जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी...................वरि.सदस्या
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-139/2013
विक्रम गुप्ता पुत्र श्री जय किषन गुप्ता निवासी-74/92, धनकुट्टी कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
कार्पोरेषन बैंक षाखा-7/111-ए, स्वरूप नगर कानपुर नगर, द्वारा षाखा प्रबन्धक।
...........विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 14.03.2013
निर्णय की तिथिः 01.10.2015
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को, विपक्षी से, विपक्षी द्वारा समझौते से अधिक वसूली गई धनराषि रू0 10,000.00, सामाजिक, षारीरिक, आर्थिक, मानसिक व व्यवसायिक क्षतिपूर्ति के लिए रू0 50,000.00 तथा परिवाद व्यय दिलाया जाये।
2. परिवादी के परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का संक्षेप में यह कथन है कि परिवादी मे0 इषिका ट्रेडर्स 74/35 बावन दुकान कलक्टरगंज कानपुर नगर का एकमात्र मालिक/प्रोपराइटर है। विपक्षी ने परिवादी को उसकी उक्त फर्म के चालू खाता पर दिनांक 31.05.03 को रू0 200000.00 ऋण/कैष क्रेडिट लिमिट स्वीकृत किया था। परिवादी द्वारा उक्त ऋण का भुगतान नियमित न हो पाने के कारण स्वीकृत लिमिट रू0 2,00,000.00 से कम धनराषि बकाया होने के बावजूद विपक्षी ने परिवादी के विरूद्ध बकाया धन की वसूली हेतु वाद सं0-1261 सन् 2009 कार्पोरेषन बैंक बनाम मे0 इषिका ट्रेडर्स आदि समक्ष न्यायालय श्रीमान सिविल जज (सी0डि0) कानपुर
..........2
....2....
नगर प्रेशित किया गया, जो समक्ष लघुवाद न्यायाधीष कानपुर नगर विचाराधीन रहा। विपक्षी ने परिवादी को हैरान व परेषान करने के इरादे से उक्त मामला विचाराधीन रहते हुए अनाधिकृत रूप से उक्त बकाया ऋण राषि की वसूली हेतु परिवादी के विरूद्ध वसूली प्रमाण पत्र जिलाधिकारी कानपुर को प्रेशित कर दिया विपक्षी व परिवादी के मध्य उक्त ऋण की बावत आपसी सुलह व समझौता माह मार्च 2011 में हो गया और विपक्षी के पत्र दिनांक 16.03.11 के अनुसार उक्त ऋण के पूर्ण व अंतिम भुगतान स्वरूप परिवादी को दिनांक 31.03.11 तक कुल धनराषि रू0 1,00,000.00 विपक्षी को भुगतान करने हेतु निर्देषित किया गया। विपक्षी द्वारा उक्त की बावत रू0 1,00,000.00 निर्धारित की गयी, परन्तु विपक्षी द्वारा परिवादी को अवैधानिक रूप से जरिये संग्रह अमीन रू0 10,000.00 कुल धनराषि रू0 1,10,000.00 वसूल की गयी और विपक्षी निर्धारित समझौता धनराषि से अधिक वसूली गई। धनरराषि रू0 10000.00 परिवादी को वापस करने हेतु विधिक रूप से उत्तरदायी व बाध्य हैं। विपक्षी द्वारा परिवादी से वसूला गया अतिरिक्त धन रू0 10,000.00 परिवादी को वापस नहीं किया गया। परिवादी ने विपक्षी को जरिये अधिवक्ता दिनांक 18.07.11 को रजिस्टर्ड नोटिस प्रेशित किया। किन्तु विपक्षी द्वारा उक्त कार्यवाही नहीं की गयी। इस कारण वाद का कारण उत्पन्न हुआ। अतः प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाये।
3. परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षी को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, लेकिन पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी विपक्षी फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आया। अतः विपक्षी पर पर्याप्त तामीला मानते हुए दिनांक 20.05.14 को विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 13.03.13 एवं 26.08.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में विपक्षी
.......3
....3....
द्वारा प्रेशित पत्र दिनांकित 16.03.11, 30.03.11 की प्रति, तहसीलदार सदर कानपुर द्वारा जारी नोटिस की प्रति, प्राप्ति रसीद सं0-846059 की प्रति, जमा पर्ची की प्रति, नोटिस की प्रति दाखिल किया है।
निष्कर्श
5. फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को एकपक्षीय रूप से सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में दो षपथपत्र तथा अन्य अभिलेखीय साक्ष्य की प्रतियां दाखिल की गयी हैं। विपक्षी की ओर से बावजूद तामिला कोई उपस्थित नहीं आया। परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त षपथपत्री एवं अभिलेखीय साक्ष्य का खण्डन विपक्षी की ओर से नहीं किया गया है। अतः परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों पर अविष्वास किये जाने का कोई आधार नहीं है। इस प्रकार परिवादी से वसूली गयी अतिरिक्त/अधिक धनराषि के कारण, विपक्षी द्वारा अपनी सेवा देने में भारी कमी व लापरवाही की गयी है।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के अलोक में फोरम इस मत का है कि परिवादी, विपक्षी द्वारा वसूल की गयी अधिक धनराषि रू0 40,000.00 वापस प्राप्त करने का अधिकारी है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का प्रष्न है- के सम्बन्ध में परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न करने के कारण अन्य याचित उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
7. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक एवं एकपक्षीय रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय
..........4
....4....
पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादी को रू0 10,000.00 तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय के रूप में अदा करें।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर। कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर। कानपुर नगर।