Rajasthan

Jaipur-IV

CC/1083/2013

Dr. Ashutosh Vasistha - Complainant(s)

Versus

Country Vacations - Opp.Party(s)

Kailash Narayan Pareek

27 Feb 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                      पीठासीन अधिकारी
                                       डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                         डाॅ.अलका शर्मा, सदस्या
                       श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

परिवाद संख्या:-1083/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1215/2011)

डाॅक्टर आशुतोष वशिष्ठ, निवासी- 1714, शिव मार्ग, बनीपार्क, जयपुर ।
प्रिवादी

बनाम

कन्ट्री वेकेशन, 507, 5वीं मंजिल, क्रिस्टल पाॅम, प्लाॅट संख्या 2, सहकार सर्किल, सरदार पटेल मार्ग, जयपुर द्वारा मैनेजर । 
विपक्षी

उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री के.एन.पारीक,  एडवोकेट
विपक्षी की ओर से श्री ए.पी.जे.पी.दुबे, एडवोकट

निर्णय
                                                                            दिनांकः- 27.02.2015

 यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध दिनंाक 20.07.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षी के कर्मचारी कुमारी रश्मि से मिलकर उसके द्वारा विपक्षी की सदस्यता ग्रहण करने पर अवकाश में आकर्षक सुविधाऐं दिलाने और पांच वर्ष के लिए सदस्य बनाने का फाॅर्म भरकर दिया था । जिस पर विपक्षी ने परिवादी से 5,000/-रूपये नकद व 60,000/-रूपये का चैक कुल 65,000/-रूपये प्राप्त कर 100/-रूपये के स्टाम्प पर अनुबन्ध किया था । अनुबन्ध की शर्त के अनुसार परिवादी का सदस्यता क्रमांर्क क्ज्.104रु.617 दिनांक 13.06.2010 को दे दिया गया था । परन्तु सदस्यता कार्ड नहीं दिया गया । परिवादी को सदस्यता की स्वीकृति का प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया था । इसके बाद जब परिवादी ने विपक्षी से सुविधाओं के विवरण आदि की जानकारी चाही और विपक्षी को नोटिस दिया तो विपक्षी ने इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की । तब परिवादी ने विपक्षी को अपने अधिवक्ता से दिनांक 03.06.2011 को कानूनी नोटिस दिलवाया । इसके बाद भी विपक्षी के स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं की गई ।
इस प्रकार विपक्षी
ने परिवादी को सदस्यता देने के बावजूद भी सदस्यता कार्ड और सुविधाओं का विवरण आदि उपलब्ध नहीं करवाकर सेवादोष कारित किया हैं । और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षी से परिवाद के मद संख्या 17 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
 विपक्षी की ओर से अंग्रेजी भाषा में जवाब दिया गया है जिसका सार संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने सदस्यता शुल्क के रूप में 5,000/-रूपये जमा करवाये थे । लेकिन परिवादी को विपक्षी को 60,000/-रूपये और जमा करवाने शेष हैं । इस राशि को जमा कराने के संबंध में परिवादी की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई    हैं । इसलिए परिवादी की ओर विपक्षी की राशि बकाया होने के कारण परिवादी असत्य कथन करके परिवाद के मद संख्या 17 में अंकित अनुतोष विपक्षी से प्राप्त करना चाहता हैं । विपक्षी का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि मेें परिवादी डाॅक्टर आशुतोष वशिष्ठ ने स्वयं का शपथ पत्र प्रस्तुत करने के साथ-साथ कुल 07 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि विपक्षी की ओर से जवाब के तथ्यों की पुष्टि में श्री गुरदीप का अंग्रेजी भाषा में शपथ पत्र एवं कुल 08 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
विपक्षी की ओर से लिखित तर्क क्रमशः दिनांक 05.12.2011 एवं 17.12.2012 को अंग्रेजी भाषा में प्रस्तुत किये गये ।
विपक्षी की ओर से निम्न न्याय सिद्धान्त पेश किये गयेः-
01ण् ैब्क्त्ब्ए डंींतंेीजतंए डनउइंपए थ्पतेज ।चचमंस छवण्थ्।ध्13ध्296ए डतेण्त्ंरानउंतप डंदवींत ठंजीमरं टे ज्ीम ब्वनदजतल ब्सनइ ;प्दकपंद्ध स्जकण्ए क्मबपकमक वद 30ध्10ध्2013
02ण्  छब्क्त्ब् ;क्ण्ठण्द्ध भ्ंतूपदकमत ैपदही त्ंदकींूं टे ।अंसवद त्मेवतजे ;च्द्ध स्जकण्ए क्मबपकमक वद 01ध्02ध्2013ण्
03ण् प् ;1997द्ध ब्च्श्र 64 ;छब्द्ध

प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षी को सदस्यता फाॅर्म के साथ 5,000/-रूपये नकद तथा 60,000/-रूपये का चैक विपक्षी के पास सदस्यता और वेकेशन सुविधा प्राप्त करने के लिए जमा करवाये थे । लेकिन परिवादी की ओर से जो दस्तावेज प्रदर्श-1 ब्वदजतंबज छवणर्् क्ज्.104रु.617 दिनांकित 13.06.2010 प्रस्तुत किया गया है उसमें प्दपजपंस च्ंलउमदज की नकद राशि के 5,000/-रूपये तथा चैक से 60,000/-रूपये भुगतान किया जाना प्रदर्शित हैं । परन्तु परिवादी की ओर से यह चैक कौन-से नम्बर का था, कौन-सी दिनांक का था और किस बैंक का था, आदि तथ्य प्रस्तुत नहीं किये गये हैं । इसके विपरीत विपक्षी ने परिवादी से 60,000/-रूपये की राशि प्राप्त नहीं करना अपने जवाब के मद संख्या 3 व ैचमबपपिब त्मचसल के मद संख्या 13 में कथन किया है ।
इस प्रकार परिवादी ने विपक्षी को प्रलेर्ख क्ज्.104रु.617 दिनांक 13.06.2010 की अनुपालना में 60,000/-रूपये की राशि का भुगतान जरिये चैक किया हो, यह प्रमाणित नहीं हैं । इसलिए न्याय सिद्धान्त ैब्क्त्ब्ए डंींतंेीजतंए डनउइंपए थ्पतेज ।चचमंस छवण्थ्।ध्13ध्296ए डतेण्त्ंरानउंतप डंदवींत ठंजीमरं टे ज्ीम ब्वनदजतल ब्सनइ ;प्दकपंद्ध स्जकण्ए क्मबपकमक वद 30ध्10ध्2013 के प्रकाश में विपक्षी का यह उत्तरदायित्व नहीं हैं कि वह परिवादी को सदस्यता और सदस्यता से संबंधित सुविधाऐं पूर्ण राशि का भुगतान किये बिना उपलब्ध कराये । इस न्याय सिद्धान्त का संदर्भित भाग निम्नानुसार हैंः-
श्।चचमससंदजध्ब्वउचसंपदंदज ींे ंचचसपमक वित उमउइमतेीपच व िजीम त्मेचवदकमदजध्व्चचवदमदज ब्सनइण् प्ज पे जीम हतपमअंदबम व िजीम ।चचमससंदजध्ब्वउचसंपदंदज जींज बवदबमतदमक मगमबनजपअमे व िजीम त्मेचवदकमदजध्व्चचवदमदज ब्सनइ ींे ंेेनतमक ीमत जींज जीम ब्सनइ ूवनसक ेमबनतम ं बतमकपज बंतक वित ीमतण् ।बबवतकपदहसलए तमचतमेमदजंजपअमे व िजीम भ्क्थ्ब् ठंदा पितेज अपेपजमक जीम ।चचमससंदजध्ब्वउचसंपदंदज ंदक वइजंपदमक ेवउम कवबनउमदजे तिवउ ीमत इनज कपक दवज चतवअपकम ं बतमकपज बंतकण् ज्ीमतमंजिमतए तमचतमेमदजंजपअमे व िजीम ैजंजम ठंदा व िप्दकपं ंसेव बंउम ंदक ंहंपद जववा ेवउम कवबनउमदजे तिवउ ीमत इनज कपक दवज चतवअपकम जीम बतमकपज बंतकण् ।चचमससंदजध्ब्वउचसंपदंदज ींक कमचवेपजमक ंदक ंउवनदज व ि25000ध्. ूपजी जीम त्मेचवदकमदजध्व्चचवदमदज ब्सनइण् थ्नतजीमत पिअम बीमुनमे वित ंद ंउवनदज स ि1ए20ए000ध्. ूमतम ंसेव पेेनमक ूीपबी ींअम दवज लमज इममद मदबंेीमक इल जीम त्मेचवदकमदजध्व्चचवदमदज ब्सनइण् क्मपिबपमदबल पद ेमतअपबम ूीपबी पे ंससमहमक पे जींज व िदवज चतवअपकपदह बतमकपज बंतक जव जीम ।चचमससंदजध्ब्वउचसंपदंदज ंे ंेेनतमक इल जीम मगमबनजपअम व िजीम त्मेचवदकमदजध्व्चचवदमदज ब्सनइ ंज जीम जपउम व िपिसपदह ंचचसपबंजपवद वित उमउइमतेीपचण् ज्ीमतमवितमए जीम ब्वउचसंपदंदज ेवनहीज तमनिदक व ि25000ध्. ूपजी बवउचमदेंजपवदण्
  ।जिमत बवदेपकमतपदह जीम तमेचवदकमदजष्े बंेम जींज जीम ेनउ व ि25ए000ध्. चंपक बवनसक दवज इम तमनिदकमक पद अपमू व िब्संनेम ;08द्ध व िजीम जमतउे - बवदकपजपवदे व िजीम ंचचसपबंजपवदए जीम क्पेजतपबज थ्वतनउ बंउम जव ं बवदबसनेपवद जींज जीमतम ूंे दव ुनमेजपवद व ितमनिदकपदह जीम ंउवनदज कमचवेपजमक चंतजपबनसंतसल ेपदबम जीमतम ूंे दव कमपिबपमदबल पद ेमतअपबम वद जीम चंतज व िजीम त्मेचवदकमदजध्व्चचवदमदज पद दवज चतवअपकपदह ं बतमकपज बंतक ेपदबम जीम ब्वउचंदपमेध्ठंदो ूीपबी ूमतम जव चतवअपकम जीम बतमकपज बंतम ूमतम कपििमतमदज ंदक जीम त्मेचवदकमदजध्व्चचवदमदज ब्सनइ बवनसक दवज इम ीमसक तमेचवदेपइसम वित दवद.पेेनंदबम व िं बतमकपज बंतक जव जीम ।चचमससंदजध्ब्वउचसंपदंदजण् ।हहतपमअमक जीमतमइलए जीम ब्वउचसंपदंदज पे इमवितम ने पद जीपे ंचचमंसण्श्

अतः परिवादी द्वारा संविदा के पूर्ण रूप से 65,000/-रूपये का भुगतान करने के तथ्य प्रमाणित नहीं करने के कारण विपक्षी की सदस्यता की सुविधा और उसके लाभों के संबंध में परिवादी को कोई अनुतोष दिलाया जाना सम्भव नहीं हैं और न ही परिवादी विपक्षी से जमा करवाई गई राशि 5,000/-रूपये और तथाकथित 60,000/-रूपये वापस प्राप्त करने का अधिकारी हैं क्योंकि जो राशि परिवादी ने सदस्यता शुल्क के रूप में जमा कराई गई है, वह भी संविदा की शर्तों की पालना नहीं करने के कारण उक्त न्याय सिद्धान्त के प्रकाश में जब्त किया जाना सम्भव हैं ।
 अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किये जाने योग्य नहीं पाया जाता हैं और अस्वीकार किया जाता हैं ।
  आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी विपक्षी के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं । 

अनिल रूंगटा           डाॅं0 अलका शर्मा         डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य                              सदस्या                               अध्यक्ष


निर्णय आज दिनांक 27.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।

अनिल रूंगटा           डाॅं0 अलका शर्मा         डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य                           सदस्या                               अध्यक्ष

 

 

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