Chhattisgarh

Janjgir-Champa

CC/15/16

KEKATI BAI - Complainant(s)

Versus

COSTMER SERVICES DEPARTMENT PNB MET LIFE INDIA INSU COM AND OTHER - Opp.Party(s)

SHRI BRIJMOHAN SINGH DIXIT

05 Nov 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Janjgir-Champa
Judgement
 
Complaint Case No. CC/15/16
 
1. KEKATI BAI
VILLAGE PACHEDA THANA JANJGIR
JANJGIR CHAMPA
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. COSTMER SERVICES DEPARTMENT PNB MET LIFE INDIA INSU COM AND OTHER
SHISHMAHAL 5 VANI VILAS ROAD
DELHI
NEW DELHI
2. INSURANCE OMBUDSMAN
OFFICE OF THE INSURANCE OMBUDSMAN JANAK VIHAR COMPLEX 2 FLOOR 6 MALVIY NAGAR APO AIRTEL NEAR NEW MARKET
3. GREEVENCE SAIL
HAIDRABAD
BASHIRBAG
HAIDARBAD
4. BRANCE MANEGER PNB GOUD
JANJGIR
JANJGIR CHAMPA
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. BHISHMA PRASAD PANDEY PRESIDENT
 HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA MEMBER
 HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI BRIJMOHAN SINGH DIXIT
 
For the Opp. Party:
NA 1 TO 3 ABSENT
NA 4 SHRI D.P.AGRAWAL
 
ORDER

                                             जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर-चाॅपा (छ0ग0)
                                                                                          प्रकरण क्रमांक:- CC/16/2015
                                                                                        प्रस्तुति दिनांक:- 05/03/2015


केकती बाई उम्र लगभग 50 वर्श 
पति स्व. हरप्रसाद, जाति सूर्यवंषी,
सा0 पचेड़ा, थाना जांजगीर 
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग.             ..................आवेदिका/परिवादी
    
                       ( विरूद्ध )    
                 
1. कस्टमर सर्विस डिपार्टमेंट पी.एन.बी. 
मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड,
बिग्रेड षीषमहल, 5 वानी विलास रोड
560 004 इंडिया बसवान गुडी बैंगलोर,

2. इंष्योरेंस ओमबेस्डमेन, 
आफिस आफ द इंष्योरेंस ओमबेस्डमेन,  
जनक विहार काम्पलेक्स, 2 फ्लोर, 
6 मालवीय नगर अपो, एयरटेल,
नियर न्यू मार्केट भोपाल (म.प्र.)  462023

3. ग्रीवेन्स सेल (कम्लेन्ट अगेन्स्ट लाईफ इंष्योरेंस)
इंष्योरंेस रेग्यूलेटी एण्ड डेवलपमेंट अथारिटी परिश्रम भवनम,
5-9-58/बी. वषीरबाग, हैदराबाद 500 004 

4. षाखा प्रबंधक पी.एन.बी. गौद
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग.      .........अनावेदकगण/विरोधी पक्षकारगण
 
                                                            ///आदेश///
                                   ( आज दिनांक  05/11/2015 को पारित)

    1. परिवादी/आवेदिका ने उसके पति स्व. हरप्रसाद सूर्यवंषी की मृत्यु दावा राषि 3,30,000/-रू. 18 प्रतिषत ब्याज सहित षारीरिक व मानसिक क्षति 50,000/-रू., न्यायालयीन खर्च 10,000/-रू., परिवहन व्यय 5,000/-रू. तथा अन्य व्यय अनावेदकगण/विरोधी पक्षकारगण से दिलाए जाने हेतु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद दिनांक 05.03.2015 को प्रस्तुत किया है।
    

2. यह अविवादित तथ्य है कि-
1. परिवादी के पति हरप्रसाद सूर्यवंषी का अनावेदक क्रमांक 4 के बैक षाखा में एकाउंट था। 
2. अनावेदक क्रं 4 ने अनावेदक क्रं. 1 पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड का विक्रय अभिकर्ता था।
3. उसने हरप्रसाद सूर्यवंषी का अनावेदक क्रं. 1 कंपनी में पालिसी क्रं. 21223016 अनुसार दिनांक 13.12.2013 को बीमा कराया था।
4. हरप्रसाद सूर्यवंषी की दिनांक 30.01.2014 को मृत्यु हो गई।
5. अनावेदक क्रं. 1 बीमा कंपनी द्वारा परिवादी द्वारा प्रस्तुत मृत्यु दावा को दिनांक 24.09.2014 के प्रेशित पत्र द्वारा इंकार किया गया है।
3. परिवाद के निराकरण के लिए आवष्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार   है कि परिवादी के पति स्व. हरप्रसाद सूर्यवंषी द्वारा दिनांक 13.12.2013 को पी.एन.बी षाखा गौद में प्लान आफ इंष्योरेंस मेट सुविधा (पर रेगुलर पे) के अंतर्गत 3,30,000/-रूपये का अपने जीवन का बीमा कराया था का प्रथम किस्त के रूप में वार्शिकी 30,000/-रूपये जमा किया था। परिपक्वता दिनांक 16.12.2028 निर्धारित है। पालिसी क्रं. 21223016, जिसका क्लाईन्ट आई डी नं. 52471908 तथा इन्स्टूमेंन्ट नंबर 539349 है। बीमा पालिसी में परिवादी का नाम नामिनी के रूप में दर्ज है। दिनांक 30.01.2014 को पालिसी धारक हरप्रसाद सूर्यवंषी की मृत्यु हो गई तब नामिनी परिवादी ने मृत्यु दावा पी.एन.बी षाखा गौद में प्रस्तुत की थी, किन्तु उसको मृत्यु दावा प्राप्त नहीं हुआ इस प्रकार बैक प्रबंधन एवं पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा सेवा में कमी की गई है। परिवादी ने अधिवक्ता के माध्यम से लिखित सूचना अनावेदक क्रं. 1 से 4 को दिया गया तथा उनके मृत्यु दावा दिलाए जाने का निवेदन किया गया, लगातार पत्राचार किया गया, संपर्क किया गया, किंतु बैंक प्रबंधन एवं पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा ध्यान नहीं दिया गया, उनके द्वारा सेवा में कमी की गई है। उक्त अनुसार परिवादी ने मृत्यु दावा राषि 3,30,000/-रू. 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से हरप्रसाद की मृत्यु दिनांक से दिलाए जाने षारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना का 50,000/-रू. न्यायालयीन खर्च 10,000/-रू., परिवहन व्यय 5,000/-रू. सहित अन्य व्यय दिलाए जाने की प्रार्थना की गई है।      
4. अनावेदक क्रमांक 1 पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड प्रकरण में दिनांक 17.07.2015 से अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित होती रही है, किंतु उसके द्वारा परिवादी के परिवाद का कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है । कई अवसर प्राप्त होने के बाद भी   दिनांक 26.10.2015 को उपस्थित नहीं होने व जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर जवाब प्रस्तुत करने का अवसर समाप्त किया गया है । 
5. अनावेदक क्रमांक 2 ने डाक से जवाब नोटिस प्राप्त होने की सूचना देते हुए बताया है कि बीमा लोकपाल की स्थापना भारत सरकार (वित्त मंत्रालय, डिपार्टमेंट आॅफ इकाॅनामिक अफेयर्स, इंष्योरेंस डिवीजन) द्वारा इंष्योरेंस एक्ट 1938 की धारा 114 (1) के तहत  Redressal of Public Grievances Rules 1998 के अंतर्गत किया गया है । वस्तुतः बीमा लोकपाल किसी भी प्रकार का सेवा प्रदाता नहीं है । इस कार्यालय में केवल पालिसीधारक/दावेदार स्वयं के द्वारा प्रेशित षिकायतों पर ही सुनवाई की जाती है । उपरोक्त से अनावेदक क्रमांक 2 ने अपना नाम विलोपित करने का निवेदन किया है । 
6. अनावेदक क्रमांक 3 ने पंजीकृत डाक से जवाब प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने षिकायतकर्ता से एक षिकायत दिनांक 10.02.2015 को प्राप्त की गई जिसे समन्वित षिकायत प्रबंधन प्रणाली पर टोकन संख्या 02-15-009409 के रूप में दिनांक 10.02.2015 को पंजीकरण किया गया, जिसे बीमाकर्ता को अग्रेशित किया गया है, जिस पर बीमाकर्ता ने टिप्पणी के साथ षिकायत का उत्तर दिया था। अतः आई.आर.डी.ए. ने अपनी भूमिका पूरी कर दी है, इस कारण उसने कोई सेवा में कमी नहीं की है । उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 (1)(डी) के आषय के अंतर्गत आई.आर.डी.ए. के समक्ष षिकायतकर्ता एक उपभोक्ता नहीं है । अतः आई.आर.डी.ए. के विरूद्ध षिकायत अनुरक्षणीय नहीं है, जिससे उसके विरूद्ध षिकायत निरस्त करने का निवेदन किया गया है । 
7. अनावेदक क्रमांक 4 ने जवाब प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्यों को छोड़ षेश तथ्यों से इंकार करते हुए अभिकथन किया है कि परिवादी के पति हरप्रसाद सूर्यवंषी पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड अनावेदक क्रमांक 1 के पास अपना जीवन बीमा कराया है, अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा जीवन बीमा पाॅलिसी जारी की गई है, जिसकी संपूर्ण जवाबदारी अनवेदक क्रमांक 1 की है वह अनावेदक क्रमांक 1 का विक्रय अभिकर्ता मात्र है । अनावेदक क्रमांक 4 के विरूद्ध प्रस्तुत दावा निरस्त किए जाने योग्य है, से उसके विरूद्ध परिवाद निरस्त करने की प्रार्थना की गई है ।  
8. परिवाद पर उपस्थित पक्ष को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिषीलन किया गया है ।
9. विचारणीय प्रष्न यह है कि:-
क्या अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार क्रमांक 4 बैंक प्रबंधन एवं अनावेदक क्रमांक 1 पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा परिवादी से सेवा में कमी की गई है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्न का सकारण निष्कर्ष:-
10. अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद में परिवादी ने बैंक प्रबंधन पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा उसके द्वारा प्रस्तुत मृत्यु दावा पर ध्यान नहीं दिया से उनके द्वारा सेवा में कमी की गई है प्रकट किया है । अनावेदक क्रमांक 2 और 3 को लिखित में सूचना दिया जाकर मृत्यु दावा राषि दिलाए जाने का निवेदन किया गया था उल्लेखित किया गया है । 
11. परिवाद के तथ्यों के समर्थन में परिवादी ने अपना षपथ पत्र सूची अनुसार दस्तावेज प्रस्तुत की है, दस्तावेजों में पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड का बीमा पाॅलिसी की प्रति (दस्तावेज क्रमांक 1)की छायाप्रति, हरप्रसाद सूर्यवंषी की मृत्यु प्रमाण पत्र दिनांक 06.02.2014 (दस्तावेज क्रमांक 2), पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड की सूचना पत्र दिनांक 24.09.2014(दस्तावेज क्रमांक 3), अधिवक्ता द्वार दिया गया रजिस्टर्ड नोटिस की प्रति (दस्तावेज क्रमांक 4), नोटिस की डाक रसीद (दस्तावेज क्रमांक 5), अनावेदक क्रमांक 3 की प्राप्ति अभिस्वीकृति (दस्तावेज क्रमांक 6), पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा नोटिस का दिया गया जवाब (दस्तावेज क्रमांक 7), पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा परिवादी को बीमा पाॅलिसी के संबंध में भेजा गया पत्र दिनांक 12.02.2015 की मूल प्रति (दस्तावेज क्रमांक 8) प्रस्तुत है । 
12. उपरोक्त अनुसार परिवादी ने अनावेदक क्र. 2 बीमा लोकपाल एवं अनावेदक क्र 3 आई.आर.डी.ए. को भी पक्षकार बनाया गया है, उनके द्वारा सेवा में कमी किये जाने का कोई तथ्य परिवाद में उल्लेखित नहीं है। अनावेदक क्र. 2 ने सूचित किया है कि वह किसी भी प्रकार की सेवा प्रदाता नहीं है। इसी प्रकार अनावेदक क्र. 3 ने स्वंय को षिकायत कर्ता का उपभोक्ता नहीं होना बताया है। प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत अनावेदक क्र. 2 व 3 परिवादी के उपभोक्ता है स्थापित, प्रमाणित नहीं हुआ है, फलस्वरूप हम अनावेदक क्र 2 एवं 3 के विरूद्ध परिवादी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद निरस्त किये जाने की प्रार्थना स्वीकार किये जाने योग्य पाते हुए प्रार्थना स्वीकार कर अनावेदक/विरोधी पक्षकार क्र 2 एवं 3 के विरूद्ध प्रस्तुत यह परिवाद निरस्त करते हैं। 
13. परिवाद पत्र की सामग्री से तथा अनावेदक क्र 4 के जवाब से अनावेदक क्र. 4 ने अनावेदक क्र. 1 पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड का विक्रय अभिकर्ता होकर परिवादी के पति स्व. हरप्रसाद सूर्यवंषी का बीमा किया था। इस प्रकार हरप्रसाद सूर्यवंषी का अनावेदक क्र. 1 पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दिनांक 13.12.2013 बीमा पालिसी क्र. 21223016 अनुसार बीमा किया गया था। बीमा पालिसी की प्रति से स्थापित, प्रमाणित हुआ है।
14. परिवादी ने बीमा धारक हरप्रसाद सूर्यवंषी की दिनांक 30.01.2014 को मृत्यु हो जाना बताया है, जिसकी पृश्टि में मृत्यु प्रमाण पत्र दस्तावेज क्र. 2 प्रस्तुत किया है, बीमा पाॅलिसी दस्तावेज क्र. 1 अनुसार दिनांक 16.12.2013 से 16.12.2028 तक बीमा अवधि थी, उक्त बीमा अवधि के भीतर दिनांक 30.01.2014 को पाॅलिसी धारक हरप्रसाद सूर्यवंषी की मृत्यु हो गयी प्रमाणित है। 
15. प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत अनावेक क्र. 1 ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत नहीं किया है, परिवादी ने उसके पति हरप्रसाद सूर्यवंषी की स्वाभाविक मृत्यु होना बताया है, जिसका खण्डन अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा जवाब द्वारा नहीं किया गया है । 
16. परिवाद पत्र के साथ सूची अनुसार दस्तावेज में पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड का दिनांक 24.09.2014 का पत्र एवं अनावेदक क्र. 1 कि ओर से उसके अधिवक्ता द्वारा दिया गया नोटिस का जवाब दिनांक 22.01.2015 में परिवादी के पति ट्यूबर क्लोसिस ;ज्नइमतबनसवेपेद्ध बीमारी से पीडि़त थे, जिसकी जानकारी बीमा धारक ने नही दिया था, छिपाया था आधार पर परिवादी श्रीमति केकती बाई द्वारा प्रस्तुत बीमा दावा को इंकार किया जाना उल्लेखित है, उक्त तथ्य को इस फोरम के समक्ष बताने के लिए अनावेदक क्र.1 ने परिवादी के पति के ट्यूबर क्लोसिस ;ज्नइमतबनसवेपेद्ध से पीडि़त होने के सबंध में कोई प्रमाण तथा चिकित्सा प्रमाण आदि प्रस्तुत नहीं किया है। 
17. परिवादी ने उसके पति बीमा धारक की दिनांक 30.01.2013 को स्वाभाविक मृत्यु होना बताया है, जिसके विरूद्ध बीमा धारक ट्यूबर क्लोसिस ;ज्नइमतबनसवेपेद्ध से पीडि़त था तथा उसने उक्त तथ्य को पाॅलिसी लेते समय छिपाया था, को प्रमाणित करने का भार अनावेदक क्र.1 पर था, किंतु अनावेदक क्र. 1 ने बीमा धारक हरप्रसाद सूर्यवंषी के  जीवन बीमा पाॅलिसी लेते समय ट्यूबर क्लोसिस ;ज्नइमतबनसवेपेद्ध से पीडि़त था, और उक्त तथ्य को छिपाया था, के तथ्य को स्थापित, प्रमाणित करने का कोई प्रयास नहीं किया, इस प्रकार अनावेदक क्र. 1 के पत्र दिनांक 24.09.2014 तथा पंजीकृत नोटिस का जवाब दिनांक 22.01.2015 में उल्लेखित तथ्य कि बीमा धारक हरप्रसाद सूर्यवंषी ट्यूबर क्लोसिस ;ज्नइमतबनसवेपेद्ध से पीडि़त था, स्थापित, प्रमाणित नही हुआ है।
18. परिवादी द्वारा सूची अनुसार प्रस्तुत दस्तावेज अनावेदक क्र. 1 की ओर से अधिवक्ता द्वारा दिया गया नोटिस दिनांक 22.01.2015 के पैरा 5 में ।े चमत जीम ब्संनेम 25 व As per the Clause 25 of the said Policy Disclosure  उल्लेखित होना प्रगट किया है, किंतु परिवादी द्वारा प्रस्तुत बीमा पाॅलिसी की प्रति दस्तावेज क्र. 1 में क्लाॅज 25 Grievance Redressal Mechanism  उल्लेखित है।
19. परिवाद अन्तर्गत की सामग्री से परिवादी के पति हरप्रसाद सूर्यवंषी जीवन बीमा पाॅलिसी क्र. 21223016 लेते समय ट्यूबर क्लोसिस रोग से पीडि़त थे तथा उक्त तथ्य को अनावेदक क्र. 1 के समक्ष छिपाया था प्रमाणित नहीं हुआ है, से पाॅलिसी अवधि में पाॅलिसी धारक हरप्रसाद सूर्यवंषी की मृत्यु होने से उसके नामिनी परिवादी मृत्यु दावा पाने के अधिकारी हो गई है तथा मृत्यु दावा से अनावेदक क्र. 1 का इंकार किया जाना उपभोक्ता की सेवा में कमी होना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2(1) (डी), (ओ) तथा (जी) अनुसार होना हम पाते हैं।
20. अतः अनावेदक क्र. 1 विरूद्ध परिवाद स्वीकार करने योग्य पाते हुए परिवाद स्वीकार कर निम्नलिखित निर्देष देते है:- 
अ. अनावेदक क्र. 1 पी.एन.बी मेटलाईफ इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड 3,30,000/- रू. (तीन लाख तीस हजार रूपये) परिवादी को 1 माह के भीतर भुगतान करेगा । 
ब. अनावेदक क्रमांक 1 उक्त 3,30,000/- रू. (तीन लाख तीस हजार रूपये) पर परिवाद प्रस्तुति दिनांक 05.03.2015 से अदायगी दिनांक तक 9 प्रतिषत वार्शिक ब्याज भुगतान करेगा।
स. अनावेदक क्र. 1 परिवादी को 20,000/- रू.(बीस हजार रूपये) क्षति पूर्ति के रूप में प्रदान करेगा।
द. अनावेदक क्र. 1 परिवाद व्यय के रूप में 2,000/- रू. (दो हजार रूपये) प्रदान करेगा।

( श्रीमती शशि राठौर)      (मणिशंकर गौरहा)        (बी.पी. पाण्डेय)     
      सदस्य              सदस्य                अध्यक्ष   

 

 

 
 
[HON'BLE MR. BHISHMA PRASAD PANDEY]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE]
MEMBER

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