Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/51/2008

Shri Javed Bhai Pvt. Ltd. - Complainant(s)

Versus

Corporation Bank - Opp.Party(s)

15 Sep 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/51/2008
 
1. Shri Javed Bhai Pvt. Ltd.
Add:-Office Wajid Nagar, Prince Road Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Corporation Bank
Add:- First Floor Near Ekta Dwar M.D.A Commercial Complex, Civil Line Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने अनुरोध किया है कि विपक्षी से गलत तरीके से परिवादी पर लगाया गया ब्‍याज और परिवादी से गलत तरीके से वसूल की गई धनराशि 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित परिवादी को  वापिस दिलाई जाये। त्रुटिपूर्ण सेवा के लिए परिवादी ने विपक्षी से 1,00,000/- रूपया क्षतिपूर्ति और परिवाद व्‍यय अतिरिक्‍त मांगा है।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी की कम्‍पनी लघु  उद्योग के अन्‍तर्गत पंजीकृत है जो निर्यात का कार्य करती है। कम्‍पनी के लिए विपक्षी बैंक में परिवादी ने एक करेन्‍ट एकाउन्‍ट संख्‍या- 01/000516 खोला, जो चल रहा है। खाता खोलते समय विपक्षी के मैनेजर ने आश्‍वासन दिया  था कि विपक्षी  बैंक परिवादी  को 60,00,000/- रूपये का ऋण देगा। परिवादी ने जावेद भाई ट्रेड सिस्‍टम प्राइवेट लिमिटेड की सम्‍पत्ति का एक विलेख जमानत के रूप में विपक्षी बैंक को दिया। विपक्षी बैंक ने समय-समय पर परिवादी को क्रेडिट फैसिलिटीज प्रदान कीं। दिनांक 15/04/2006 को पत्र लिखकर परिवादी ने विपक्षी से लिमिट की समय सीमा बढ़ाये जाने का अनुरोध किया। इसके बावजूद भी परिवादी पर 7.5 प्रतिशत के स्‍थान पर 13.5 प्रतिशत ब्‍याज लगाते हुऐ दिनांक 03/5/2006 को 27,813/- रू0 तथा दिनांक 31/5/2006 को 36,953/- रूपये ब्‍याज की मद में चार्ज कर लिये, जो नियमानुसार गलत हैं। दिनांक 07/6/2006 को पत्र लिखकर परिवादी ने बैंक से अनुरोध किया कि अधिक ब्‍याज लगाकर काटे गऐ रूपये परिवादी को वापिस किऐ जाऐ। इसके बावजूद परिवादी को अधिक काट लिऐ गऐ रूपये विपक्षी ने वापिस नहीं किऐ। परिवादी ने अग्रेत्‍तर कहा कि दिनांक 30/6/2006 को पुन: गलत ब्‍याज लगाकर विपक्षी ने परिवादी के खाते से 34,698/- रूपये काट लिये जो नियमानुसार गलत हैं। परिवादी का कथन है कि वह विपक्षी का उपभोक्‍ता है। विपक्षी ने दोषपूर्ण सेवा दी है जिस कारण परवादी को वाद  हेतुक उत्‍पन्‍न हुआ। परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार किऐ  जाने की प्रार्थना की।
  3.   परिवाद के समर्थन में दाखिल शपथ पत्र कागज सं9-3/9 लगायत 3/11 के साथ सूची कागज सं0-3/12 के माध्‍यम से परिवादी ने कम्‍पनी के बैंक खाते के स्‍टेटमेन्‍ट एकाउन्‍ट, टाइटिल डीड बैंक में जमा करने सम्‍बन्‍धी परिवादी के पत्र, बैंक लिमिट बढ़ाये जाने हेतु बैंक को लिखे गऐ पत्र दिनांकित 15/4/2006, अधिक काट लिऐ गऐ ब्‍याज से सम्‍बन्धित एकाउन्‍ट स्‍टेटमेंट, गलत ब्‍याज दर के विषय में विपक्षी बैंक को लिखे गऐ पत्र दिनांक 20/9/2006, बैंक को भेजे गऐ शिकायती पत्र दिनांकित 21/6/2006, स्‍टेटमेन्‍ट आफ एकाउन्‍ट, वैलेंस शीट तथा टाइटिल डीड बैंक के कब्‍जे में होने विषयक परिवादी के पत्र दिनांकित 08/3/2007 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/13 लगायत 3/24 हैं।
  4.   विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-10/1 लगायत 10/4 दाखिल हुआ। प्रतिवाद पत्र में यह तो स्‍वीकार किया गया है कि विपक्षी बैंक में  परिवादी ने अपनी कम्‍पनी का एक करेन्‍ट एकाउन्‍ट खोला जिसके सम्‍बन्‍ध  में परिवादी ने अपनी कम्‍पनी की टाइटिल डीड विपक्षी बैंक के पास जमानत के रूप में रखे। समय-समय पर परिवादी को क्रेडिट फैसिलिटीज प्रदान करने और  लिमिट  की  समय  सीमा  बढ़ाये  जाने  हेतु परिवादी का पत्र दिनांक 15/4/2006 प्राप्‍त होने के तथ्‍यों को भी स्‍वीकार किया गया है, किन्‍तु शेष  कथनों से इन्‍कार किया गया। अतिरिक्‍त कथनों में  कहा गया है कि परिवाद कानूनन पोषणीय नहीं है, परिवादी उपभोक्‍ता नहीं है क्‍योंकि मामला कामर्शियल ट्रांजक्‍शन के सम्‍बनध में है जिसकी सुनवाई का फोरम को क्षेत्राध्किार नहीं  है। अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि लिमिट की समय सीमा बढ़ाये जाने हेतु परिवादी द्वारा पत्र दिनांक 15/4/2006 के द्वारा किया गया अनुरोध बैंक द्वारा स्‍वीकृत करके परिवादी को सूचित कर दिया गया था और परिवादी को बैंक द्वारा दी जाने वाली अतिरिक्‍त बैंकिंग सुवाधाओं को स्‍थ गित कर दिया गया था। बैंक द्वारा अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि इन्‍हीं तथ्‍यों के सम्‍बन्‍ध  में परिवादी ने बैंकिंग ओमवडसमैन कानपुर के समक्ष वाद योजित कर रखा है जो विचाराधीन है और परिवादी ने इस तथ्‍य को छिपाया है। वह स्‍व च्‍छ हाथों से फोरम के समक्ष नहीं आया। यह कि 7.5 प्रतिशत के स्‍थान पर 13.5 प्रतिशत ब्‍याज आर0बी0आई0 के सर्कुलर के आधार पर चार्ज किया गया है  और ऐसा करके विपक्षी ने कोई त्रुटि नहीं की। प्रतिवाद पत्र में परिवादी के इस कथन से भी इन्‍कार किया गया है कि खाता खोलते समय बैंक के प्रबन्‍धक ने परिवादी को 60,00,000/- रूपये का ऋण देने का आश्‍वासन दिया था। उपरोक्‍त तथ्‍यों के आधार पर परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  5.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/5 दाखिल किया। विपक्षी की ओर से उसके मैनेजर श्री टी0सी0 अग्रवाल का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0- 17/1 लगायत 17/3 हुआ।
  6.   किसी भी  पक्ष  ने लिखित बहस  दाखिल नहीं की।
  7.   हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया। 
  8.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवाद कथनों एवं परिवादी के  साक्ष्‍य शपथ पत्र की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित किया और तर्क दिया कि अनुचित तरीके से परिवादी के बैंक एकाउन्‍ट से 7.5 प्रतिशत के स्‍थान पर 13.5 प्रतिशत की दर से ब्‍याज वसूल करके विपक्षी ने सेवा में कमी की है।  परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवादी के साक्ष्‍य शपथ पत्र के पैरा सं0- 11 की ओर भी हमारा ध्‍यान आकर्षित किया और कहा कि यधपि विपक्षी ने  अपने प्रतिवाद पत्र में यह कहा है कि ब्‍याज की दर आर0बी0आई0 के सकुर्लर के आधार पर लगाई गई है, किन्‍तु विपक्षी ने यह उल्‍लेख नहीं किया कि ​आर0बी0आई0 का उक्‍त सकुर्लर दिनांकित 02/02/2005 वर्तमान मामले में  किस प्रकार लागू होता है। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवाद को स्‍वीकार कर अनुरोधित अनुतोष विपक्षी से दिलाये जाने की प्रार्थना की।
  9.   प्रत्‍युत्‍तर में विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अन्‍य के अतिरिक्‍त यह  कथन किया कि परिवादी के कृत्‍य वाणिज्यिक हैं और उसने विपक्षी बैंक में परिवादी द्वारा खोला गया करन्‍ट एकाउन्‍ट वाणिज्यक प्रयोजन के लिए है ऐसी दशा में यह परिवाद फोरम में पोषणीय नहीं है। हम विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों से सहमत हैं।
  10.   परिवाद के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी ‘’ जावेद भाई प्राईवेट लिमिटेड ‘’  निर्यात कार्य में लगी हुई कम्‍पनी है जिसका पंजीकृत कार्यालय दिल्‍ली में है तथा मुरादाबाद में उसका सिटी सेन्‍टर कार्यालय है। सूची कागज सं0-3/12 के माध्‍यम से परिवादी ने जो प्रपत्र दाखिल किऐ हैं उनसे स्‍पष्‍ट है  कि विपक्षी के बैंक में परिवादी का जो करन्‍ट एकाउन्‍ट है उसके माध्‍यम से  परिवादी कम्‍पनी वाणिज्यिक लेनेदन करती है। परिवादी के शपथ पत्र कागज सं0-3/9 के पैरा सं0-3 में यह उल्‍लेख कि परिवादी कम्‍पनी ने विपक्षी बैंक में  करन्‍ट एकाउन्‍ट खोलते समय  ‘’ मैसर्स जावेद भाई ट्रेड सिस्‍टम प्राईवेट लिमिटेड ’’  की डेढ़ करोड़ से भी अधिक मूल्‍य की सम्‍पत्ति का विलेख बैंक में जमानत के रूप में रखा। जिस कम्‍पनी का डेढ़ करोड़ की रू0 की सम्‍पत्ति का विलेख परिवादी ने विपक्षी बैंक में जमानत के रूप में रखा वह कम्‍पनी  परिवादी कम्‍पनी से भिन्‍न है। यह तथ्‍य दर्शाता है कि विपक्षी बैंक में परिवादी द्वारा खोला गया करन्‍ट एकाउन्‍ट कदाचित वाणिज्यिक प्रयोजन है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में कहीं भी यह उल्‍लेख नहीं किया कि परिवादी कम्‍पनी के डायरेक्‍टर निर्यात का कार्य  स्‍व नियोजन उपाय से अपनी जीविका उपार्जन हेतु कर रहे हैं। पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍य सामग्री के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि विपक्षी बैंक में परिवादी कम्‍पनी ने जो  करन्‍ट एकाउन्‍ट खोल रखा है वह वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए है तथा परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अधीन ‘’ उपभोक्‍ता ‘’ नहीं है। हमारे इस  मत की पुष्टि मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली  द्वारा । (2015) सी0पी0जे0 पृष्‍ठ-326 (एन0सी0), ओरियन्‍टल बैंक आफ  कामर्स बनाम सुशील गुलाटी के मामले में दी गई विधि व्‍यवस्‍था से होती है।
  11.   उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

 

परिवाद खारिज किया जाता है।

 

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     15.09.2015           15.09.2015        15.09.2015

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 15.09.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     15.09.2015           15.09.2015        15.09.2015

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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