राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 2098/2015
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद सं0- 84/2010 में पारित आदेश दि0 31.08.2015 के विरूद्ध)
- Executive Engineer, EUDD,III Dachinanchal vidyut vitran nigam Ltd. 4/55 Kishore nagar, ITI road, Aligarh.
- R. B. Singh SDO II, Kishore nagar, ITI road, Aligarh.
- Ali Mohammad JMT (Vidyut) Kishore nagar, Aligarh.
……….Appellants
Versus
Sri D. K. Singh S/o Chetrapal singh, Branch Manager, Shereyash gramin bank, Virampur Shakha, Basant vihar, near tiger lock GT. Road, Aligarh.
………..Respondent.
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 06.12.2017
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 84/2010 श्री डी0के0 सिंह बनाम अधिशासी अभियंता, विद्युत शहरी वितरण खण्ड व दो अन्य में जिला फोरम, अलीगढ़ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 31.08.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
“परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे स्वीकृत नया मीटर तुरन्त लगाकर विद्युत आपूर्ति चालू रखें तथा विपक्षीगण द्वारा परिवादी से वसूले गये 28000/-रू0 उसे वापस प्राप्त करावें। विपक्षी सं0 1 द्वारा पारित लोड बढ़वाने के आदेश दिनांक 24.05.2010 को निरस्त किया जावे। मानसिक व शारीरिक कष्ट के लिये 1000/-रू0 तथा वाद के रूप में 1000/-रू0 विपक्षीगण, परिवादी को भुगतान करे। उपरोक्त आदेश का पालन एक माह अन्दर किया जावे। उपरोक्त आदेश के पालन के लिए विपक्षीगण संयुक्त रूप से तथा पृथक-पृथक रूप से जिम्मेदार होंगे।”
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण Executive Engineer, EUDD,III दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व 2 अन्य ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन और प्रत्यर्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित आये हैं।
मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवाद पत्र के कथन से ही स्पष्ट है कि परिवाद-पत्र में कथित विवाद विद्युत चोरी है और प्रत्यर्थी/परिवादी ने 28,000/-रू0 समन शुल्क भी जमा किया है। अत: मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिविल अपील नं0 5466/2012 (arising out of SLP No. 35906 of 2011), यू0पी0 पावर कार्पोरेशन लि0 व अन्य बनाम अनीस अहमद में पारित निर्णय दिनांक 01.07.2013 में प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर वर्तमान परिवाद जिला फोरम के क्षेत्राधिकार से परे है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अधिकार रहित और विधि विरुद्ध है। अत: निरस्त किये जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय अनुकूल है। इसमें किसी हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।
मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क पर विचार किया है।
जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि दि0 24.05.2010 को उसकी अनुपस्थिति में विपक्षी सं0- 2 व 3 कुछ व्यक्तियों के साथ उसके घर पर आये और लोड ज्यादा है कहकर उसका कनेक्शन काट दिया तथा कहा कि 28,000/-रू0 जमा करने पर कनेक्शन जोड़ा जायेगा। परिवाद पत्र में यह भी उल्लेख है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने उक्त 28,000/-रू0 की धनराशि अंडर प्रोटेस्ट जमा कर दिया है। अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत लिखित कथन में कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का प्रश्नगत विद्युत कनेक्शन पुलिस के प्रवर्तन दल द्वारा दि0 24.05.2010 को चेक किया गया तो प्रत्यर्थी/परिवादी को स्वीकृत भार से अधिक बिजली का प्रयोग करते पाया गया और अधिक प्रयोग सीधे तार जोड़कर पाया गया जिसके सम्बन्ध में चेकिंग रिपोर्ट 498/32 दिनांकित 24.05.2007 तैयार की गई और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गई। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने 28,000/-रू0 कम्पाउंडिंग फीस के रूप में जमा कर विद्युत चोरी स्वीकार की है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कनेक्शन की देय धनराशि का निर्धारण कर देय धनराशि 95,020/-रू0 निर्धारित की गई है जिसके सम्बन्ध में विधि के अनुसार कार्यवाही की जा रही है।
उभयपक्ष के अभिकथन से यह स्पष्ट है कि वर्तमान प्रकरण बिजली चोरी का है। अत: मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त निर्णय में प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर यह परिवाद जिला फोरम की अधिकारिता से परे है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अधिकार रहित और विधि विरुद्ध है और निरस्त किये जाने योग्य है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त करते हुए परिवाद, प्रत्यर्थी/परिवादी को इस छूट के साथ निरस्त किया जाता है कि वह अपनी शिकायत विधि के अनुसार सक्षम न्यायालय या अधिकारी के समक्ष करने हेतु स्वतंत्र है।
धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थीगण को वापस की जायेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1