Rajasthan

Kota

CC/244/2010

Chiranji lal koli - Complainant(s)

Versus

Credit Information Beuro India ltd. (civil) - Opp.Party(s)

Ashok Kumar Gupta

04 Aug 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
परिवाद संख्या:-244/2010
चिरंजी लाल कोली पुत्र सुखदेव कोली जाति कोली व्यवसाय नौकरी उम्र 51 वर्ष  निवासी आम्बेडकर नगर, यू.आई.टी. कालोनी, कुन्हाडी कोटा राजस्थान।                                       -परिवादी

                    बनाम
01.    क्रेडिट इन्फोर्मेशन ब्यूरो इण्डिया लि0 (सिविल) पोस्ट बाक्स नं.     17, मिलेनियम बिजनेस पार्क, नवी मुम्बई।
02.    बजाज आटो फाइनेन्स लि0 एरोड्राम सर्किल कोटा।
03.    बजाज आटो फाइनेन्स लि. 101, श्याम अनुकम्पा काम्पलेक्स,     नियर अंहिंसा सर्किल, अशोक मार्ग, सी स्कीम जयपुर     राजस्थान। 
04.    सिटी फाईनेन्शियल कन्ज्यूमर, फाईनेनस इण्डिया लि0 एफ-113     संगम टावर्स, चर्च रोड, जयपुर राजस्थान।         -विपक्षीगण
समक्ष:-
भगवान दास     ः    अध्यक्ष    
महावीर तंवर     ः    सदस्य
हेमलता भार्गव    ः    सदस्य
    परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
01.    श्री अशोक कुमार गुप्ता, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से। 
02.    श्री राम मेहता, अधिवक्ता, विपक्षी सं. 1 की ओर से। 
03.    श्री नरपत सिंह राजावत, अधिवक्ता,विपक्षी सं. 2 व 3 की ओर     से।
04.    विपक्षी सं. 4 की ओर से कोई उपस्थित नही। 

            निर्णय             दिनांक 04.08.2015
         

    परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में सेवा दोष बताया है कि  उसने विपक्षी सं. 2 से 4 से ऋण लिया, जिसकी पूरी अदायगी कर दी, उनका कोई ऋण बकाया नहीं है उनसे आगे ऋण लेने हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत करने पर इस आधार पर इंकार कर दिया कि विपक्षी सं. 1, जो वित्तीय कंपनी की रजिस्टर्ड संस्था है तथा सब कंपनियों के ऋण का लेखा जोखा रखती है, उसके यहाॅ से ऋण बकाया का नोट नहीं हटा है। विपक्षी सं. 1 की   ओर से आई.डी. एवं निवास प्रमाण-पत्र एवं 142/- रूपये मांगे गये, जिसकी पालना कर दी गई, इसके बावजूद विपक्षी सं. 1 ने उनके रिकार्ड में से परिवादी के ऋण का नोट नही हटाया है, जिससे परिवादी को मानसिक संताप के साथ आर्थिक नुकसान हो रहा है। 
    विपक्षी सं. 1 की ओरसे यह प्रारम्भिंक आपत्ति उठाई गई है कि दी क्रेडिट इन्फोर्मेशन कंपनीज (रेगूलेशन)एक्ट, 2005 की धारा 31 के अन्तर्गत इस मंच को उसके विरूद्ध सुनवाई का अधिकार नहीं है। यह आपत्ति भी उठाई गई है कि परिवादी के संबंध में वह सेवा-प्रदाता नहीं है क्योकि परिवादी उनका उपभोक्ता नहीं है इसलिये भी उसके विरूद्ध परिवाद चलने योग्य नही है। उसका कार्यालय इस मंच के क्षैत्राधिकार में नहीं आता है, इसलिये भी उसके विरूद्ध परिवाद सुनने योग्य नही है। संक्षेप में जवाब में यह कहा गया है कि सभी वित्तीय- संस्थाऐ जो उसकी सदस्य है उनसे ऋण के संबंध में सूचना ली जाती है तथा जो सूचना दी जाती है उसे सही दर्ज किया जाता है। विपक्षी सं. 2 से 4 ने परिवादी के ऋण के संबंध में जो सूचना दी वह सही दर्ज की गई है । परिवादी के विरूद्ध जो ऋण बकाया है उन्हें उस सूचना में बताया है। परिवादी ने उससे संबंधित क्रेडिट इन्र्फोमेशन रिपोर्ट मांगी थी जिसे अधिनियम व उसके अन्तर्गत बनाये गये नियमों के अनुसार भेज दिया गया। बकाया ऋण के संबंध में कोई दरूस्तीे  ऋण देने वाली वित्तीय संस्था से प्राप्त सूचना के आधार पर ही की जा सकती है। इसलिये उनका कोई सेवा दोष नहीं है। परिवाद खारिज करने की प्रार्थना की गई है। 
    विपक्षी सं. 2 व 3 की ओर से जवाब प्रस्तुत कर संक्षेप में प्रकट किया गया है कि उनके विरूद्ध कोई वाद कारण नहीं हैै । यदि कोई विवाद है तब उसका निपटारा अर्बिट्रेशन के अन्तर्गत ही हो सकता है  परिवाद चलने योग्य नही है। परिवादी ने उनसे ऋण लिया उसकी संपूर्ण अदायगी कर दी गई । उसका खाता क्लोज कर दिया गया, जिसकी सूचना भी विपक्षी सं. 1 को दे दी गई। उनके विरूद्ध परिवाद चलने योग्य नहीं है। 
    विपक्षी सं. 4 की ओर से जवाब प्रस्तुत कर संक्षेप में प्रकट किया कि उनके विरूद्ध कोई वाद-कारण नहीं है। परिवादी ने उनसे जो ऋण लिया  उसकी पूरी अदायगी कर दी जिसके बाद उसका खाता बंद करके परिवादी को एन.ओ.सी. दे दी गई, जिसकी सूचना विपक्षी सं. 1 को भेजी जा चुकी है। इसलिये उनके विरूद्ध परिवाद गलत पेश किया गया । 
    परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा विपक्षी सं. 1 से प्राप्त सूचना, विपक्षी सं. 2 से 4 द्वारा ऋण अदायगी एवं बकाया नहीं होने बाबत् प्राप्ति पत्र आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की। 
    विपक्षी सं. 1 ने साक्ष्य में  हर्षला चन्द्रोकर  के शपथ-पत्र के अलावा परिवादी को प्रेषित सूचना की प्रति प्रस्तुत की।
    विपक्षी सं. 2व 3 ने साक्ष्य में विकास भार्गव के शपथ-पत्र के अलावा  परिवादी के ऋण खाते का विवरण पेश किया ।
    विपक्षी सं. 4 ने साक्ष्य में मोहित शर्मा के शपथ-पत्र के अलावा परिवादी के ऋण खाता का विवरण पेश किया । 
        हमने सभी पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया। 
    विचारणीय प्रश्न है कि क्या परिवादी द्वारा विपक्षी सं. 2 से 4 से लिये गये ऋण की पूरी अदायगी होने के उपरान्त भी विपक्षी सं 1 के रिकार्ड से उनके ऋण के बकाया नहीं होने का इन्द्राज नहीं किया गया एवं क्या इस कारण विपक्षीगण ने सेवामें कमी की ?
    जहाॅ तक विपक्षी सं. 1 का प्रश्न है  यह र्निविवाद है कि उससे परिवादी का कोई सीधा संबंध नहीं है। परिवादी उसके संबंध में उपभोक्ता नहीं है तथा विपक्षी सं. 1 सेवा प्रदाता नहीं है इसलिये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उसके विरूद्ध परिवाद चलने योग्य नहीं है। इसके अतिरिक्त दी क्रेडिट इन्र्फोमेशन एक्ट के अन्तर्गत भी इस मंच को उसके विरूद्ध सुनवाई का अधिकार नहीं है। परिवादी ने अपने ऋण के संबंध में उनसे सूचना मंागी जो नियमानुसार उसे दे दी गई, इस आधार पर उसके विरूद्ध कोई वादकारण उत्पन्न नहीं हुआ। इसलिये विपक्षी सं. 1 के विरूद्ध परिवाद खारिज होने योग्य है। 
    जहाॅ तक विपक्षी सं 2,3 एवं 4 का प्रश्न है उनकी ओर से परिवादी के इस तथ्य को स्वीकार किया गया है कि परिवादी ने उनसे ऋण लिया, जिसकी पूरी अदायगी कर दी, परिवादी का खाता बंद करके उसकी सूचना विपक्षी सं. 1 को दे दी। लेकिन विपक्षी सं. 2 ,3 एवं 4 ने विपक्षी सं. 1 को दी गई सूचना से संबंधित दस्तावेजात प्रस्तुत नहीं किये जो सेवा दोष है। 
                         आदेश 
    अतः परिवादी चिरोंजी लाल कोली का परिवाद, विपक्षी सं. 2,3 एवं 4 के खिलाफ स्वीकार किया जाकर निर्देश दिये जाते है कि परिवादी द्वारा लिये गये ऋण की पूरी अदायगी हो जाने व उसके विरूद्ध कोई ऋण बकाया नहीं होने की विपक्षी सं. 1 को दी गई सूचना की प्रति इस आदेश की रजिस्टर्ड डाक से  प्रेषित प्रति प्राप्त होने के एक माह के अन्दर परिवादी को रजिस्टर्ड डाक से प्रेषित की जावे तथा उसकी प्रति विपक्षी सं. 1 को भी भेजी जावे। इसके अलावा विपक्षी सं 2 व 3 की ओर से परिवादी को मानसिक संताप की भरपाई हेतु 1,000/- रूपये (अक्षरे एक हजार रूपये,) परिवाद व्यय भरपाई हेतु 1,000/- रूपये (अक्षरे एक हजार रूपय)े इसी प्रकार विपक्षी सं. 4 द्वारा परिवादी को मानसिक संताप भरपाई हेतु 1,000/- रूपये (अक्षरे एक हजार रूपये,) परिवाद व्यय भरपाई हेतु 1,000/- रूपये (अक्षरे एक हजार रूपये) एक माह के अंदर अदा किये जावे। विपक्षी सं. 1 के विरूद्ध परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।        


(महावीर तंवर)                 (हेमलता भार्गव)                (भगवान दास)  
  सदस्य                        सदस्य                       अध्यक्ष
 

     निर्णय आज दिनंाक 04.08.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 
                                     
  सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष
           

 

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