वीकार्य नहीं होंगे) देय राशि आवंटन पत्र में उल्लेखित बैंक शाखाओं में जमा की जायेगी। उक्त राशि को समय से न जमा कराने पर आवंटन स्वत: निरस्त हो जायेगा तथा धरोहर राशि जब्त कर ली जायेगी। उक्त शर्त के आधार पर ही अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण की जमा धनराशि जब्त करने का आदेश पारित किया गया है, जो पूर्णतया नियमानुसार था। इन परिस्थितियों में अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण की जमा धनराशिक को जब्त करके किसी भी प्रकार की कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है, किन्तु उपरोक्त तथ्यों एवं नियमों का समुचित आंकलन न करके विद्वान जिला फोरम द्वारा प्रश्नगत आदेश पारित किया गया है, जो स्पष्टत: विधि विरूद्ध है। अत: प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त होने एवं परिवाद निरस्त होने योग्य है। तदनुसार उपरोक्त दोनों अपीलें स्वीकार की जाने योग्य हैं।
आदेश
उपरोक्त दोनों अपीलें, अर्थात् अपील संख्या-2292/2003 एवं अपील संख्या-2293/2003 स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला फोरम, गौतम बुद्ध नगर द्वारा क्रमश: परिवाद संख्या-336/2001 एवं परिवाद संख्या-337/2001 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 29.07.2003 निरस्त किया जाता है तथा साथ ही उपरोक्त दोनों परिवाद भी निरस्त किये जाते हैं।
पक्षकारान अपना अपना अपीलीय व्यय भार स्वंय वहन करेंगें।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्या-2292/2003 में रखी जाये एवं इसकी एक सत्य प्रतिलिपि अपील संख्या-2293/2003 में भी रखी जाये।
(विजय वर्मा) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2