Uttar Pradesh

StateCommission

A/1999/1215

N I Co - Complainant(s)

Versus

Cosmos Shoes - Opp.Party(s)

Rjesh Nath

22 Nov 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1999/1215
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. N I Co
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Cosmos Shoes
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 22 Nov 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-1215/1999

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या 194/1994 में पारित निर्णय दिनांक 08.04.1999 के विरूद्ध)

नेशनल इं0कं0लि0 रीजनल आफिस 4 फ्लोर एल.आई.सी. बिल्डिंग

हजरतगंज, लखनऊ द्वारा मैनेजर एवं अन्‍य।         .........अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम्

मै0 कौस मौस शू द्वारा पार्टनर श्री अनूप मित्‍तल प्रधान कार्यालय

49/6, तलैया काजी पाड़ा छापीटोला, आगरा एवं अन्‍य।

                                              ......प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण

समक्ष:-

1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2. मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    : श्री राजेश नाथ, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित     :श्री वी0पी0 शर्मा, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 26.02.2018

मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      यह अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या 194/1994 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दि. 08.04.1999 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है। जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है:-

      '' यह परिवाद पत्र विपक्षी नं0 2, 3 के विरूद्ध निरस्‍त किया जाता है। विपक्षी नं0 1 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को क्षति की धनराशि रू. 281358/- एवं रू. 20000/- क्षतिपूर्ति के अदा इस निर्णय की तिथि के 30 दिन के अंदर करें। अवधि के अंदर पालन न किये जाने पर परिवादी निर्णय की तिथि से उक्‍त समस्‍त धनराशि मय सूद 15 प्रतिवर्ष की दर से भुगतान के दिवस तक पाने का अधिकारी होगा।''

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी एक भागीदारी फर्म है जो जूते बनाने व विक्रय का कार्य स्‍थानीय बाजारों व विदेशों में करती है। परिवादी ने 600 जोड़े जूते दि. 14.07.90 को रू. 42000/- के तथा 560 जोड़े जूते दि. 19.07.90 को जिनका मूल्‍य रू. 39200/- था, फ्रांस को भेजा। भेजे गए इस समस्‍त माल का परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 1 (बीमा कंपनी) से बीमा कराया था। बीमा पालिसी के अंतर्गत सभी प्रकार के रिस्‍क आच्‍छादित थे। बीमा प्रमाण पत्र पर यह भी अंकित था कि क्‍लेम डब्‍ल्‍यू. के. वैस्‍टर एण्‍ड

-2-

कंपनी द्वारा दिया जाएगा। परिवादी का उक्‍त माल यू0पी0 पंजाब ट्रांसपोर्ट कंपनी आगरा के माध्‍यम से दिल्‍ली भेजा गया। विपक्षी संख्‍या 3 शिपिंग एजेन्‍ट और विपक्षी संख्‍या 2 इंटरनेशनल कैरियर था। विपक्षी संख्‍या 2 व 3 ने कंसाइनमेन्‍ट को सही हालत में प्राप्‍त किया तथा माल को हवाई सेवा के माध्‍यम से फ्रांस भेजा गया। विपक्षी संख्‍या 3 ने परिवादी को दि. 18.09.90 को यह सूचित किया कि कंसाइनी के अपने दिए हुए पते पर न होने के कारण माल नहीं दिया जा सका। तत्‍पश्‍चात विपक्षी संख्‍या 3 ने परिवादी को अपने पत्र दि. 03.10.90 के द्वारा सूचित किया कंसाइनी ने माल लेने से मना कर दिया, अत: माल को वेयर हाउस में दि. 28.09.90 को भेज दिया गया। परिवादी के अनुसार उसे एक पत्र दि. 22.09.90 को पंजाब नेशनल बैंक संजय प्‍लेस आगरा से प्राप्‍त हुआ, जिसमें यह अवगत कराया गया था कि कन्‍साइनी ने माल को स्‍वीकार करने से मना कर दिया, क्‍योंकि माल क्षतिग्रस्‍त था और बेचने योग्‍य नहीं था। परिवादी के अनुसार विपक्षी संख्‍या 2 की लापरवाही के कारण माल क्षतिग्रस्‍त हुआ। परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 2 व 3 के विरूद्ध क्‍लेम के लिए आवेदन किया। विपक्षीगणों ने क्‍लेम का निस्‍तारण नहीं किया।

      जिला मंच के समक्ष विपक्षी संख्‍या 1 ने अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया और यह अभिकथन किया कि परिवाद पार्टनरशिप एक्‍ट के अंतर्गत चलने योग्‍य नहीं है। इंश्‍योरेंस का क्‍लेम मैसर्स डब्‍ल्‍यू. के. वैस्‍टर एण्‍ड कंपनी, लंदन द्वारा किया जाना था। विपक्षी संख्‍या 1 द्वारा यह भी अवगत कराया गया माल अंदर से ठीक-ठाक था, केवल पैकेट पैकिंग क्षतिग्रस्‍त हुए थे और परिवादी का यह कथन कि माल पूरी तरह से खराब हो गया था, गलत है। सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार भी माल में अंदर से कोई नुकसान नहीं हुआ। पैकिंग खराब होने के कारण माल को कन्‍साइनी ने नहीं लिया।

      जिला मंच के समक्ष विपक्षी संख्‍या 2 ने अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया और यह अभिकथन किया कि कैरिज बाई एयर एक्‍ट-1972 नियम 28 व 29 के अंतर्गत पोषणीय नहीं है और उसकी कोई गलती व जिम्‍मेदारी नहीं है।

      जिला मंच के समक्ष विपक्षी संख्‍या 3 ने यह अभिकथन किया कि वह एक एजेन्‍ट की हैसियत से कार्य कर रहा था, इसलिए वह उत्‍तरदायी नहीं है।

पीठ ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍यों का भलीभांति परिशीलन किया गया।

 

-3-

      प्रत्‍यर्थी ने अपने बहस के दौरान यह अवगत कराया कि जिला मंच के निर्णय के बाद अपीलार्थी द्वारा समस्‍त क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जा चुका है, अत: यह अपील अनुपालन हो जाने के कारण निष्‍प्रयोज्‍य हो गई है। प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा लिखित रूप में अपने लिखित बहस में इस तथ्‍य को अंकित किया है। अपीलार्थी द्वारा बहस के दौरान इन तथ्‍यों का खंडन नहीं किया गया, अत: चूंकि प्रत्‍यर्थी के कथनानुसार जिला मंच के आदेश का अनुपालन हो चुका है और क्षतिपूर्ति उसे प्राप्‍त हो चुकी है, अत: अपील निष्‍प्रयोज्‍य हो जाती है।

      उपरोक्‍त के अतिरिक्‍त जिला मंच के निर्णय के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि जिला मंच ने साक्ष्‍यों की विस्‍तृत विवेचना करते हुए अपना निर्णय दिया है जो विधिसम्‍मत है और हम उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं पाते हैं। तदनुसार अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

     प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश दि. 08.04.1999 की पुष्टि की जाती है।

      उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

      निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाए।

     

 

        (राम चरन चौधरी)                               (राज कमल गुप्‍ता)

         पीठासीन सदस्‍य                                      सदस्‍य

राकेश, पी.ए.-2

  कोर्ट-2

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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